J&K Polls 2024 News: केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को भाजपा का घोषणापत्र जारी किया. संकल्प पत्र के नाम से जारी इस दस्तावेज में महिलाओं और युवाओं पर खास फोकस रखा गया है. हालांकि, भाजपा ने मेनिफेस्टो के जरिए 25 बड़े संकल्प लिए हैं और सरकार बनाने के बाद इन्हें प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का वादा किया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सियासी दलों के घोषणापत्रों में कुछ बातें कॉमन, कुछ वादों पर 36 का आंकड़ा


जम्मू कश्मीर में इससे पहले कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेस गठबंधन, पीडीपी, अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का मेनिफेस्टो भी लोगों के सामने आ चुका है. तमाम सियासी दलों के घोषणापत्र में कुछ बातें कॉमन हैं और कई मुद्दों पर छत्तीस का आंकड़ा है. आइए, इन सभी राजनीतिक दलों के मेनिफेस्टो और उनके मुद्दों के बारे में जानते हैं ताकि आसानी से उनकी नीयत और मंशा समझ सकें.  


अमित शाह ने दिलाई प्रेमनाथ डोगरा से लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी तक की याद


सबसे नए यानी भाजपा के मेनिफेस्टो में वादा किया गया है कि आतंकवाद और अलगाववाद को मिटाकर एक शांतिपूर्ण जम्मू और कश्मीर सुनिश्चित किया जाएगा. भाजपा ने विवाहित महिलाओं के लिए सालाना 18,000 रुपए देने और 5 लाख नई नौकरियां देने का वादा किया है. इसके साथ ही भाजपा नेता अमित शाह ने पंडित प्रेमनाथ डोगरा से लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी तक की याद दिलाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा है और रहेगा.


अनुच्छेद 370 इतिहास बन चुका है, अब कभी वापस नहीं हो सकता- शाह


कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के गठबंधन और उसके मेनिफेस्टों पर तंज करते हुए अमित शाह ने जोर देकर कहा कि अनुच्छेद 370 इतिहास बन चुका है. वह कभी वापस नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, "मैंने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के एजेंडे को देखा है. मैंने कांग्रेस को भी चुपचाप एनसी के एजेंडे का समर्थन करते देखा है. लेकिन, मैं देश को बताना चाहता हूं कि अनुच्छेद 370 इतिहास बन चुका है, यह कभी वापस नहीं आएगा और हम ऐसा नहीं होने देंगे. अनुच्छेद 370 ने कश्मीरी युवाओं के हाथों में हथियार और पत्थर दिए."


जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के मुद्दे पर भाजपा बनाम विपक्ष


इसके बाद, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली का मुद्दा भाजपा बनाम विपक्ष हो गया है. लगभग सभी विपक्षी पार्टियां जानती है और खुद कई मौकों पर दोहरा चुकी हैं कि 370 की बहाली संसद के हाथ में ही है. इसके बावजूद तमाम विपक्षी नेता 370 की बहाली का वादा कर वोट बैंक का मसला बन चुके इस चुनावी मुद्दे को भुनाने में जुटे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने अपने घोषणापत्रों में इस वादे को सबसे ऊपर रखा है.


नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला कह चुके हैं कि 100 साल तक अनुच्छेद 370 की बहाली संभव नहीं है. क्योंकि यह इतना आसान नहीं रहा और इसके लिए संसद में बहुमत चाहिए. इसके बाद भी उमर अब्दुल्ला द्वारा जारी एनसी के घोषणापत्र में 370 की बहाली का वादा जोर-शोर से किया गया है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी अपने घोषणापत्र में 370 की बहाली के लिए लड़ने का वादा किया है. 


संसद के चाहे बिना जम्मू कश्मीर को स्पेशल स्टेटस या स्टेटहुड नामुमकिन


पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने भी गुरुवार को कहा था कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग करने वाले किसी भी प्रस्ताव का उनकी पार्टी समर्थन करेगी. अगर कोई पार्टी नई विधानसभा में ऐसा प्रस्ताव पेश नहीं करती, तो उनकी पार्टी इसकी पहल करेगी. जबकि सज्जाद लोन भी जानते हैं कि विधानसभा में प्रस्ताव पारित करना सिर्फ एक नैतिक बात है. इससे स्पेशल स्टेटस को वापस नहीं मिलेगा.


