Politics On Waqf Board Amendment Bill: मानसून सत्र के दौरान गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक, वक्फ बोर्ड अधिनियम में बड़े बदलाव करने को लेकर मोदी सरकार संसद में दो विधेयक लाने वाली है. लोकसभा में इस विधेयक को सुबह 11 बजे अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू पेश करने वाले हैं. पहले विधेयक जरिए वक्फ कानून 1923 को समाप्त करने और दूसरे के माध्यम से वक्फ कानून 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन किए जाएंगे.


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लोकसभा सांसदों को मंगलवार रात को दी गई विधेयक की कॉपी


ये विधेयक पास होने के बाद वक्फ कानून 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 होगा. लोकसभा सांसदों को मंगलवार रात को वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन विधेयक की कॉपी दी गई थी. इससे उन्हें सदन में बहस की तैयारी करने के लिए कापी कंटेंट मिल जाएगा. उन्हें यह भी पता चला कि विधेयक पेश होने के बाद वक्फ बोर्ड अधिनियम में क्या-क्या बदलाव होने वाले हैं. इसके साथ ही संसद के दोनों सदनों में बवाल और हंगामे का नया दौर शुरू होने की गुंजाईश है. 


वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन विधेयक को लेकर जदयू को एतराज


रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन विधेयक को लेकर एनडीए के सहयोगी दल जदयू के एतराज भी सामने आए हैं. वहीं, विपक्षी दलों का तो कहना ही क्या है. विपक्ष के कई दलों ने विधेयक की कॉपी मिलने से पहले कयासों पर ही केंद्र सरकार को घेरने की शुरुआत कर दी थी. आइए, जानते हैं कि वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक क्या है? मोदी सरकार इसे क्यों ला रही है और अपने-पराए के विरोधों के बीच इसे कैसे पास करवाएगी? 


वक्फ बोर्ड अधिनियम क्या है? इसका मकसद और इसकी ताकत क्या है?


वक्फ बोर्ड एक्ट इस्लाम को मानने वालों की प्रॉपर्टी और धार्मिक संस्थानों के मैनेजमेंट और रेगुलेशन के लिए बनाया गया केंद्र सरकार का कानून है. इस एक्ट का मकसद वक्फ संपत्तियों का उचित संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना है ताकि धार्मिक और चैरिटेबल काम के लिए इनका उपयोग हो सके. वक्फ अरबी शब्द है और इसका मतलब 'रोकना' या 'समर्पण करना' है. इस्लाम में वक्फ की संपत्ति एक स्थायी धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में इस्तेमाल की जाती है.


वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए सभी राज्य में एक वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है. यह बोर्ड वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन करता है. वक्फ बोर्ड को वक्फ संपत्तियों की देखरेख, मरम्मत और विकास की जिम्मेदारी दी गई है. वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए एक स्पेशल कोर्ट का गठन किया गया है. 


देश में फिलहाल 30 वक्फ बोर्ड, चौंका देने वाली है इनकी संपत्तियों की लिस्ट


देश में फिलहाल 30 वक्फ बोर्ड हैं. सूत्रों के मुताबिक सभी वक्फ प्रॉपर्टीज से हर साल 200 करोड़ रुपये का राजस्व आने का अनुमान है. पूरे भारत में वक्फ बोर्ड के पास करीब 52,000 संपत्तियां हैं. 2009 तक चार लाख एकड़ भूमि पर 3,00,000 पंजीकृत वक्फ संपत्तियां थीं. इसके मुकाबले अब आठ लाख एकड़ से अधिक जमीन पर 8,72,292 ऐसी संपत्तियां हैं. 


सऊदी और ओमान समेत दुनिया के किसी भी देश में वक्फ बोर्ड के पास इतनी ताकत या संपत्ति नहीं हैं. वक्फ बोर्ड सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद देश में जमीन का तीसरा सबसे बड़ा मालिक बन गया है. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति है. यूपी में सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं. वक्फ से अर्जित राजस्व का इस्तेमाल सिर्फ मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए किया जा सकता है. हालांकि, वक्फ बोर्ड दरगाह की परंपराओं को मान्यता नहीं देते हैं, क्योंकि ऐसी कई परंपराएं शरीयत में नहीं हैं.


वक्फ बोर्ड एक्ट में कब-कब हुआ बदलाव, अब मोदी सरकार क्या चाहती है?


वक्फ एक्ट 1954 को बाद में संशोधित करके वक्फ एक्ट, 1995 के रूप में पारित किया गया. इसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन से संबंधित प्रावधानों को और अधिक स्पष्ट और प्रभावी बनाया गया. इसके बाद वक्फ बोर्ड एक्ट में 2013 में कई बदलाव किए गए. मोदी सरकार अब इसी कानून में लगभग 40 संशोधन करना चाहती है. सरकार का दावा है कि ऐसा करने से वक्फ बोर्ड की शक्तियां पहले के तुलना में और पारदर्शी हो जाएंगी. इसके पास हो जाने के बाद पहली बार वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं की भागादारी सुनिश्चित होगी.


