Explainer: न भारत नाराज हो...ना चीन दिखाए आंख! किस प्रोजेक्ट के लिए शेख हसीना को लगाना पड़ रहा दिल्ली-बीजिंग का चक्कर?
China-India Teesta River: इस बार शेख हसीना के भारत आने की वजह कुछ अलग है. मोदी 3.0 सरकार के गठन के बाद उनकी यह पहली आधिकारिक यात्रा होगी. भले ही कहा जा रहा हो कि दोनों देश डिफेंस पार्टनरशिप, क्रॉस बॉर्डर कनेक्टिविटी, ट्रेड और अन्य चीजों पर बातचीत करेंगे लेकिन परदे के पीछे की कहानी कुछ और है.
Sheikha Hasina India Visit: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 15 दिन में दूसरी बार यानी 21 जून को भारत दौरे पर आ रही हैं. इससे पहले 9 जून को पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वह भारत आई थीं. लेकिन इस बार शेख हसीना के भारत आने की वजह कुछ अलग है. मोदी 3.0 सरकार के गठन के बाद उनकी यह पहली आधिकारिक यात्रा होगी. भले ही कहा जा रहा हो कि दोनों देश डिफेंस पार्टनरशिप, क्रॉस बॉर्डर कनेक्टिविटी, ट्रेड और अन्य चीजों पर बातचीत करेंगे लेकिन परदे के पीछे की कहानी कुछ और है.
प्रोजेक्ट पर दोनों देशों की नजरें
दरअसल असली मुद्दा है तीस्ता नदी परियोजना. इस प्रोजेक्ट पर चीन भी नजर गड़ाए हुए है. जबकि भारत इसे लेकर चिंता जता चुका है. तीस्ता नदी के अपने हिस्से की खुदाई और विकास की योजना, भारत और चीन के बीच विवाद का कारण बन गई है, वह भी ऐसे समय में जब पड़ोस में दो एशियाई महाशक्तियों के बीच मुकाबला बढ़ रहा है.
दरअसल तीसरा नदी व्यापक प्रबंधन और बहाली परियोजना को चीन लंबे समय से हासिल करना चाहता है. एक बिलियन डॉलर की लागत से इसका रेस्टोरेशन किया जाना है. चीन इस प्रोजेक्ट के लिए प्रोपोजल भी भेज चुका है. वहीं भारत ने भी इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई है.
इस साल जनवरी में बांग्लादेश ने इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. लेकिन शेख हसीना के एक बार फिर सत्ता में लौटने के बाद भारत और चीन इस परियोजना के लिए दोनों ही एक्टिव हो गए हैं. तीस्ता नदी भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए हायड्रो पावर और सिंचाई के लिए बेहद अहम है. लेकिन भारत इसका पानी साझा करना नहीं चाहता, जो दोनों देशों के बीच काफी वक्त से तनाव का कारण भी रहा है.
रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील इलाका
दरअसल जिस इलाके में यह प्रोजेक्ट है, वहां चीन को रणनीतिक रूप से बड़ा फायदा मिल सकता है और भारत यह किसी भी सूरत में नहीं चाहता. यह प्रोजेक्ट सिलिगुड़ी कॉरिडोर के पास बनेगा, जिसको चिकन नेक कहा जाता है. यही देश के बाकी हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत से जमीन से जुड़ा इकलौता जरिया है.
एक कारण ये भी है कि इस वक्त बांग्लादेश की इकोनॉमी डगमगाई हुई है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है. डबल डिजिट वाली महंगाई भी लोगों की कमर तोड़ रही है. ऐसे में चीन इस मौके को भुनाने के लिए उसे मदद दे रहा है. उसने बांग्लादेश को 5 बिलियन डॉलर का आसान लोन दिया है.
दरअसल, चीन बांग्लादेश के साथ जो गेम खेल रहा है, वह भारत के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है. बांग्लादेश की आर्थिक कमजोरी का ही चीन फायदा उठाना चाहता है और बंगाल की खाड़ी में जो भारत का प्रभुत्व है, इस परियोजना ने उसे इसी का मौका दे दिया है.
अगर चीन को यह प्रोजेक्ट मिल गया तो यकीनन भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते बिगड़ जाएंगे. मई के महीने में भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा बांग्लादेश के दौरे पर गए थे. उस वक्त भारत ने भी रिवर डेवेलपमेंट के लिए फंडिंग देने की पेशकश की थी.
चीन की नजर चिकन नेक पर
भारत का डर इस बात को लेकर है कि अगर चीन ने यह प्रोजेक्ट हथिया लिया तो इस संवेदनशील इलाके में उसके कर्मचारी काम करेंगे. इतना ही नहीं कर्मचारियों के भेष में उसके जासूस और सैनिक भी हो सकते हैं जो इलाके की छानबीन और निगरानी करेंगे. लिहाजा जब शेख हसीना भारत आएंगी तो यह मुद्दा उनके सामने जरूर उठाया जाएगा.
एक तरफ चीन है तो दूसरी तरफ भारत. दोनों ही पड़ोसी देश बांग्लादेश के लिए बेहद अहम हैं. बीते कुछ वर्षों में भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते बेहद मजबूत हुए हैं. भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार भी बेहतर हुआ है. ऐसे में शेख हसीना भारत को नाराज करने का जोखिम शायद ही उठाएं. ऐसे में उनको कोई ऐसा तरीका ढूंढना होगा, जिससे भारत को नुकसान ना हो और उसका प्रोजेक्ट भी पूरा हो जाए.