Challenges Maharashtra new CM Devendra Fadnavis: सत्ता में दमदार वापसी करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार की शाम दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में एक भव्य समारोह में तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत ‘महायुति’ गठबंधन के नेताओं एकनाथ शिंदे और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी गई. समारोह के तुरंत बाद, फडणवीस, शिंदे और पवार एक साथ दक्षिण मुंबई में स्थित राज्य सचिवालय मंत्रालय पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री ने नयी सरकार की पहली मंत्रिमंडल बैठक की अध्यक्षता की और संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया. इस संबोधन में कही गई देवेंद्र फडणवीस की एक लाइन पर सभी की नजरें हैं, आइए जानते हैं आखिर क्या है वह लाइन, किस पर देवेंद्र फडणवीस ने कसा तंज, देवेंद्र फडणवीस के आगे सीएम के तौर पर क्या हैं महाराष्ट्र में चुनौ


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

20-20 खत्म अब टेस्ट होगा: देवेंद्र फडणवीस
शपथ ग्रहण के बाद देवेंद्र फडणवीस ने संवाददाता सम्मेलन में अपना पहला बयान देते हुए फडणवीस ने कहा, "जब मैंने शिंदेजी के साथ शपथ ली थी, तब यह 50 ओवर का मैच था, जब अजित पवार शामिल हुए तो यह 20-20 हो गया. अब टेस्ट होगा.


टेस्ट की बात कहने का देवेंद्र फडणवीस का क्या है मायने?
देवेंद्र फडणवीस ने अपनी इस लाइन में पूरे महाराष्ट्र की जनता, अफसरों और नेताओं को एक संदेश दे दिया है कि अब उनका कार्यकाल पूरे पांच साल होने वाला है. इसके पहले 2019 में फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. लेकिन सरकार मुश्किल से 72 घंटे चली. शिंदे जो 2022 से 2024 तक मुख्यमंत्री थे, इनके कार्यकाल में देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम के तौर पर नजर आए, लेकिन 2024 में अब वह पूरे पांच साल तक सीएम रहने वाले हैं.


टेस्ट शब्द बोलकर देवेंद्र फडणवीस ने बता दिया अपना इरादा
देवेंद्र फडणवीस ने अपने संबोधन में टेस्ट शब्द का जिक्र करके यह बता दिया है कि उनका कार्यकाल टेस्ट मैच की तरह है. अब नौकरशाहों को (दीर्घकालिक) उसी के अनुसार निर्णय लेने की आवश्यकता है." तभी तो देवेंद्र ने कहा "भले ही हमारी भूमिकाएँ (मुख्यमंत्री/उपमुख्यमंत्री) बदल गई हों, हम राज्य के व्यापक कल्याण के लिए अधिक समन्वय के साथ उसी दिशा में काम करेंगे. मैं महाराष्ट्र के 14 करोड़ लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूँ, जिन्होंने हमें भारी जनादेश के माध्यम से बड़ी ज़िम्मेदारियाँ सौंपी हैं.


देवेंद्र फडणवीस की क्या है पहली प्राथमिकता?
हम अपने घोषणापत्र में लिखे सभी वादों को पूरा करेंगे और सभी वर्गों को साथ लेकर चलेंगे," उन्होंने कहा, उन्होंने कहा कि वे विपक्ष का सम्मान उनकी संख्या के आधार पर नहीं बल्कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों के आधार पर करेंगे.  "हम अपने चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए समर्पित एक पारदर्शी सरकार का वादा करते हैं। लड़की बहन योजना जारी रहेगी और भत्ता 1500 रुपये से बढ़ाकर 2100 रुपये किया जाएगा," उन्होंने कहा। उन्होंने कहा, "हमने पहले ही प्रत्येक पार्टी के लिए मंत्री पद और विभागों के साथ-साथ कैबिनेट संरचना तय कर ली है। कुछ मुद्दे हैं जिन्हें ठीक किया जाना है और जल्द ही किया जाएगा। नागपुर में शीतकालीन सत्र से पहले कैबिनेट विस्तार होगा।"


सीएम पद की राह में रोड़ा थे शिंदे?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के बाद भी सीएम पद को लेकर तकरार थी, शिंदे अपने सीएम पद को छोड़ना नहीं चाहते थे. जिसको लेकर कई दिनों तक अटकलें लगती रहीं. अंत में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेकर अपनी पहली बाधा तो पार कर ली है. लेकिन महायुति गठबंधन सरकार और देवेंद्र फडणवीस की अपनी मुसीबतें कम नहीं हुई हैं. 


अब देवेंद्र फडणवीस के सामने क्या है चुनौती?
देवेंद्र फडणवीस के सामने अब कैबिनेट के गठन को लेकर एक बड़ी जिम्मेदारी है. वैसे तो सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के कोटे से 20 मंत्री हो सकते हैं. बीजेपी गृह और वित्त मंत्रालय भी अपने पास रखेगी. वहीं सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना के कोटे से 13 मंत्री तो वहीं एनसीपी के कोटे से 10 मंत्री हो सकते हैं. क्या यह अजित पवार और शिंदे मानेंगे. यह देखना अब दिलचस्प होगा.


शिंदे और पवार को साथ लेकर चलना होगा
महायुति गठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी ने राज्य का नेतृत्व करने के लिए फडणवीस पर काफी भरोसा जताया है. मुख्यमंत्री के तौर पर अपने तीसरे कार्यकाल में फडणवीस को महाराष्ट्र के लोगों के बीच लोकप्रिय नेता के तौर पर एक शिंदे की जगह लेनी होगी. हालांकि फडणवीस ने बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले कार्यकाल के दौरान अपनी योग्यता साबित कर दी है, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं और फडणवीस खुद इसे महसूस करते हैं. इस बार एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ उन्हें चलना होगा.


जातिगत समीकरण और मराठा आंदोलन को साधने की जिम्मेदारी
जातिगत मुद्दे महाराष्ट्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं। भाजपा ने ओबीसी और मराठा समुदायों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। हालांकि मराठा आरक्षण की माँग शांत होती दिख रही है, लेकिन फडणवीस को इस समस्या का स्थायी समाधान खोजना होगा ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो. यानी अब असली देवेंद्र की अग्नीपरीक्षा होनी अभी बाकी है.