Jaishankar Pakistan Visit: 9 साल बाद पाकिस्तान क्यों जा रहे विदेश मंत्री? इस्लामाबाद SCO सम्मिट से क्या हासिल करेंगे जयशंकर
Islamabad SCO Summit News: शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री एस जयंशकर पाकिस्तान जाएंगे. इस्लामाबाद में 15-16 अक्टूबर को होने वाले सम्मेलन में भाग लेने के लिए जयशंकर के जाने का फैसला बीते लगभग एक दशक में भारत सरकार का बड़ा कूटनीतिक कदम माना जा रहा है.
India-Pakistan SCO Summit: विदेश मंत्री एस जयशंकर 15 और 16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होने वाले शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाएंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार (4 अक्टूबर) को यह चौंकाने वाली जानकारी दी. 'पाकिस्तान से बातचीत करने का दौर खत्म हो चुका है' कहने वाले विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस्लामाबाद जाने की योजना के बारे में जानकर हर कोई हैरान रह गया.
सुषमा स्वराज के बाद जयशंकर जा रहे पाकिस्तान, ठंडे थे रिश्ते
भारत के विदेश मंत्री का बीते नौ सालों बाद होने वाले पाकिस्तान दौरे को लेकर दुनिया भर के कई देशों की निगाहें भी फैल गईं. क्योंकि इससे पहले साल 2015 में विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान गई थीं. उनके बाद साल 2016 में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सार्क देशों के गृह मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया था. इसके बाद उरी हमले को लेकर लगातार कई सालों से भारत ने पाकिस्तान के साथ तमाम स्तर के संबंध बेहद सीमित कर दिए थे.
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के पीएम को भारत का बेहद सख्त संदेश
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की आमसभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को भारतीय राजनयिक ने काफी कठोर लहजे में संदेश दिया था. मौजूदा दौर में भारत की आधिकारिक विदेश नीति है कि जब तक सीमा पार से भारत में आतंकवादी हरकतें चलती रहेंगी तब तक पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत नहीं होगी. इस नीति पर कायम रहने के कारण ही भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और द्विपक्षीय मंचों पर पाकिस्तान से किसी तरह की कोई बातचीत नहीं करता है.
पाकिस्तान के चलते सार्क से बनाई दूरी, फिर SCO से नजदीकी क्यों?
भारत ने इसी नीति पर चलते हुए दक्षिण एशिया एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (SAARC) की बैठक से भी दूरी बना ली है. भारत की बेरूखी से संगठन लगभग खत्म होने की हालत में पहुंच गया है. ऐसे में सार्क से दूरी और एससीओ से नजदीकी को लेकर जयशंकर के पाकिस्तान दौरे की खबर ने सबको चौंका दिया है. सवाल उठता है कि आखिर SCO से मोहब्बत के पीछे की वजह क्या है? आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि एस जयशंकर इस्लामबाद से आखिर क्या हासिल करने वाले हैं?
क्या बस SCO चार्टर को लेकर प्रतिबद्धता की वजह से ही होगी यात्रा?
इस्लामाबाद में SCO के हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (CHG) की बैठक में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर के पाकिस्तान जाने को लेकर सवाल रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत SCO चार्टर को लेकर प्रतिबद्ध है. विदेश मंत्री की यात्रा का यही कारण है. जब उनसे सवाल किया गया कि क्या यह यात्रा भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने की कोशिश है तो उन्होंने जवाब दिया कि इस यात्रा का कोई और मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए.
पाकिस्तान ने पीएम नरेंद्र मोदी को दिया था एससीओ सम्मिट का न्योता
दरअसल, पाकिस्तान ने 29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एससीओ सम्मिट के लिए न्योता दिया था. पाकिस्तान की विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने तब कहा था कि सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया है. पाकिस्तान से न्योता आने के बाद 30 अगस्त को जयशंकर दोनों देशों के रिश्ते पर कहा था कि पाकिस्तान से बातचीत का दौर खत्म हो चुका है. हर चीज का समय होता है, हर काम अंजाम तक पहुंचता है. जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हट चुका है. यह मुद्दा खत्म हो चुका है. अब हम पाकिस्तान से किसी रिश्ते पर क्यों विचार करें.
पीएम मोदी, सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह के बाद थमा पाकिस्तान दौरा
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक सरप्राइज विजिट पर लाहौर पहुंचकर पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात की थी. उनके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान का दौरा किया और पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात की थी. फिर साल 2016 में गृह मत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान का दौरा किया था. उसके बाद उरी आतंकी हमले से बढ़े तनाव के चलते भारत की ओर से कोई पाकिस्तान की यात्रा पर नहीं गए.
