UP Assembly Bypolls​: लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अंदर दरार की खबरें सामने आई थीं. अब पूरी पार्टी मशीनरी का ध्यान राज्य में होने वाले 10 विधानसभा उपचुनावों पर है. ज्यादातर सीटों पर उपचुनाव विधायकों के सांसद चुने जाने के कारण हो रहा है. हालांकि, अब तक उपचुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन बीजेपी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है और इसी वजह से पार्टी एक्शन मोड में आ गई है. बीजेपी उपचुनाव से पहले हर मतदाता तक पहुंचने और पार्टी कार्यकर्ताओं की शिकायतों का समाधान के लिए पूरी एक फौज तैयार की है. बीजेपी ने उपचुनाव के लिए 30 मंत्रियों और 15 वरिष्ठ नेताओं को लगाया है.


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सूत्रों ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) 15 'कार्यवाहक' नियुक्त किए हैं, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों को निर्वाचन क्षेत्र सौंपे हैं. संसदीय चुनाव परिणामों की समीक्षा के दौरान उत्तर प्रदेश में पार्टी के भीतर मतभेद उभरने के कुछ महीनों के भीतर ये नियुक्तियां की गई हैं. चुनावी नतीजों के बाद समीक्षा में निष्कर्ष निकला कि राज्य सरकार की मशीनरी द्वारा कथित उपेक्षा को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष ने इसके खराब प्रदर्शन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इस वजह से 2019 के मुकाबले इस बार बीजेपी की संख्या 62 से घटकर 33 हो गई.


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पार्टी और सरकार के बीच नहीं है कोई मतभेद


लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योग आदित्यनाथ की आलोचना करने वालों में से एक उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सार्वजनिक रूप से कहा कि संगठन (पार्टी) सरकार से बड़ा है. इसके बाद सरकार और पार्टी संगठन के बीच मतभेद की खबरें आने लगी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी के एक अंदरूनी सूत्र ने दावा किया है कि पार्टी और सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं है. सूत्र ने कहा कि वे जीत सुनिश्चित करने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.


इस बार कार्यकर्ताओं पर पार्टी का पूरा फोकस


फूलपुर में तैनात किए गए राज्य के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि पार्टी का ध्यान अपने कार्यकर्ताओं की समस्याओं को दूर करने, विकास परियोजनाओं को क्रियान्वित करने और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय करने पर है. बता दें कि 9 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव उन विधायकों के इस्तीफे के बाद होने हैं, जो अब संसद में चले गए हैं. जबकि, शीशमऊ में के विधायक और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता इरफान सोलंकी को भूमि विवाद को लेकर एक महिला को परेशान करने के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई थी.


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यूपी में किन सीटों पर होने वाले हैं उपचुनाव


1. खैर, अलीगढ़
2. मिल्कीपुर, अयोध्या
3. कटेहरी, अंबेडकरनगर
4. मीरापुर, मुजफ्फरनगर
5. सीसामऊ, कानपुर
6. फूलपुर, प्रयागराज
7. गाजियाबाद
8. मझवां, मिर्जापुर
9. कुंदरकी, मुरादाबाद
10. करहल, मैनपुरी


समाजवादी पार्टी के कब्जे में थीं 10 में से 5 सीटें


उत्तर प्रदेश की जिन 10 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं, 2022 के विधानसभा चुनाव में उनमें से 5 सीटें समाजवादी पार्टी के कब्जे में थीं. 2022 के विधानसभा चुनावों में 10 में 5 सीटों पर सपा ने जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा ने तीन और उसकी सहयोगी निषाद पार्टी और आरएलडी (2022 में सपा के साथ) ने एक-एक सीट जीती थी.


