कैसे हैदराबाद बना भारत का हिस्सा? निजाम के क्रूर शासन के अंत और सरदार पटेल की दिलेरी की कहानी
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कैसे हैदराबाद बना भारत का हिस्सा? निजाम के क्रूर शासन के अंत और सरदार पटेल की दिलेरी की कहानी

How Hyderabad Becomes Part of India: जूनागढ़ रियासत पाकिस्तान में शामिल होना चाहती थी. कश्मीर स्वतंत्र रहना चाहता था. लेकिन बाद में सेना की मदद से जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर का विलय में करवाया गया. ये सब हुआ तत्कालीन गृहमंत्री और देश के उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल की कोशिशों से. 

कैसे हैदराबाद बना भारत का हिस्सा? निजाम के क्रूर शासन के अंत और सरदार पटेल की दिलेरी की कहानी

Hyderabad Liberation Day: जब भारत आजाद हुआ तो रियासतों में बंटा हुआ था. उस वक्त करीब 565 रियासतें थीं, जो खुद का राज चाहती थीं. उस वक्त चुनौती थी सशक्त भारत बनाने की और ये रियासतें उसमें सबसे बड़ा रोड़ा थीं. हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर को छोड़कर 562 रियासतों ने भारत में शामिल होने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी. 

जूनागढ़ रियासत पाकिस्तान में शामिल होना चाहती थी. कश्मीर स्वतंत्र रहना चाहता था. लेकिन बाद में सेना की मदद से जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर का विलय में करवाया गया. ये सब हुआ तत्कालीन गृहमंत्री और देश के उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल की कोशिशों से. 

केंद्र सरकार ने हर साल 17 सितंबर को हैदराबाद मुक्ति दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया है. सिकंदराबाद के परेड ग्राउंड में एक भव्य आयोजन किया जाएगा. इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं. इस दौरान राष्ट्रीय झंडा फहराया जाएगा और अर्धसैनिक बल परेड करेंगे. समारोह में दिखाया जाएगा कि किस तरह से हैदराबाद को निजाम के क्रूर शासन से मुक्त कर भारत में शामिल कराया गया था. इस समारोह में केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी चीफ गेस्ट होंगे.

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार ने हैदराबाद मुक्ति आंदोलन के शहीदों के सम्मान में हर साल 17 सितंबर को हैदराबाद मुक्ति दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला उन स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है जिन्होंने हैदराबाद क्षेत्र को अत्याचारी निज़ाम शासन से मुक्त कराकर भारत का हिस्सा बने रहने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. सोशल मीडिया पर पोस्ट में शाह ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है और यह फैसला युवाओं में देशभक्ति की लौ जलाएगा और स्वतंत्रता आंदोलन के हमारे नायकों को अमर कर देगा.

17 सितंबर 1948 को निजाम के शासन से मुक्ति दिलाकर हैदराबाद का भारत में विलय करवाया गया था. तब सरदार पटेल के आदेश पर निजाम के अत्याचारों के खिलाफ भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन पोलो' चलाया. 

यह ऑपरेशन निज़ाम के शासन और रजाकारों के अत्याचारों के खिलाफ एक निर्णायक कार्रवाई थी. रजाकार निजाम  का एक वफादार निजी मिलिशिया था, जो हैदराबाद के स्वतंत्र भारत में विलय का विरोध कर रहा था. लेकिन सेना के एक्शन के आगे हैदराबाद के निजाम और उसकी सेना को झुकना पड़ा. 

हैदराबाद उन चंद रियासतों में से एक था, जिसका विलय आजादी मिलने के 13 महीने बाद हुआ. शुरुआत में भारत और हैदराबाद के बीच शांति बनाए रखने के लिए अग्रीमेंट किया गया. लेकिन जब निजाम के पक्ष ने इसे नहीं माना और हिंसा का सहारा लिया, जब सेना को दखल देना पड़ा.

हैदराबाद मुक्ति आंदोलन को जनता का भरपूर साथ मिला. लोग चाहते थे कि हैदराबाद भारत का हिस्सा बन जाए. लोग उस वक्त सड़कों पर उतरकर वंदे मातरम का नारा लगाते थे. हैदराबाद अपने आकार और सामरिक महत्व की वजह से भी भारत के लिए बेहद अहम था, जिस वजह से सरदार पटेल ने पूरी ताकत झोंककर हैदराबाद को भारत का हिस्सा बनाया.  

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