Bangladesh Army, Begum Khaleda Zia and BNP: बांग्‍लादेश में शेख हसीना के हटने के बाद सेना के पास कंट्रोल आया तो सबसे पहले राष्‍ट्रपति ने बांग्‍लादेश नेशनलिस्‍ट पार्टी (बीएनपी) की नेता बेगम खालिदा जिया को नजरबंदी से रिहाई का आदेश दिया. जिया दो बार प्रधानमंत्री रह चुकी हैं. पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी का झुकाव हमेशा से इस्लामिक कट्टरपंथियों की तरफ रहा है. जो हमेशा से पाकिस्तान की वकालत करते रहे हैं. खालिदा जिया के शासनकाल में यह देश आतंकवादियों की शरणस्थली बन गया था. ऐसे में अगर खालिदा जिया एक बार वहां फिर ताकतवर होती हैं तो बांग्लादेश का झुकाव पाकिस्तान और चीन की तरफ बढ़ेगा. 


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बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते कभी मधुर नहीं रहे. खालिदा को हमेशा भारत के मुकाबले चीन और पाकिस्तान ज्यादा भाया. खालिदा के समय में बांग्लादेश के रिश्ते भारत के साथ हमेशा खराब रहे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कहते थे कि 'आप मित्र तो बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं'. ऐसे में आपके पड़ोसी का व्यवहार आपको खुशियां भी दे सकता है और आपकी चिंता भी बढ़ा सकता है.


भारत में जो पूर्वोत्तर के राज्य हैं, वहां सक्रिय आतंकवादी संगठनों को बांग्लादेश का प्रमुख आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन और बीएनपी, जो खालिदा जिया की पार्टी है, वह परोक्ष रूप से समर्थन देती है. भारत की गोद में बैठा बांग्लादेश जिसका 4,000 किलोमीटर बॉर्डर भारत से लगता है और उसके एक तरफ बंगाल की खाड़ी है, अगर वहां पाकिस्तान, चीन के साथ अन्य ताकतें मिलकर राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति बना चुकी हैं तो फिर भारत के लिए यह चिंता का विषय तो जरूर है.


भारत में प्रतिबंधित आतंकी संगठन पीएफआई का सीधा संबंध बांग्लादेश के जमात-उल-मुजाहिदीन से रहा है. 2018 में बिहार के बोधगया में हुए ब्लास्ट में जमात-उल-मुजाहिदीन के आतंकी और बांग्लादेशी नागरिक जाहिदुन इस्लाम उर्फ कौसर को दोषी ठहराया गया था.


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आईएसआई, छात्र शिबिर और जमात-ए-इस्‍लामी
अब बांग्लादेश में जो हालात बने हैं, इसको लेकर जो बात सामने आ रही हैं, उसकी मानें तो यहां इस स्थिति को पैदा करने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है. यहां हिंसा भड़काने के पीछे 'छात्र शिबिर' नामक संगठन का नाम आ रहा है, जो प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी से जुड़ा हुआ है. इस जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का समर्थन प्राप्त है. जमात-ए-इस्लामी, उसकी स्टूडेंट यूनियन और अन्य संगठनों पर शेख हसीना सरकार ने कुछ दिन पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था. 'छात्र शिबिर' नामक संगठन का काम बांग्लादेश में हिंसा भड़काना और छात्रों के विरोध को राजनीतिक आंदोलन में बदलना था.


ऐसे में इस आंदोलन से प्रदर्शनकारियों की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वह एक सोची-समझी साजिश की ओर इशारा कर रही हैं. यही कुछ अफगानिस्तान और श्रीलंका में भी देखने को मिला था, जहां चीन और पाकिस्तान की ताकतें ऐसा कर रही थी.


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हालांकि, बांग्लादेश में पाकिस्तान की तरह ही सेना इस तख्तापलट की साजिश में शामिल थी और यह साजिश 6 महीने पहले ही रची गई थी. इस साजिश को लेकर लगातार दूसरे देशों से फंडिंग हो रही थी. जनवरी 2024 से ही इस साजिश के लिए धीरे-धीरे जमीन तैयार की गई. बांग्लादेश के बड़े सैन्य अधिकारी और जमात-ए-इस्लामी के लोगों के बीच इसको लेकर बैठकों का दौर चलता रहा. छात्रों का यहां आंदोलन शुरू हुआ और उसमें धीरे-धीरे आतंकी ताकतें शामिल होती गई.


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ढाका यूनिवर्सिटी के तीन छात्र नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर ने बांग्‍लादेश में इतना बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया. अब वही तीनों यहां की अंतरिम सरकार की रूपरेखा तय कर रहे हैं.


ऐसे में यह भारत के लिए चिंता का विषय है कि जिस देश को पाकिस्तान के दो टुकड़े कर भारत ने बनाया, अगर वहां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आतंकी संगठन और चीन की अन्य ताकतें मिलकर इस देश को चलाने लगेंगी तो भारत के लिए खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा. 


(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस के साथ)