Gandhi Bachchan Family: साल 1987 में सांसद अमिताभ बच्चन ने बीच में अपनी संसद सदस्यता से इस्तीफा दिया तो उस समय के राजनीतिक पंडित इस फैसले पर आश्चर्य नहीं जता रहे थे. अपने बचपन के दोस्त राजीव गांधी के ही कहने पर 1984 के लोक सभा चुनाव में अमिताभ इलाहाबाद सीट से चुनाव लड़े और दिग्गज हेमवती नंदन बहुगुणा को जोरदार पटकनी दी थी. इसके बाद बोफोर्स घोटाले में अमिताभ और उनके भाई अजिताभ का नाम यूं घसीटा गया कि पहले तो वे राजनीति से दूर हुए और फिर गांधी-बच्चन परिवार की दशकों पुरानी दोस्ती भी अंतिम दौर में पहुंच गई. अमिताभ ने गांधी परिवार से किनारा कर लिया. वरना तो अपनी बचपन की कई तस्वीरों में वे राजीव और इंदिरा के साथ खूब देखे गए. गांधी और बच्चन परिवार की ये दोस्ती हरिवंश राय, तेजी बच्चन और नेहरू के जमाने से इलाहाबाद के दिनों से थी.


बरबस ही पुरानी यादें ताजा..


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इसके बाद बच्चन परिवार का कोई भी सदस्य जब जब गांधी परिवार के साथ दिखा तो महज औपचारिक रूप से दिखा. बाद के दिनों में तो जया बच्चन राजनीति में आईं जरूर लेकिन समाजवादी पार्टी के जरिए आईं. उधर अमिताभ अपने पेशेवर जीवन यानी एक्टिंग में ही रमे नजर आए. अब जबकि इतने सालों बाद अचानक संसद परिसर में जया बच्चन सोनिया गांधी के हाथों में हाथ डाले दिखीं जो राजनीति के कई शौकीन बरबस ही पुरानी यादों में खो गए. 


 सोनिया और जया एक साथ संसद में..


असल में वैसे तो यह मौका संसद परिसर में इंडिया गठबंधन के बजट को लेकर विरोध प्रदर्शनका था. विपक्ष ने बजट को भेदभावपूर्ण बताया है. विपक्ष के नेताओं ने बजट में भेदभाव किए जाने को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में कांग्रेस की संसदीय दल प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत विपक्षी दलों के कई नेता मौजूद रहे. इस दौरान जया बच्चन भी वहां पहुंची थीं. 


छोटी सी गुफ्तगू और मुस्कराहट.. 


उनकी मुलाकात का एक वीडियो भी सामने आया है. जिसमें वे दोनों मुस्कुराते हुए एक दूसरे से मिल रही हैं और छोटी सी गुफ्तगू करती नजर आ रही हैं. इसके बाद दोनों अपने अपने रास्ते चल दीं. लेकिन इतनी ही मुलाकात और फिर तस्वीरें, वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गए. क्या गांधी और बच्चन परिवार फिर नजदीक हो रहे हैं? इस सवाल का जवाब लेकिन फिर भी किसी के पास नहीं है. शायद इन परिवारों के पास भी नहीं. 



खैर जो भी हो, इधर विपक्ष ने प्रदशन के समय हाथों में डिमांड करती तख्तियां पकड़ रखी थीं. जिसमें लिखा था कि एनडीए ने इंडिया को नजरअंदाज किया. भारतीय राज्यों को उनका हक दें. बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट मंगलवार को पेश किया. इस बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार को सौगात दी गई. विपक्ष ने लामबंद हो इसे पक्षपात पूर्ण रवैया करार दिया है.