Wayanad Bypoll Election 2024: चुनाव आयोग ने केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा कर दी है. 13 नवंबर को दक्षिण की इस अहम सीट पर मतदान होगा. वायनाड से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपना चुनावी डेब्यू करने जा रही हैं. यह सीट उनके भाई राहुल गांधी के रायबरेली को चुनने को वजह से खाली हुई थी. राहुल इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में वायनाड और रायबरेली, दोनों सीटों से जीते थे. चुनावी समर में प्रियंका की एंट्री कांग्रेस की सियासत में एक नया अध्याय है.


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प्रियंका को वायनाड से उतारकर गांधी परिवार ने एक तीर से कई शिकार किए हैं. यह उत्तर के साथ दक्षिण को बैलेंस करने की जुगत तो है ही, गांधी परिवार की कांग्रेस पर पकड़ को भी मजबूत करने की कोशिश भी. अगर प्रियंका वायनाड से जीतती हैं तो ऐसा पहली बार होगा जब नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्य संसद में साथ होंगे. राहुल और प्रियंका की मां, सोनिया गांधी अब राज्यसभा की सदस्य हैं.


'राहुल की कमी महसूस होने नहीं दूंगी'


लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद, राहुल ने कहा था कि वह उत्तर प्रदेश की रायबरेली से सांसद रहेंगे. राहुल ने 2019 से 2024 तक लोकसभा में वायनाड का प्रतिनिधित्व किया और हालिया चुनाव भी जीते. राहुल के ऐलान के बाद, कांग्रेस ने कहा कि वायनाड में राहुल की जगह प्रियंका लेंगी. वायनाड उपचुनाव के लिए अपने नाम की घोषणा के बाद प्रियंका ने कहा था, 'मैं बिल्कुल भी नर्वस नहीं हूं.... मैं वायनाड का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम होने के लिए खुश हूं. मैं बस इतना कहूंगी कि मैं उन्हें राहुल की कमी महसूस नहीं होने दूंगी.'


प्रियंका के चुनावी राजनीति में उतरने के मायने


यूं तो प्रियंका 1999 से राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन वह पहली बार चुनाव लड़ने जा रही हैं. शुरू में उन्होंने मां और फिर भाई के लिए भी चुनाव प्रचार किया. बाद में, उनकी लोकप्रियता बढ़ती देख पार्टी ने जनवरी 2019 में प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश से पार्टी महासचिव बनाया. 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका ने कांग्रेस को यूपी में फिर से खड़ा करने की खूब कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी प्रियंका ने कांग्रेस की चुनावी रणनीति का नेतृत्व किया.


प्रियंका कांग्रेस नेतृत्व और रणनीति बनाने वाली टीम का अहम हिस्सा हैं और अब तक उत्तर भारत में पार्टी की अगुवा रही हैं. प्रियंका ने यूपी के अलावा हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी पार्टी की चुनावी तैयारियां संभाली हैं. यह पहली बार है जब प्रियंका को दक्षिण के सियासी मैदान में उतारा गया है.


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रायबरेली और वायनाड... उत्तर से दक्षिण तक, सब साधने की जुगत


रायबरेली, यूपी में गांधी परिवार की दो परंपरागत सीटों में से एक रही है. राहुल से पहले उनकी मां सोनिया यहां का प्रतिनिधित्व करती थीं. रायबरेली में हुए 20 लोकसभा चुनाव में से 17 में गांधी परिवार का सदस्य जीता है. 2024 चुनाव में रायबरेली से राहुल जीते तो कांग्रेस ने दूसरी परंपरागत सीट- अमेठी पर भी फिर से कब्जा किया. 2019 में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने अमेठी में राहुल को मात दी थी. रायबरेली में राहुल की जीत के साथ अमेठी में भी धाक जताकर कांग्रेस ने यूपी में अपना आधार मजबूत किया.


लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों को देखें तो कांग्रेस यूपी में खोई जमीन हासिल करती नजर आती है. उसने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और छह पर जीत हासिल की. 2019 में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक सीट जीती थी - रायबरेली. और 2014 में पार्टी ने दो सीटें जीती थीं - रायबरेली और अमेठी. ऐसे में गांधी परिवार के लिए रायबरेली छोड़ना बिल्कुल भी सही नहीं बैठता.


कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में अपनी संख्या लगभग दोगुनी कर ली है - 2019 में 52 से 2024 में 99 सीटों तक. पार्टी को अगर और आगे बढ़ना है तो यह उत्तर प्रदेश सहित हिंदी पट्टी के राज्यों में अपनी पैठ बढ़ाए बिना संभव नहीं हो सकता. दक्षिण भारत को भी पार्टी यूं ही छोड़ नहीं सकती. आखिर यह दक्षिण भारत ही रहा जिसने कांग्रेस जब-जब संकट में फंसी, उसे बाहर निकाला.


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कांग्रेस की रणनीति क्या है?


वायनाड से प्रियंका वाड्रा की उम्मीदवारी दक्षिण, खासकर केरल में कांग्रेस पार्टी की योजनाओं से जुड़ी है. दक्षिण की स्थिति है उत्तर के उलट है जहां बीजेपी की तूती बोलती है. कांग्रेस पहले से ही दक्षिण में तीन राज्यों में सरकारों में मौजूद है. पार्टी कर्नाटक और तेलंगाना में सत्ता में है. अपने सहयोगी डीएमके के साथ तमिलनाडु पर भी शासन करती है.


प्रियंका गांधी वाड्रा को वायनाड से चुनाव लड़ाने का कांग्रेस का फैसला इस बात का संकेत है कि गांधी परिवार दक्षिण भारत में इस लोकसभा सीट को अपना गढ़ मानता है. इस सीट को केंद्र में रखकर पार्टी को हाल के लोकसभा चुनावों में 42 सीटें मिली हैं. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि प्रियंका के वायनाड से उतरने से गांधी परिवार को उत्तर और दक्षिण, दोनों में मौजूदगी बनाए रखने में मदद मिलेगी.


कांग्रेस आलाकमान शायद प्रियंका को केरल में अपनी सबसे बड़ी गारंटी के रूप में देख रहा है. इसका यह भी मतलब है कि प्रियंका राज्य में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी के अभियान का नेतृत्व करेंगी.