Uttarakhand UCC: लिव-इन संबंध से जन्मा बच्चा वैध लेकिन... उत्तराखंड यूसीसी बिल पर मन में उठते 11 सवालों के जवाब जान लीजिए
UCC Bill FAQ: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता बिल पेश हो गया है. काफी नियम बदल जाएंगे. मुस्लिम तबका विरोध में है लेकिन भाजपा के एजेंडे में यह रहा है. शादी, तलाक, लिव इन रिलेशनशिप आदि को लेकर काफी कुछ बदलने वाला है.
UCC Bill in Hindi: समानता द्वारा समरसता... समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड 2024 का यही मूल वाक्य है. प्रारूप संहिता में बताया गया है कि करीब ढाई लाख लोगों ने विशेषज्ञ समिति को अपने सुझाव दिए हैं. इसमें विवाह और तलाक, उत्तराधिकार, दंड, लिव-इन रिलेशनशिप, गुजारा भत्ता, सरकारी योजनाओं के लाभ, बेटा-बेटी के अधिकार आदि को लेकर नियम बदले गए हैं. आपके मन में भी सवाल उठ रहे होंगे. आइए ऐसे मन में उमड़ रहे 11 प्रमुख सवालों के जवाब जान लेते हैं.
1. क्या कोई है जिस पर समान नागरिक संहिता लागू नहीं होगी?
अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के परंपरागत अधिकार भारत के संविधान भाग-21 के तहत संरक्षित हैं, उन पर यह संहिता लागू नहीं होगी.
- बच्चा (जैविक बच्चा जिसमें दत्तक, अवैध, सरोगेसी या अन्य तरीके से जन्मा बच्चा)
- प्रतिबंधित संबंध (लिस्ट 1 और लिस्ट 2 में विस्तार से दिया गया है, ज्यादा डीटेल आगे मिलेगी)
- संपदा (किसी भी प्रकार की चल-अचल, स्वअर्जित, पैतृक, जंगम, संयुक्त संपत्ति)
2. क्या दिल्ली में रहने वाले उत्तराखंड के निवासी माने जाएंगे?
निवासी से मतलब उत्तराखंड राज्य के भीतर या बाहर रहने वाले ऐसे भारतीय नागरिक से है जो
- राज्य में कम से कम एक साल से निवास कर रहा हो या
- केंद्र/राज्य सरकार के किसी उपक्रम का स्थायी कर्मचारी हो या
- राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अंतर्गत स्थायी निवासी ठहराए जाने का पात्र हो या
- केंद्र या राज्य सरकार की ऐसी योजना का लाभार्थी हो जो राज्य में लागू हो.
3. क्या एक से ज्यादा शादियां कर पाएंगे?
विवाह और तलाक के कॉलम (धारा 4) में साफ लिखा है कि विवाह के समय न तो वर की कोई जीवित पत्नी हो और न वधू का कोई जीवित पति हो. पुरुष ने 21 साल की आयु और स्त्री ने 18 साल की आयु पूर्ण कर ली हो. विवाह के पक्षकार प्रतिबंधित संबंध के तहत हों या न हों तब भी एक को शासित करने वाली प्रथा उनके बीच विवाह स्वीकृत करती है.
4. क्या विवाह अनुष्ठानों या रीति-रिवाज पर कोई प्रतिबंध है?
नहीं, विवाह अनुष्ठानों पर कोई प्रतिबंध नहीं है. सप्तपदी, निकाह, पवित्र बंधन, आनंद कारज के जरिए विवाह हो सकते हैं.
5. क्या विवाह पंजीकरण कराना जरूरी होगा?
हां, शादी या तलाक के पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी करनी होगी. इसके तहत सब- रजिस्ट्रार कार्यालय में 60 दिन के भीतर ज्ञापन देने का प्रावधान है. इसके अलावा किसी भी पक्षकार द्वारा प्रस्तुत याचिका पर न्यायिक आदेश (धारा 29) द्वारा ही विवाह-विच्छेद यानी तलाक हो सकेगा. किसी दूसरे तरीके से विवाह-विच्छेद नहीं होगा.
6. क्या विवाह के नियम न मानने पर जेल होगी?
- उपेक्षा या झूठ के लिए 3 महीने की जेल या 25 हजार के जुर्माने या दोनों का प्रावधान है
- पंजीकरण नहीं करने पर 10 हजार रुपये तक का अर्थदंड
- उपनिबंधक की निष्क्रियता के लिए 25 हजार रुपये तक का अर्थदंड
7. क्या मनमर्जी से शादी तोड़ने पर 3 साल की सजा मिलेगी?
- विवाह और तलाक पर कानून काफी सख्त हैं. 32वीं धारा में साफ लिखा है कि धारा 4 के उल्लंघन के लिए 6 महीने का साधारण कारावास और 50 हजार रुपये का अर्थदंड लगेगा. अर्थदंड न देने पर एक माह और सजा मिलेगी.
- धारा 29 के उल्लंघन के लिए 3 साल तक जेल और अर्थदंड.
8. क्या गुजारा-भत्ते का भी नियम बदला है?
भरण-पोषण और गुजारे भत्ते का अधिकार वर और वधू दोनों को हासिल होगा.
9. क्या विवाह पंजीकरण नहीं होगा तो सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा?
बिल में कहा गया है कि विवाहों के पंजीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा.
10. उत्तराधिकार के नियम क्या होंगे?
- उन उत्तराधिकारियों को जो अनुसूची 2 के श्रेणी-1 में निर्दिष्ट नातेदार हैं उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी.
- अगर श्रेणी-1 का कोई उत्तराधिकारी ना हो तो अनुसूची 2 के श्रेणी-2 में निर्दिष्ट नातेदारों को प्राथमिकता दी जाएगी.
- अगर खण्ड (1) और (II) में लिखित दोनों श्रेणियों का कोई भी उत्तराधिकारी ना हो तो अन्य नातेदार सम्मिलित किए जाएंगे.
- बेटे और बेटियों को समान अधिकार देने की व्यवस्था.
- भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के प्राविधानों के आधार पर उपरोक्त भाग सम्मिलित किया गया है.
- अविभाजित हिंदू परिवारों (HUF) के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए इस संहिता में सम्मिलित किया गया है.
11. लिव-इन रिलेशनशिप क्या बैन हो जाएगा?
यूसीसी बिल में सहवासी संबंध यानी लिव इन रिलेशनशिप का जिक्र धारा 378-389 में है. इसके तहत लिव इन में रहने वालों को संबंध रखने या संबंध खत्म करने की जानकारी निबंधक को देना अनिवार्य होगा. इसके बाद निबंधक स्थानीय थाना प्रभारी को सूचित करेंगे.
- ऐसे लिव-इन में रहने वालों में से कोई भी 21 साल से कम आयु का हो तो ऐसे सहवासी के माता-पिता या अभिभावकों को निबंधक द्वारा सूचित किया जाएगा. संदिग्ध लगने पर निबंधक थाना प्रभारी को आवश्यक कार्यवाही के बारे में कह सकते हैं.
- लिव इन संबंध से जन्मा कोई भी बच्चा वैध होगा.