Noida Anti- Waterlogging Arrangements: प्री-मॉनसून की बरसात में शुक्रवार को दिल्ली पानी में डूब गई लेकिन उससे सटा नोएडा हर बार की तरह इस समस्या से बच निकला. आखिर नोएडा में ऐसे क्या इंतजाम हैं कि यहां पर कभी जलभराव नहीं होता.
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Arrangements to Stop Waterlogging in Noida: दिल्ली में प्री-मॉनसून की पहली बारिश ने ही जलभराव से निपटने के दावों की पोल खोलकर रख दी है. इस बरसात में इतना पानी बरसा कि पूरी दिल्ली पानी- पानी हो गई और सारा ट्रैफिक जहां का तहां थमकर रह गया. इस जलभराव के बाद जहां बीजेपी केजरीवाल सरकार पर हमलावर है और उस पर सवालों के तीर दाग रही है. वहीं केजरीवाल सरकार इस जलभराव के लिए अचानक हुई भारी बारिश को जिम्मेदार ठहरा रही है. लेकिन सवाल उठता है कि दिल्ली जितनी ही बारिश तो नोएडा में भी हुई, फिर यहां पर कोई जलभराव नहीं हुआ. यहां पर आखिर ऐसे क्या इंतजाम हैं कि कभी भी दिल्ली- गुरुग्राम की तरह लोगों को जलभराव नहीं झेलना पड़ता.
नोएडा में क्यों नहीं होता जलभराव?
एक्सपर्टों के मुताबिक अगर दिल्ली सरकार नोएडा की तरह प्लानिंग करे यहां पर कभी भी भयानक जलभराव नहीं हो सकता. असल में नोएडा में 2 बड़े नाले हैं, जिनसे शहर के छोटे- छोटे तमाम नाले जुड़े हैं. सभी सेक्टर और गांव इन छोटे नालों से जुड़े हुए हैं. जैसे ही पानी बरसता है, वह नालियों से होता हुआ छोटे नालों में पहुंचता है और फिर वहां से बड़े नालों में पहुंच जाता है. इसके बाद वह पानी बड़े नालों से होकर यमुना में बह जाता है.
इन छोटे- बड़े नालों की सफाई के लिए हर साल अप्रैल से जून तक सफाई अभियान चलाया जाता है, जिसके तहत उनकी तलहटी में जमी गाद को निकाल दी जाती है. इसके बाद गाद सूखने पर उसे भरकर डंपिंग ग्राउंड में भेज दी जाती है. इस प्रोटोकॉल के चलते हर साल मॉनसून आने पर शहर के नाले काफी हद तक साफ मिलते हैं, जिससे बरसात का पानी उनसे होते हुए बह जाता है.
अंडरपासों में भी नहीं भरता पानी
यही नहीं, नोएडा में बड़ी- बड़ी सड़कों पर करीब 12 अंडरपास भी बने हुए हैं. नोएडा अथॉरिटी ने उन अंडरपास के अंदर एक कमरा बना रखा है, जिसमें अच्छी क्वालिटी वाले इंजन और डीजल रखे रहते हैं. अथॉरिटी की एक टीम साल के 12 महीने लगातार मौसम की गतिविधियों को ट्रैक करती रहती है. इस टीम को जिस दिन भी बारिश की संभावना की रिपोर्ट मिलती है तो सभी अंडरपास में कर्मचारी तैनात कर दिए जाते हैं, जो बरसात होने पर उन जेनरेटर को चलाकर पानी को साथ के साथ बाहर फेंक देते हैं.
इसके अलावा नोएडा अथॉरिटी ने शहर में लो- लेवल वाले कई इलाके भी चिह्नित कर रखे हैं, जो नालियों से नीचे हैं. मॉनसून के दिनों में अथॉरिटी की ओर से वहां पर इंजन सेट के साथ कर्मचारियों की तैनाती की जाती है. जो जेनरेटर चलाकर उन इलाकों से पानी को निकालकर पास के नाले में बहा देते हैं. अथॉरिटी में चाहे किसी भी अधिकारी की ट्रांसफर- पोस्टिंग हो, यह प्रोटोकॉल हमेशा लागू रहता है. यही वजह है कि आज तक नोएडा में कभी भी दिल्ली या गुरुग्राम की तरह जलभराव की समस्या नहीं हुई.
मंत्री आतिशी ने दिल्ली में जलभराव पर दी सफाई
अब दिल्ली की बात करें तो शुक्रवार को हुए जलभराव के बाद दिल्ली की विकास मंत्री आतिशी ने प्रेसवार्ता करके अपनी सफाई दी है. आतिशी ने कहा, 'हमने पिछली बारिश तक लगभग 200 हॉटस्पॉट की पहचान की है. इनमें से 40 हॉटस्पॉट PWD द्वारा सीसीटीवी निगरानी में हैं. आपको यह समझना होगा कि अगर दिल्ली में 228 मिमी बारिश होती है तो जलस्तर कम करने के लिए तो इसमें समय लगेगा.'
उन्होंने कहा, 'अभी दिल्ली में नालों की क्षमता से ज्यादा बारिश हो रही है, इसलिए जगह-जगह जलभराव देखने को मिल रहा है. भारी बारिश के कारण जलभराव की समस्या को लेकर हमने एक आपात बैठक की. इसकी अध्यक्षता दिल्ली सरकार के 4 मंत्रियों ने की. इसमें दिल्ली सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. हमने आने वाले दिनों के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए.'
एलजी विनय सक्सेना भी हो गए एक्टिव, अफसरों से की बैठक
उधर दिल्ली में जलभराव को देखते हुए एलजी विनय सक्सेना भी एक्टिव हो गए हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार और नगर निगम के अफसरों के साथ बैठक करके मॉनसून में जलभराव से निपटने के तरीकों पर चर्चा की. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे दिल्ली में जलभराव से निपटने के इंतजामों को तुरंत लागू करें, जिससे दोबारा से ऐसी स्थिति न हो.
उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई नालों से 15 जून तक सिल्ट निकालने के लिए सरकार की ओर से जारी होने वाला फ्लड कंट्रोल ऑर्डर अब तक पैंडिंग है. एलजी ने कहा कि यह ऑर्डर आमतौर पर सीएम के नेतृत्व में होने वाली शीर्ष कमेटी की बैठक के बाद जारी किया जाता है. लेकिन वह बैठक संबंधित मंत्री के जरिए अब तक पैंडिंग है.