उरी हमले के बाद बॉलीवुड, क्रिकेट तक में पाकिस्तान का सामूहिक बायकॉट
सीमा पार से उरी ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर आतंकी हमले में भारतीय सेना के 19 जवानों के बलिदान होने के बाद भारत ने 28-29 सितंबर की रात पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की और 38 आतंकियों को ढेर मार गिराया था. उसके बाद बॉलीवुड में पाकिस्तानी कलाकारों और पाकिस्तानी फिल्मों को भी बॉयकॉट किया गया. भारतीय क्रिकेट टीम भी आखिरी बार 2008 में मैच खेलने पाकिस्तान गई थी. साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कोई हाई-लेवल मीटिंग नहीं हुई.
SCO सम्मिट में पीएम मोदी की जगह जयशंकर का दौरा, पाक से हमेशा दूरी
पीएम मोदी कई साल से एससीओ सम्मिट में नहीं जा रहे. इस साल 3-4 जुलाई को कजाकिस्तान में हुए SCO सम्मिट में पीएम मोदी शामिल नहीं हुए थे. पिछले साल किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक ने SCO की CHG बैठक की मेजबानी की थी. पीएम मोदी इसमें भी नहीं जा पाए थे. दोनों ही बार उनकी जगह विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था. हालांकि, जयशंकर ने हर बैटक में पाकिस्तान से दूरी बरकरार रखी.
12 साल बाद 2023 में SCO बैठक में भारत आए थे पाकिस्तान के विदेश मंत्री
भारत ने पिछले साल वर्चुअल मोड में 4 जुलाई को SCO शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी. इसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने ऑनलाइन हिस्सा लिया था. साल 2023 में ही पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने गोवा आकर एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया था. बिलावल का वह दौरा 12 सालों में किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का भारत का पहला दौरा था. उन्होंने पाकिस्तान के लिए एससीओ को काफी अहम बताया था.
शंघाई सहयोग संगठन क्या है, भारत-पाकिस्तान के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान का एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा समूह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक अहम क्षेत्रीय संगठन है. इन देशों में दुनिया की 40 फीसदी आबादी रहती है. SCO के शिखर सम्मेलन से पहले मंत्रिस्तरीय वार्ता और वरिष्ठ अधिकारियों की कई दौर की बैठकें होती हैं. इसमें सदस्य देशों के बीच वित्तीय, आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाता है.
सार्क की तरह SCO से भी दूरी क्यों नहीं बना लेता भारत, क्या है वजह ?
मौजूदा दौर में भारत के लिए सार्क के मुकाबले एससीओ को ज्यादा अहमियत देने की खास वजह है. एससीओ रूस का ब्रेन चाइल्ड और उसके ग्रेटर यूरेशिया ड्रीम का हिस्सा है. फिलहाल युद्धग्रस्त रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक रिश्ते हैं. वहीं, एससीओ में शामिल कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान पूर्व सोवियत संघ के हिस्सा हैं. मध्य एशिया के देशों के साथ भी भारत के अच्छे संबंध हैं. इन सबको देखते हुए महज पाकिस्तान से नाराजगी के चलते भारत एससीओ से दूरी नहीं बना सकता.
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इस्लामाबाद एससीओ सम्मिट से क्या हासिल करेंगे विदेशमंत्री जयशंकर?
भारत सरकार ने करीब-करीब साफ कर दिया है कि एस जयशंकर के इस्लामाबाद दौरे में एससीओ सम्मिट के बीच पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी. जयशंकर ने एससीओ की पुरानी बैठकों में भी पाकिस्तान को कोई महत्व नहीं दिया था. अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकारों के मुताबिक, जयशंकर के इस्लामाबाद दौरे से बीते साल बिलावल भुट्टो के भारत आने का मामला पूरा हो जाएगा. वहीं, पाकिस्तान की ओर से भारत पर लगाए जा रहे वैश्विक मंचों पर नजरअंदाज करने का आरोप भी हल्का पड़ जाएगा.
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दुनिया में अलग-थलग पाकिस्तान को अब घर में घुसकर घेरेंगे जयशंकर
इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र की तरह ही भारत एक और वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करते हुए आतंकवाद बढ़ाने के लिए उसकी खिंचाई कर सकेगा. इससे बड़ी बात की भारत अपना सख्त संदेश पाकिस्तान को उसी की राजधानी में सबकी मौजूदगी में दे सकेगा. अमेरिकी एक्सपर्ट माइकल कुगलमैन ने भारतीय विदेश मंत्री के पाकिस्तान दौरे को बड़ा कदम बताया है. उन्होंने एक्स पर लिखा कि ये फैसला बेशक पाकिस्तान के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने की इच्छा से ज्यादा एसएसओ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता से प्रेरित है. यह पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाने के लिए नहीं किया जा रहा है.