मुस्लिम समुदाय के भीतर से उठ रही मांगों के बाद सरकार ने उठाया ये कदम 


बीते शुक्रवार को ही पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में वक्फ बोर्ड अधिनियम विधेयक के 40 संशोधनों को मंजूरी मिली है. संसद के मौजूदा सत्र में ही इस बिल को पास कराने की तैयारी है. विधेयक में वक्फ बोर्ड की जमीन या संपत्ति की निगरानी में अब मजिस्ट्रेट को भी शामिल करने का प्रस्ताव है. सरकार का दावा है कि मुस्लिम समुदाय के भीतर से उठ रही मांगों की रोशनी में यह कदम उठाया गया है. प्रस्तावित विधेयक के मुताबिक, विभिन्न राज्य बोर्ड की ओर से दावा की गई विवादित भूमि का नए सिरे से सत्यापन भी किया जाएगा.


जस्टिस सच्चर आयोग और संसद की संयुक्त समिति की सिफारिशों का हवाला 


सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन के लिए जस्टिस राजिंदर सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति की सिफारिशों का हवाला दिया है. इसके अलावा हाई कोर्ट के कुछ मुस्लिम जजों ने कहा था कि वक्फ बोर्ड के लिए गए फैसले को अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती. प्रस्तावित संशोधन विधेयक में इसे सही करने का प्रयास किया जा रहा है. बोहरा और मुस्लिम समुदाय के दूसरे कई फिरके के सदस्यों ने भी वक्फ बोर्ड कानून की विसंगतियों का मुद्दा उठाया है. अल्पसंख्यकों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए वक्फ बोर्ड के दूसरे कई कामों में शामिल होने की शिकायतें भी सरकार को मिली हैं.


वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन विधेयक पर राजनीतिक हंगामे की शुरुआत


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियास ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार हमेशा ऐसा करना चाहती थी. लोकसभा चुनाव 2024 खत्म होने के बाद, हमने सोचा था कि उसके रवैये में बदलाव आएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि, मुझे लगता है कि यह सही कदम नहीं है.’’ वकील रईस अहमद ने कहा कि यह एक गलत धारणा है कि वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर दावा कर सकता है. 


ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘‘भाजपा शुरू से ही वक्फ बोर्ड और वक्फ प्रॉपर्टी के खिलाफ रही है. उसने अपने हिंदुत्व एजेंडे के तहत वक्फ संपत्तियों और वक्फ बोर्ड को खत्म करने की कोशिश शुरू की है.’’ आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने बिल की आलोचना की है. वहीं, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बिल के खिलाफ बयान दिया है. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार की निगाह कहीं और है, निशाना कहीं और. धर्म विशेष को टारगेट करने के लिए विवादित मुद्दों को उठाया जा रहा है. 


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी ने भी जताया एतराज


जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी बिहार शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अफजल अब्बास ने बिल में संशोधन का विरोध करते हुए कहा, ‘पहली बात यह कि इन लोगों को चाहिए था कि पहले समाज के लोगों ले मिलकर बात करे और फिर कोई बिल लाए. दूसरी बात यह कि वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी हमारे पुर्वजों ने समाज के हित के लिए दान किया था. अब इसको कमजोर करने की तैयारी चल रही है.’ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी विधेयक का विरोध किया है और बदलाव को नहीं मानने की बात कही है.


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कई मुस्लिम संगठनों ने विधेयक को बताया वक्ती जरूरत, लंबे सय से बदलाव की मांग


यूपी सरकार के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता मोहसिन रजा ने कहा कि पूरे देश और समाज की मांग थी कि ऐसा कानून आना चाहिए. वक्फ बोर्ड ने 1995 के कानून का बहुत दुरुपयोग किया है. वक्फ वेलफेयर फोरम के चेयरमैन जावेद अहमद ने सरकार की मंशा सही बताते हुए दावा किया कि नया बिल अगर ढंग से लागू हो सका तो माइनोरिटी को काफी फायदा होगा. ऑल इंडिया सज्जादानशीन काउंसिल ने भी इस बिल का स्वागत करने का ऐलान किया है.


भाजपा नेता अजय आलोक ने कहा, ‘‘वक्फ बोर्ड में सुधार की मांग कोई नयी बात नहीं है, यह पिछले 30-40 साल से चल रही है. जो लोग यह मांग उठा रहे हैं और इससे प्रभावित हैं, वे खुद मुसलमान हैं. वक्फ बोर्ड में सुधार की जरूरत है और मुझे उम्मीद है कि जब भी यह विधेयक पेश किया जाएगा, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस इसका समर्थन करेंगी.’’


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