क्या है लोकसभा का नियम 380, जिसके तहत हटाए गए राहुल के भाषण के अंश? कब होता है इस्तेमाल; आसान भाषा में समझें
Expunction Rule: संसद की कार्यवाही से सांसदों के भाषण से कुछ शब्दों, वाक्यों या कुछ हिस्सों को हटाने की प्रक्रिया एक्सपंक्शन (Expunction) कहलाती है और यह कार्रवाई लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 380 (Rule 380) के तहत की जाती है.
What is Rule 380 of Lok Sabha: लोकसभा में भाषण का अंश हटाने को लेकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने स्पीकर को चिट्ठी लिखकर हैरानी जताई है कि किस तरह से उनकी स्पीच के एक खास हिस्से को हटा दिया गया. राहुल गांधी ने दावा किया जो अंश हटाया गया है, वो नियम 380 (Rule 380) के तहत नहीं आता. राहुल गांधी ने अनुराग ठाकुर के भाषण का हवाला देते हुए कहा है कि जब उनकी स्पीच आरोपों से भरी हुई थी, लेकिन उसमें से सिर्फ एक शब्द को ही हटाया गया था. क्या आप जानते हैं कि लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 380 क्या है, जिसके तहत लोकसभा में सांसदों के कुछ बयानों को रिकॉर्ड से हटाया (एक्सपंज) जाता है.
रिकॉर्ड से क्यों हटाई गईं राहुल गांधी टिप्पणियां?
सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि राहुल गांधी ने लोकसभा में अपने भाषण (Rahul Gandhi Speech) के दौरान ऐसा क्या कहा था, जिसकी वजह से उनकी टिप्पणियां हटाई गईं. दरअसल, लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार (1 जुलाई) को अपनी बात रखी. इस दौरान उन्होंने हिंदुओं और आरएसएस को लेकर टिप्पणी की. हिंदू धर्म और बीजेपी को लेकर कई गई टिप्पणियों पर एनडीए सांसदों ने विरोध जताया. इसके बाद हिंदू धर्म को लेकर की गई राहुल गांधी की टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटा दिया गया.
पहली बार नहीं हटा किसी सांसद के भाषण का अंश
राहुल गांधी ने अपनी स्पीच के कुछ अंशों को हटाए जाने पर भले ही सवाल उठाए हैं और कार्यवाही से हटाई गई टिप्पणियों को बहाल करने की मांग की है. लेकिन, यह कोई पहला मौका नहीं है, जब किसी सांसद के लोकसभा में दिए गए भाषणों के कुछ हिस्सों को हटाया गया है. रिकॉर्ड से सांसदों के भाषण से कुछ शब्दों, वाक्यों या कुछ हिस्सों को हटाने की प्रक्रिया एक्सपंक्शन (Expunction) कहलाती है, जो सामान्य है. यह लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 380 के तहत की जाती है.
क्या है लोकसभा का नियम 380?
संविधान के अनुच्छेद 105(2) के अनुसार, संसद के किसी भी सदन में सांसद द्वारा कही गई किसी भी बात के लिए किसी भी कोर्ट में कार्रवाई नहीं की जा सकती. हालांकि, सांसदों के बोलने को लेकर भी नियम है और सदन के अंदर उन्हें कुछ भी कहने की आजादी नहीं है. अगर सदन के अंदर किसी सांसद द्वारा असंसदीय भाषा या शब्द का प्रयोग किया जाता है तो नियम के अनुसार उसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाता है. इस प्रक्रिया को एक्सपंक्शन (Expunction) कहा जाता है.
लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 380 के अनुसार, लोकसभा स्पीकर के पास अपने विवेक पर सदन में किसी सांसद के बयान के कुछ शब्दों, वाक्यों या कुछ हिस्सों को हटाने का अधिकार होता है. हालांकि, इसको लेकर भी नियम है और बताया गया है कि स्पीकर अपने विवेक के आधार पर संसद में किसी के अपमानजनक या अभद्र या असंसदीय या अमर्यादित शब्दों को ही कार्यवाही से हटा सकता है. हालांकि, भाषण के किन हिस्सों को हटाया जाना है, इसके निर्धारन की जिम्मेदारी सदन के पीठासीन अधिकारी की ही होती है.
हटाए गए शब्दों का का क्या होता है?
संसद की कार्यवाही से किसी असंसदीय शब्द को हटाने के बाद उन शब्दों की सूची बाद में स्पीकर के कार्यालय, संसद टीवी और संपादकीय सेवा को दी जाती है. कार्यवाही से हटाए गए शब्दों और अंशों को संसद के अभिलेखों से भी हटा दिया जाता है. इसके साथ ही कार्यवाही के लाइव प्रसारण के दौरान प्रसारित होने के बावजूद उन पर शब्दों पर मीडिया द्वारा रिपोर्टिंग भी नहीं की जा सकती है.