BJP Vs Congres: 2024 के रण की सियासी बिसात तैयार हो गई है. अब पार्टियों ने अपने-अपने मोहरे फिट करने शुरू कर दिए हैं. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान की चुनावी बाजी जीतने के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद है. 2024 के लिए बीजेपी अभी से ताबड़तोड़ बैठकें कर रही है. पीएम मोदी से लेकर अमित शाह ने कार्यकर्ताओं और नेताओं को जीत का मूलमंत्र दिया है. इसके अलावा तैयारियों से लेकर अन्य रणनीतियों का ब्लूप्रिंट भी तैयार किया गया है. लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग कितनी अहम है, ये किसी से छिपा नहीं है.


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बीजेपी ने कैसे साधे समीकरण


लोकसभा की बाजी जीतने के लिए जातिगत समीकरण को बीजेपी ने किस तरह साधा है, इसकी बानगी मध्य प्रदेश में आज हुए कैबिनेट विस्तार में देखने को मिली. एमपी की मोहन यादव सरकार के मंत्रियों का सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह हुआ, जिसमें 18 कैबिनेट, 6 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और  4 राज्यमंत्री शामिल हैं. टीम मोहन के नेताओं को अगर देखें तो इसमें 12 ओबीसी, 7 जनरल, 5 अनुसूचित जाति और 4 अनुसूचित जनजाति के नेता हैं. पिछले महीने एमपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 163 सीटें और कांग्रेस ने 66 सीटें जीतीं. मोहन यादव ने 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद और राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.


मोहन कैबिनेट में 12 ओबीसी नेताओं को शामिल किया गया है. क्षेत्रफल के हिसाब से मध्य प्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जिसमें करीब 50 प्रतिशत जनता ओबीसी की है. राज्य में 20 प्रतिशत आबादी एसटी, 15 प्रतिशत ओबीसी और 15 प्रतिशत जनरल कैटिगरी के हैं. नेशनल सैंपल सर्वे के मुताबिक भारत में कुल ओबीसी की जनसंख्या 41% प्रतिशत है. इसका गणित हम आपको आगे समझाएंगे. लेकिन उससे पहले ये जानिए कि मोहन यादव कैबिनेट में किन-किन नेताओं को जगह मिली है.


कैबिनेट मंत्री 


1-प्रदुम्न सिंह तोमर-क्षत्रिय
2-तुलसी सिलावट- SC
3-एदल सिंह कसाना
4-नारायण सिंह कुशवाहा
5-विजय शाह-आदिवासी
6-राकेश सिंह-क्षत्रिय
7-प्रह्लाद पटेल-ओबीसी
8-कैलाश विजयवर्गीय-बनिया
9-करण सिंह वर्मा
10-संपतिया उईके-आदिवासी
11-उदय प्रताप सिंह
12-निर्मला भूरिया-आदिवासी
13-विश्वास सारंग- बनिया
14-गोविंद सिंह राजपूत-क्षत्रिय
15-इंदर सिंह परमार-
16-नागर सिंह चौहान-क्षत्रिय
17--चैतन्य कश्यप 
18-राकेश शुक्ला-ब्राह्मण


राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार )


19-कृष्णा गौर-ओबीसी
20-धर्मेंद्र लोधी- ओबीसी
21-दिलीप जायसवाल-ओबीसी
22-गौतम टटवाल 
23- लाखन पटेल-ओबीसी
24- नारायण पवार-


राज्यमंत्री


25--राधा सिंह
26-प्रतिमा बागरी
27-दिलीप अहिरवार
28-नरेन्द्र शिवाजी पटेल-ओबीसी 


ऊंची जाति और ओबीसी बीजेपी के कोर वोटर्स माने जाते हैं. जबकि एससी-एसटी और मुस्लिम एमपी में कांग्रेस को वोट देते हैं. साल 2008 में कांग्रेस की तुलना में बीजेपी को तमाम समुदायों और जातियों के वोट मिले थे. केवल अल्पसंख्यकों को छोड़कर. साल 2018 में भी बीजेपी को अपर कास्ट और ओबीसी से जमकर समर्थन मिला था.  


ओबीसी वर्ग को दिया बड़ा संदेश


बिहार-यूपी में ओबीसी जातियों जैसे यादव, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जाट का दबदबा है. लेकिन एमपी की बात करें तो यहां ओबीसी की किसी विशेष जाति का दबदबा नहीं है. 


साल 1990 में जब मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू हुईं तो हिंदी भाषी राज्यों में ओबीसी या फिर दलित को मुख्यमंत्री बनाया गया सिवाय मध्य प्रदेश के. लेकिन साल 2003 में बीजेपी ने उमा भारती, फिर बाबूलाल गौड़ और बाद में शिवराज सिंह चौहान को ओबीसी सीएम देकर इस समुदाय का दिल जीतने का काम किया. 


यही स्ट्रैटजी बीजेपी ने इस बार भी अपनाई है. ओबीसी सीएम मोहन यादव के जरिए बीजेपी ने न सिर्फ यूपी में अखिलेश और बिहार में तेजस्वी यादव को संदेश दिया है बल्कि देश के ओबीसी वर्ग को भी बड़ा सियासी मैसेज गया है. बीजेपी की रणनीति यही है कि ओबीसी और अन्य जातियों को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व देकर उनको अपने पाले में कर लिया जाए ताकि 2024 में उसका तीसरी बार सत्ता में आने का सपना पूरा हो जाए.