Jharkhand Loktantrik Krantikari Morcha (JKLM): झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में भी कई राजनीतिक 'टाइगर' अपनी सियासी ताकत का इम्तिहान दे रहे हैं. झामुमो छोड़कर भाजपा में आए कोल्हान टाइगर पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बाद गिरिडीह में खुद को टाइगर बताने वाले युवा नेता जयराम महतो झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) नाम से अपनी पार्टी बनाकर सूबे की तीसरी ताकत बनने की कोशिश में जुटे है. 


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'झारखंड का लड़का' और 'टाइगर' के रूप में हो रहा जिक्र


इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में उभरने के बाद से जयराम महतो ने सभी तरह के मतभेदों को दरकिनार करते हुए खुद को 'झारखंड का लड़का' के रूप में प्रचारित किया है. सत्तारूढ झामुमो गठबंधन और विपक्षी भाजपा गठबंधन के बीच जातीय राजनीति और स्थानीय मुद्दों के कॉकटेल से सोशल मीडिया के रास्ते जमीन पर भी प्रशंसक जुटाने वाले 30 साल के जयराम महतो ने माहौल बना दिया है.


क्या NDA और INDIA गठबंधनों के लिए चुनौती बन पाएंगे?


जयराम महतो के बढ़ती पॉपुलरिटी को NDA और INDIA गठबंधनों के लिए चुनौती बताया जाने लगा है. उन्होंने झारखंड की 81 में से 71 सीटों पर अपनी पार्टी जेकेएलएम के उम्मीदवार भी उतार दिए हैं. खुद जयराम महतो भी दो विधानसभा सीटों डुमरी और बेरमो पर मैदान में उतर गए हैं. आइए, जानते हैं कि झारखंड में नए नेता बने जयराम महतो का सियासी वजूद क्या है? साथ ही राज्य की राजनीति में उनकी संभावनाएं कैसी हैं?


गिरिडीह में जयराम महतो को मिले भारी जन समर्थन ने चौंकाया 


लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान  NDA के तहत AJSU पार्टी और INDIA गठबंधन में JMM के हिस्से में आई गिरिडीह सीट पर जयराम महतो को मिले भारी जन समर्थन ने सियासी जानकारों को चौंका दिया था. गिरिडीह लोकसभा सीट से जयराम चुनाव नहीं जीत पाए थे, लेकिन 3 लाख 47 हजार 322 वोट हासिल कर उन्होंने अपने उभरते राजनीतिक कद का अहसास करा दिया था. गिरिडीह के दो विधानसभा क्षेत्रों गोमिया और डुमरी में पहले स्थान पर रहे थे. 


वहीं, गिरिडीह के अलावा रांची, हजारीबाग, कोडरमा और धनबाद जैसी आठ प्रमुख लोकसभा सीटों पर JLKM के उम्मीदवारों ने  8,03,069 वोट जुटाए थे. यह चुनावी प्रदर्शन सियासी चर्चा का मुद्दा बन गया था.


झारखंड की राजनीति में आदिवासी के बाद दूसरा सबसे बड़ा समूह


जातिगत समीकरण की बात करें तो जयराम महतो झारखंड की राजनीति में आदिवासी समुदाय के बाद सबसे बड़ी और प्रभावशाली जाति मानी जाने वाली कुर्मी समुदाय से आते हैं. राज्य में 15 प्रतिशत से ज्यादा कुर्मी मतदाता हैं. इस वोट बैंक को साधकर जयराम महतो अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, आजसू (AJSU) पार्टी के अध्यक्ष और कुर्मी समुदाय से आने वाले सुदेश महतो फिलहाल इस समाज के बड़े नेता हैं. जयराम महतो भी सुदेश महतो की तरह ही छात्र राजनीति से उभरकर सामने आए हैं.


