Portfolio Impasse In Mahayuti Govt: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में शानदार जीत के 13 दिन बाद महायुति ने आखिरकार सरकार बना ली. चुनाव में भाजपा 132, शिवसेना 57 और एनसीपी 41 सीटें जीतकर अपने मजबूत प्रदर्शन से उत्साहित है, लेकिन तीनों दलों के बीच सरकार बनने के बावजूद गतिरोध थमा नहीं है. महाराष्ट्र चुनाव में आसानी से जीत हासिल कर सत्ता में मजबूत वापसी करने वाली महायुति के घटक तीनों दलों के नेताओं के बीच मंत्रिमंडल के प्रमुख 6 विभागों के लिए अब भी जोर-आजमाइश की जा रही है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कैबिनेट के किन 6 प्रमुख विभागों के लिए अब भी जोर-आजमाइश?


आजाद मैदान, मुंबई में गुरुवार को हुआ शपथ ग्रहण समारोह लगभग अंतिम समय तक अनिश्चित बना रहा, क्योंकि शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कथित तौर पर उपमुख्यमंत्री पद के अलावा गृह मंत्रालय के लिए भी अपनी दावेदारी जताई. कथित तौर पर गृह और शहरी विकास के बीच चुनाव करने के लिए कहे जाने के बाद वे आखिरकार भाजपा की योजना के मुताबिक मान गए. 


वहीं, अजीत पवार, जिन्होंने खुद को पूरी तरह से अनुकूल सहयोगी के रूप में पेश करके भाजपा के साथ कुछ अतिरिक्त नंबर हासिल कर लिए हैं, उनकी भी अपनी कुछ मांगें हैं. पिछली महायुति सरकार में उनके पास रहे आवास और वित्त विभाग उनकी सूची में सबसे ऊपर हैं. आइए, जानते हैं कि महाराष्ट्र में छह सबसे अधिक मांग वाले विभाग कौन से हैं, और वे इतने प्रतिष्ठित क्यों हैं?


गृह विभाग


राज्य सरकार हो या केंद्र, गृह विभाग पर हर नेता नियंत्रण चाहता है. यह एक ऐसा विभाग है जिसे मुख्यमंत्री लगभग कभी नहीं छोड़ते हैं. कारण साफ है कि गृह विभाग पुलिस को नियंत्रित करता है. इसके कारण संबंधित मंत्री को अपने क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हर महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बारे में बेशकीमती और शुरुआती जानकारी मिलती है. राजनीतिक अस्थिरता के समय, कानून के लंबे हाथ नाव को स्थिर रखने या उसे हिलाने-डुलाने में बहुत मदद कर सकते हैं. महायुति सरकार के मामले में, यह विभाग सहयोगियों को नियंत्रण में रखने का एक तरीका हो सकता है. 


गृह विभाग को ही रिपोर्ट करती हैं अधिकांश जांच एजेंसियां


इसके साथ ही, गृह विभाग को ही अधिकांश जांच एजेंसियां ​​रिपोर्ट करती हैं, जो इस विभाग का एक अतिरिक्त आकर्षण है. कानून और व्यवस्था के मोर्चे पर अच्छा काम किसी राज्य को व्यवसाय और निवेश के लिए आकर्षक बनाने में बहुत मदद कर सकता है. पिछली महायुति सरकार में, जब भाजपा ने अधिक सीटें होने के बावजूद एकनाथ शिंदे को सीएम पद तो दिया था, तब भी गृह विभाग अपने पास ही रखा था. यह विभाग तत्कालीन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास था. हालांकि उनका कार्यकाल व्यक्तिगत रूप से उनके लिए मिला-जुला रहा, क्योंकि मराठा आरक्षण आंदोलन के भड़कने के लिए सीधे तौर पर पुलिस कार्रवाई को दोषी ठहराया गया था.


वित्त विभाग


गृह विभाग के बाद सबसे अधिक मांग वाले विभागों में से वित्त विभाग दूसरे नंबर पर है. इस विभाग के मंत्री न केवल परियोजनाओं और व्यक्तिगत निर्वाचन क्षेत्रों के लिए बजट जारी करने के मामले को नियंत्रित करते हैं, बल्कि राज्य सरकार के सभी निर्णय वित्त की मंजूरी के बाद ही आगे बढ़ सकते हैं. इसके अलावा, सीएम के अलावा वित्त मंत्री एकमात्र कैबिनेट सदस्य हैं जो संबंधित मंत्री की मंजूरी के बिना अन्य विभागों के अधिकारियों की बैठक बुला सकते हैं. 


गठबंधन सरकारों में रकम जारी करना हमेशा विवादास्पद मुद्दा 


गठबंधन सरकारों में रकम जारी करना हमेशा एक विवादास्पद मुद्दा होता है, और इसलिए खजाने की चाबी के लिए होड़ मची रहती है. हर मंत्री चाहता है कि उसके विभाग में धन का प्रवाह सुचारू रूप से चले, इसलिए वे वित्त मंत्री को नाराज़ न करने के बारे में खास तौर पर सावधान रहते हैं. साल 2023 के मध्य में पिछली महायुति सरकार में शामिल होने के बाद अजित पवार के लिए वित्त विभाग को फडणवीस ने छोड़ दिया था. यह भाजपा के लिए अजित पवार को अपने पाले में करने के महत्व को रेखांकित करता है. इस बार अजित पवार को फिर से वित्त मिल सकता है.


शहरी विकास विभाग


यह विभाग राज्य के शहरी क्षेत्रों, विशेष रूप से नगर निगमों में अधिकांश विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए जिम्मेदार है. महाराष्ट्र में लगभग सभी शहरी स्थानीय निकाय, जिसमें नकदी से समृद्ध बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) भी शामिल है शहरी विकास विभाग के अंतर्गत आते हैं. मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण और शहर और औद्योगिक विकास निगम भी इसके दायरे में आते हैं. वित्त वर्ष 2023-24 में, 31,082 करोड़ रुपये या कुल राज्य व्यय का 5.66 प्रतिशत अकेले इस विभाग के लिए था.


