`अल्लाह ने चाहा तो बहुमत में होंगे, पूरे देश में मुसलमानों का राज होगा`, कौन हैं फिरहाद हकीम, जिनके बयान पर मचा बवाल
Who is Firhad Hakim: अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले कोलकाता के मेयर और टीएससी मंत्री फिरहाद हकीम एक बार सुर्खियों में हैं. पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री फिरहाद हकीम का एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें वह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि अल्लाह ने चाहा तो राज्य और देशभर में मुसलमानों की आबादी जल्द ही बहुमत में हो जाएगी. कौन हैं फिरहाद हकीम. जिनके बयानों का बचाव कर रही ममता सरकार.
Firhad Hakim controversy remark: ममता बनर्जी के विशेष आशीर्वाद और गलतियों के बाद भी कुछ नहीं सजा देने वाले मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम अक्सर जोश में होश खोकर बेलगाम कुछ भी बोल जाते हैं. कुछ ऐसा एक बार फिर हुआ है. जिसके बयान के बाद टीएमसी पार्टी उनके बयानों के बचाव में उतर आई है. वैसे भी विवादित बयानों से फिरहाद हकीम का शुरू से चोली दामन का रिश्ता रहा है. इनके बयानों को लेकर विरोध व हंगामा के अतिरिक्त इनके विरूद्ध कभी भी किसी भी तरह की अदालती, प्रशासनिक या दलीय कोई कार्रवाई हुई ही नहीं. लिहाजा इनके बिवादित बयान लगातार आते रहे.
सबसे पहले जानें फिरहाद हकीम का ताजा बयान
अल्पसंख्यक छात्रों के एक कार्यक्रम में शुक्रवार को पहुंचे फिरहाद हकीम ने विवादित बयान देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में हम 33 फीसदी हैं. पूरे देश में हम 17 फीसदी हैं, इसलिए हम अल्पसंख्यक कहलाते हैं. लेकिन आने वाले दिनों में हम अल्पसंख्यक नहीं रहेंगे. हम सोचते हैं कि अगर अल्लाह चाहते हैं तो बहुमत होंगे. उन्होंने कहा कि कुछ भी होने से मोमबत्ती रैली करते हैं. ऐसा रुतबा होना चाहिए कि तुम जस्टिस नहीं मांगोगे तो जस्टिस देने के लायक होगे
टीएमएसी पार्टी का बचाव
कोलकाता के मेयर और तृणमूल कांग्रेस सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम द्वारा हाल ही में दिए विवादित बयान पर तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार में पश्चिम बंगाल में सभी धर्मों के लोग सम्मान से रहते हैं. कुणाल घोष ने कहा "फिरहाद हकीम ने अभी तक जो कहा है, उसका पूरा विवरण हमारे पास नहीं है. इसलिए, उनके द्वारा कही गई बातों के बीच से एक या दो वाक्य उठाकर इस पर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. ममता बनर्जी की सरकार में सभी धर्मों के लोग जिनमें हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन और अन्य धर्म के लोग समान सम्मान से रहते हैं. हम हर किसी की स्थिति का सम्मान करते हैं और सभी धर्मों तथा समुदायों के प्रति हमारा आदर और सम्मान है. फिरहाद हकीम ने जो कहा है, उस पर अभी हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे."
कौन हैं फिरहाद हकीम
कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम बंगाल में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के सबसे प्रमुख अल्पसंख्यक नेताओं में से एक हैं. वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भी सबसे भरोसेमंद नेता माने जाते हैं. विधानसभा में वे कोलकाता पोर्ट सीट से प्रतिनिधित्व करते हैं और पिछले कई बार से इस अल्पसंख्यक बहुल सीट से लगातार जीतते आ रहे हैं. 2011 में ममता बनर्जी के बंगाल की सत्ता में पहली बार आने के बाद से ही वे लगातार मंत्री पद की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
ममता सरकार में लगातार तीसरी बार मंत्री
ममता बनर्जी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार बनी सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया और फिलहाल वह पश्चिम बंगाल सरकार में शहरी विकास और नगर निगम मामलों और आवास के कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्यरत हैं. वे कोलकाता पोर्ट से तृणमूल कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं. वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मनमुटाव के बाद पूर्व मंत्री शोभन चटर्जी के नवंबर, 2018 में कोलकाता के मेयर पद से इस्तीफे के बाद ममता ने फिरहाद को ही मेयर की जिम्मेदारी भी सौंपी थी. तबसे वह कोलकाता के 38वें मेयर के रूप में कार्यरत हैं.
विवादों से रहा हमेशा नाता
वे अक्सर अपने बयानों को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं. वह नारद स्टिंग मामले में भी आरोपित हैं. नारद स्टिंग मामले में सीबीआइ ने फिरहाद समेत तृणमूल के कई नेताओं को गिरफ्तार भी किया था. हालांकि बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट से उन्हें सशर्त जमानत मिल गई थी. विवादित बयान के लिए तो हकीम बहुत बदनाम हैं. 3 जुलाई 2024 को एक दिए बयान में गैर-मुस्लिमों को बदकिस्मत बताया था और सार्वजनिक तौर पर इस्लाम कबूल करने का आह्वान किया था. अप्रैल 16 में कोलकाता के मुस्लिम बहुल इलाके खिदिरपुर व मटियाबुर्ज को 'मिनी पाकिस्तान' करार दिया था. फरवरी 21 में कोलकाता के ही एक मस्जिद में राजनीतिक भाषण देते हुए देखा और सुना गया था.
बीजेपी ने फिरहाद को घेरा
विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम के बयान पर भी कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि वह (फिरहाद) चाहते हैं कि उनका धर्म लोग ग्रहण करें. वह सपना देख रहे हैं कि जनसंख्या के जरिये वे बहुसंख्यक में होंगे. उनकी संख्या अधिक होने पर बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जो हो रहा है, वही होगा. 50 प्रतिशत उनकी आबादी बढ़ जाने पर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को चालू कर देते हैं. वे लोग संविधान नहीं मानते हैं.