32-35 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं कुर्मी वोट


झारखंड की  गिरिडीह, धनबाद, हजारीबाग, रांची, और कोडरमा जैसे जिले में सिली, रामगढ़, मांडू, गोमिया, डुमरी, और ईचागढ़ जैसी सीटों पर कुर्मी मतदाता बहुतायत में हैं. कुर्मी समुदाय इसके अलावा विधानसभा की 32-35 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. खासकर कुर्मी बहुल इन इलाकों में जयराम महतो की पार्टी बढ़त आजसू के अलावा भाजपा और झामुमो जैसी मौजूदा स्थापित पार्टियों को परेशान कर सकती हैं. JLKM की मजबूत उपस्थिति और उनका प्रभाव इन सीटों के नतीजों में फेरबदल कर सकता है. 


JLKM ने की स्थानीय मुद्दों को अपनी ताकत बनाने की कोशिश


स्थानीय मुद्दों पर पकड़ की बात करें तो JLKM ने इसे अपनी ताकत बनाने की कोशिश की है. इसके सहारे वह जनता से सीधा जुड़ाव बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं. 27 दिसंबर 1994 को धनबाद जिले के मंतंद गांव में पैदा हुए जयराम महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही चार साल से लगातार भाषा, स्थानीयता और रोजगार के मुद्दों पर आंदोलन के जरिए युवाओं में लोकप्रियता हासिल की है. जयराम महतो का दावा है कि सिर्फ वही लोग झारखंडी हैं, जो 1932 के खतियान के आधार पर यहां के मूल निवासी माने जाएंगे. 


जयराम महतो की लोकप्रियता में सोशल मीडिया वीडियो का योगदान 


जयराम महतो की लोकप्रियता में एक बड़ा योगदान सोशल मीडिया पर उनके वायरल वीडियो का है. उनके बहुत सारे फॉलोअर हैं. वीडियो में वह राजनीतिक जागरूकता, “राजनीतिक नेताओं द्वारा अर्जित धन”, लोगों की गरीबी और “बाहरी लोगों को झारखंड में सरकारी नौकरियां कैसे मिलती हैं” जैसे मुद्दों के बारे में बात करते हैं. राजनेताओं के मामले में सबसे अलग जयराम महतो ने अंग्रेजी साहित्य में मास्टर्स करने के बाद भारतीय लेखक मुल्कराज आनंद और केन्याई लेखक न्गुगी वा थिओंग’ओ के तुलनात्मक साहित्य में ‘शोषण’ विषय पर पीएचडी कर रहे हैं.


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जयराम महतो के राजनीतिक संदेश में भी शोषण के मुद्दे पर ही फोकस 


जयराम महतो के राजनीतिक संदेश में भी शोषण का मुद्दा ही अंतर्निहित है. अपने अधिकांश भाषणों में वे हक (अधिकार) के बारे में बात करते हैं और बताते हैं कि झारखंड के लोगों को इससे कैसे वंचित रखा गया है। वे विशेष रूप से कुड़मियों की बात करते हैं, “जिनकी भूमि का खनन के लिए दोहन किया जा रहा है.” साल 2023 में जयराम महतो ने झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (JBKSS) के नाम से एक पार्टी का गठन किया था. उसी का नाम बदलकर अब झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) हो गया है. 


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कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगने के बाद ही राज्य की राजनीति में दिखेगा असर


कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगने के बाद ही राज्य की राजनीति में उनका असर सामने आ सकेगा. क्योंकि जयराम कुड़मी महतो हैं. झारखंड के तीन प्रमुख महतो समूहों में से एक है. बाकी दो कोइरी और तेली समूह हैं. कुड़मी महातों (महतो) की आबादी लगभग 15 प्रतिशत है, जबकि आदिवासी 26-27 प्रतिशत हैं. हालांकि, SECC डेटा के जानकार सूत्रों ने दावा किया है कि झारखंड में उनकी आबादी लगभग 8 प्रतिशत है. जेएलकेएम के सूत्रों का कहना है कि पार्टी वास्तविक रूप से सात सीटों पर जीत की उम्मीद कर रही है, लेकिन उसे मिलने वाले वोट दूसरों की जीत की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.


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