महाराष्ट्र में बीएमसी सहित अधिकांश नगर निगमों के चुनाव जल्द


शहरों की विकास योजनाओं को तैयार करने और उन्हें अंतिम रूप देने के अलावा, शहरी विकास विभाग परियोजनाओं के लिए भूखंड आवंटित करने और शहरी क्षेत्रों की सीमाओं की मैपिंग भी करता है. शिवसेना जैसी पार्टी बड़े पैमाने पर शहरी मतदाताओं को ध्यान में रखती है. इसलिए आमतौर पर इस विभाग पर जोर देती है. महाराष्ट्र में बीएमसी सहित अधिकांश नगर निगमों के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में कोई भी पार्टी इसे नियंत्रित करने का मौका नहीं छोड़ेगी. पिछली महायुति सरकार में शिंदे शहरी विकास मंत्री थे और उन्हें फिर से यह विभाग मिलने की उम्मीद है.


राजस्व विभाग


यह विभाग जमीन की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया, खनिजों के खनन के लिए नीतियों को अंतिम रूप देने और नए-नए तरीकों से राजस्व सृजन के लिए रास्ते विकसित करने से संबंधित काम करता है. भूमि रिकॉर्ड से लेकर रेत खनन रिकॉर्ड तक, स्टांप शुल्क संग्रह से लेकर कर संग्रह तक, विभाग सभी मामले की देखरेख करता है. 


राजस्व विभाग का प्रभारी राजनीतिक दल और मंत्री भूमि उपयोग निर्धारित कर सकता है, नौकरशाही, विशेष रूप से जिला कलेक्टरों पर सबसे अधिक नियंत्रण रख सकता है और रियल एस्टेट बाजार में अपनी बात रख सकता है, क्योंकि यह विभाग कर संरचना निर्धारित कर सकता है. पिछली महायुति सरकार में, भाजपा ने राजस्व विभाग अपने पास रखा था. इस बार, इस बात पर खींचतान है कि आखिर यह विभाग किसे मिलेगा.


आवास विभाग


महाराष्ट्र सरकार का आवास विभाग वर्तमान में देश की कुछ सबसे बड़ी रियल एस्टेट परियोजनाओं की देखरेख कर रहा है, जिसमें धारावी पुनर्विकास परियोजना भी शामिल है. निकट भविष्य में, मुंबई में गोरेगांव में मोतीलाल नगर, मध्य मुंबई में अभ्युदय नगर, कमाठीपुरा पुनर्विकास परियोजना और ऐसी कई बड़ी पुनर्विकास परियोजनाएं सामने आने वाली है. इन परियोजनाओं में लाखों करोड़ के निवेश को देखते हुए, यह विभाग किसी भी पार्टी के लिए बेहद आकर्षक विभाग है. पिछली महायुति सरकार में, भाजपा ने आवास मंत्रालय अपने पास रखा था, लेकिन इस बार इसे लेकर सहयोगी दलों से विरोध का सामना करना पड़ रहा है.


ये भी पढ़ें - Maharashtra: राजभवन में सुबह की शपथ से आजाद मैदान में शाम की शपथ तक... कितने ताकतवर हुए देवेंद्र फडणवीस?


सिंचाई विभाग


वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सिंचाई विभाग के बजट में 13 प्रतिशत की बढ़त के बाद महायुति की तीनों पार्टी इस विभाग पर नज़र रख रही है. परियोजनाओं के लिए बजट का लाभकारी उपयोग किसी भी पार्टी को किसानों के बीच अपना जनाधार बनाने में मदद कर सकता है. राज्य में किसान एक प्रभावशाली वोट बैंक हैं. पिछले एक दशक में सिंचाई परियोजनाओं के लिए संशोधित प्रशासनिक मंजूरी को लेकर विभाग पर कई आरोप लगे हैं, जिससे राज्य में राजनीतिक तूफान आया है.


ये भी पढ़ें - Devendra Fadnavis: नागपुर के मेयर से मुख्यमंत्री बने, फिर डिप्टी सीएम और शानदार कमबैक! कैसा रहा फडणवीस का कार्यकाल-क्या है उपलब्धियां?


सिंचाई विभाग को अपने ही पास क्यों रखना चाहती है भाजपा ?


सिंचाई विभाग में जिन नई परियोजनाओं पर काम चल रहा है, उनमें महाराष्ट्र रिजिलिएंस डेवलपमेंट प्रोजेक्ट शामिल है, जिसके तहत 100 से अधिक सिंचाई परियोजनाओं को पूरा किया जाना है और उनकी मरम्मत की जानी है; महत्वाकांक्षी मराठवाड़ा जल ग्रिड परियोजना, जिसमें पानी की कमी वाले क्षेत्र में कम से कम 11 सिंचाई परियोजनाओं को जोड़ना शामिल है; और नलगंगा-वेनगंगा नदी जोड़ो परियोजना, जो 87,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ देश की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है, और जिसमें विदर्भ के जल परिदृश्य को बदलने की क्षमता है.


पिछली सरकार में, सिंचाई विभाग भाजपा के पास था और उम्मीद है कि वह इसे अपने पास ही बरकरार रखेगी. हाल के विधानसभा चुनावों में, पार्टी ने मराठवाड़ा और विदर्भ दोनों में बढ़त हासिल की, जिन्हें आमतौर पर उसका आधार क्षेत्र नहीं माना जाता रहा है.


तमाम खबरों पर नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और रहें अपडेटेड!