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बीजेपी के लिए सबसे अहम है अयोध्या की मिल्कीपुर सीट


अयोध्या जिले की मिल्कीपुर सीट भाजपा के लिए सबसे अहम है. यह फैजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से एक है. अयोध्या सीट भी फैजाबाद लोकसभा सीट का हिस्सा है. राम मंदिर के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने के बावजूद भाजपा ने समाजवादी पार्टी (SP) के अवधेश प्रसाद से संसदीय सीट गंवा दी, जिससे उसकी साख पर आंच आई. भाजपा ने अब उपचुनाव की तैयारियों की निगरानी के लिए एमएलसी अवनीश कुमार सिंह और वरिष्ठ नेता पुष्पेंद्र पासी के अलावा मंत्री सूर्य प्रताप शाही, गिरीश यादव, मयंकेश्वर शरण सिंह और सतीश शर्मा को तैनात किया है.


मिल्कीपुर सीट पर जीत के महत्व पर जोर देते हुए भाजपा के एक नेता ने कहा, 'हमने पहले ही घर-घर जाकर प्रचार अभियान शुरू कर दिया है, जिसमें हम मतदाताओं को बता रहे हैं कि सपा-कांग्रेस गठबंधन ने लोकसभा चुनाव से पहले आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर उन्हें गुमराह किया है. इस बार सरकार और पार्टी के बीच उचित संवाद चैनल बनाए रखा जा रहा है.' लोकसभा चुनाव में जीत के बाद से ही अवधेश प्रसाद पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, जिन्हें अक्सर पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ लोकसभा में देखा जाता है.


करहल सीट भी सपा से छीनना चाहती है बीजेपी


इस बीच, भाजपा सपा से करहल सीट भी छीनना चाहती है, जिसे अखिलेश ने कन्नौज लोकसभा सीट पर जीत के बाद छोड़ दिया था. सत्तारूढ़ पार्टी ने इस सीट पर प्रदेश उपाध्यक्ष बृज बहादुर भारद्वाज के साथ जयवीर सिंह, योगेंद्र उपाध्याय और अजीत पाल को तैनात किया है. भाजपा यहां पहले ही तीन बैठकें कर चुकी है, जिसमें रविवार को उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने एक बैठक में हिस्सा लिया. बृज बहादुर भारद्वाज ने कहा कि सपा यादव परिवार के प्रभाव के कारण सीट जीतती रही है, जो चुनाव जीतने के लिए अनुचित तरीकों का इस्तेमाल करता है. उपचुनाव में ऐसा नहीं होने वाला है, क्योंकि इस निर्वाचन क्षेत्र में बघेल, शाक्य, क्षत्रिय और ब्राह्मण मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है, जो भाजपा का समर्थन करेंगे.


सहयोगी दलों की तीन सीटों पर भी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति


भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने सहयोगी रालोद (मीरापुर) और निषाद पार्टी (मझवां और कटेहरी) द्वारा लड़ी जाने वाली तीन सीटों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है. बिजनौर के पूर्व जिला अध्यक्ष राजीव सिसोदिया मीरापुर में रालोद के अनिल कुमार समेत तीन मंत्रियों के साथ मामलों की देखरेख करेंगे, जबकि मझवां में चार मंत्रियों को तैनात किया गया है. कटेहरी में तीन मंत्रियों को तैनात किया गया है. भाजपा ने कुंदरकी में चार मंत्रियों को तैनात किया है, जिसे सपा के जिया-उर-रहमान ने संभल लोकसभा को बरकरार रखने के लिए छोड़ दिया था. तीन मंत्रियों को गाजियाबाद की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसे पार्टी के मौजूदा गाजियाबाद सांसद अतुल गर्ग ने 2022 में जीता था.


समाजवादी पार्टी भी आई एक्शन मोड में


इस बीच, समाजवादी पार्टी भी एक्शन मोड में आ गई है और पार्टी ने सोमवार को 10 विधानसभा सीटों में से छह के लिए प्रभारी नियुक्त किए हैं. वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव कटेहरी में पार्टी की गतिविधियों की निगरानी करेंगे, जबकि अवधेश प्रसाद और यूपी विधान परिषद के नेता लाल बिहारी यादव को मिल्कीपुर की जिम्मेदारी सौंपी गई है. चंदौली के सांसद बीरेंद्र सिंह को मझवां की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि विधायक इंद्रजीत सरोज करहल और राजेंद्र कुमार को शीशमऊ का प्रभारी बनाया गया है.


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