एनसी से गठबंधन के चलते कई मामले में फिलहाल कांग्रेस का रुख साफ नहीं


इस मामले में कांग्रेस का रुख साफ नहीं है. अनुच्छेद 370 से ज्यादा उसका जोर जम्मू कश्मीर के लिए स्टेटहुड की मांग पर है. कांग्रेस चाहती थी कि पहले  स्टेटहुड मिले और बाद में चुनाव हो, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि पहले चुनाव होंगे और फिर राज्य के दर्जे के मुद्दे पर बात होगी. हालांकि, जम्मू-कश्मीर से अलगाववाद और आतंकवाद के साये को मिटाना, कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी और कश्मीर को अस्थिर करने वाली ताकतों को काबू करना सभी दलों के वादे में शामिल है. 


मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने के लिए कश्मीर में अनुच्छेद 370 चुनावी मुद्दा 


राजनीतिक जानकारों का साफ कहना है कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली अब केवल सियासी मुद्दे से ज्यादा कुछ नहीं रह गया. सभी राजनीतिक पार्टियां अपना-अपना एजेंडा लेकर चुनाव में उतरी हैं. खासकर क्षेत्रीय पार्टियों को लगता है कि अगर वह अनुच्छेद 370 की बहाली की बात नहीं करेंगी तो कश्मीर का मुस्लिम वोट उनसे दूर चला जाएगा. वैसे भी इस मुद्दे पर सियासी चर्चा महज कश्मीर तक सीमित है. कश्मीर के बाहर की पार्टियां इस मुद्दे पर पर बात करती नहीं दिख रही.


ये भी पढ़ें - Jammu And Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर चुनाव में कश्मीरी पंडितों की घर वापसी और सुरक्षा अहम मुद्दा


नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस के घोषणापत्र में 12 गारंटी, आरक्षण नीति पर विवाद


नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने पार्टी के घोषणापत्र में कश्मीर के विशेष दर्जे से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों अनुच्छेद 370 और 35A की बहाली के साथ पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दिलाने समेत 12 गारंटी दी है. इसमें कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी, राजनीतिक कैदियों की रिहाई, PSA (पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट) निरस्त करना, एक लाख नौकरियां पैदा करना और भारत-पाक में बातचीत और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का वादा किया है.


हालांकि, उसके साथ गठबंधन के बावजूद कांग्रेस इन मुद्दों पर आक्रामक नहीं है. एनसी के घोषणापत्र में शंकराचार्य और हरि पर्वतों के नाम बदलने को लेकर  भाजपा ने कांग्रेस से भी सवाल पूछा था. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण नीति में बदलाव को लेकर भी सियासी रार बढ़ गया है.


ये भी पढ़ें - Vinesh Phogat: विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का साथ, हरियाणा चुनाव में कितना मजबूत करेगा कांग्रेस का हाथ?


पीडीपी के मेनिफेस्टो में दूसरे विपक्षी दलों से मिलते-जुलते वादे और ऐलान


पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शनिवार (24 अगस्त) को घोषणा पत्र जारी करते हुए केंद्र शासित प्रदेश के स्पेशल स्टेटस से जुड़े आर्टिकल 370 और 35A की वापसी के प्रयास और पाकिस्तान से ट्रेड दोबारा शुरू करने का बड़ा वादा किया था. इसके अलावा मेनिफेस्टो में आर्म्ड फोर्सेस को मिली स्पेशल पावर (AFSAPA), आतंक निरोधी कानून (UAPA), पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) और एनिमी एक्ट हटाने और घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए दो बेडरूम वाला मकान देने का वादा किया है.


चुनाव आयोग ने 16 अगस्त को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए तीन चरणों में मतदान की जानकारी दी थी.जम्मू कश्मीर में 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को वोटिंग के बाद 4 अक्टूबर को मतगणना की जाएगी. 90 सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 है.


तमाम खबरों पर नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और रहें अपडेटेड!