Himachal Congress Internal Strife: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भाजपा की सरकार आम जनता के हित में जिस तरह के फैसले ले रही है. अब उसी राह पर अब कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश भी चल निकला है. हिमाचल में कांग्रेस के नेता की तरफ से शिमला की विवादित संजौली मस्जिद का मामला उठाया गया. फिर एक के बाद एक इस तरह के कई मामले हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में बवाल का कारण बन गए.


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संगठन और सरकार में सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि बनाने की कोशिश


इसके बाद हिमाचल कांग्रेस और हिमाचल प्रदेश सरकार में सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि बनाने की कोशिशों ने स्पीड पकड़ ली है. स्थानीय लोगों को आकर्षित करने, बहुसंख्यक आबादी को अपने साथ जोड़ने या विपक्षी भाजपा को उसी की पिच पर कड़ी टक्कर देने के चक्कर में हिमाचल कांग्रेस की यह कोशिश पार्टी में अंदरूनी कलह की वजह भी बनती जा रही है. इसकी गूंज दिल्ली में 24, अकबर रोड और 10, जनपथ तक भी पहुंच रही है.


वक्फ बोर्ड  पर कांग्रेस की लाइन से अलग विक्रमादित्य सिंह की राय


वक्फ बोर्ड में संशोधन को लेकर जो केंद्र सरकार की तरफ से संसद में रखा गया तो कांग्रेस इस विधेयक का विरोध कर रही थी. इस विधेयक को जेपीसी के पास भेज दिया गया. वहीं, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के नेता और हिमाचल सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर पार्टी लाइन से अलग बयान देते दिखे. वह इस कानून में सुधार के पक्ष में बयान देते दिखे. लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने वक्फ बोर्ड में सुधार की जरूरत की बात कही. 


वक्फ बोर्ड में भी बदलते समय के साथ सुधार की आवश्यकता
 
उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, ''हिमाचल और हिमाचलियत के हित सर्वश्रेष्ठ, सर्वत्र हिमाचल का संपूर्ण विकास. जय श्री राम! समय के साथ हर कानून में तब्दीली लाना आवश्यक है. वक्फ बोर्ड में भी बदलते समय के साथ सुधार की आवश्यकता है.'' अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समय से ही विक्रमादित्य सिंह हिंदुत्व के मुद्दे पर लगातार पार्टी लाइन से अलग रूख अपनाते दिख रहे हैं.


हिमाचल में डेमोग्राफी के बदलाव को लेकर सड़कों पर उतरे लोग 


इसके बाद, विक्रमादित्य सिंह को योगी सरकार का मॉडल भा गया. देव भूमि हिमाचल की जनता वहां की डेमोग्राफी के बदलाव को लेकर सड़कों पर विरोध कर रही है. इस बीच, विक्रमादित्य सिंह ने ऐलान कर दिया कि हिमाचल में भी अब उत्तर प्रदेश की तरह हर भोजनालय और फास्ट फूड रेहड़ी पर मालिक और कर्मचारियों की आईडी लगाई जाएगी, ताकि लोगों को किसी भी तरह की परेशानी न हो. इसके लिए शहरी विकास विभाग और नगर निगम की बैठक में निर्देश जारी कर दिए गए हैं.


योगी मॉडल अपनाने से कांग्रेस के भीतर पक्ष-विपक्ष में लामबंदी


दरअसल, ऐसा ही फैसला यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाल ही में जारी किया है. अब, कांग्रेस के भीतर ही हिमाचल सरकार के इस फैसले के खिलाफ बवाल शुरू हो गया है. कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता हिमाचल सरकार के इस फैसले की मुखालफत कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ने भी विक्रमादित्य सिंह के इस फैसले के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है. हालांकि, विक्रमादित्य सिंह को हिमाचल कांग्रेस के कई नेताओं का समर्थन भी मिला है.


विक्रमादित्य सिंह के फैसले के ऐलान से पार्टी आलाकमान नाखुश 


कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, विक्रमादित्य सिंह के इस फैसले के ऐलान से पार्टी आलाकमान नाखुश है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत पार्टी हाईकमान नाराज है. ऐसे में यह भी सूचना मिल रही है कि विक्रमादित्य सिंह को इस मामले पर पार्टी हाईकमान ने दिल्ली तलब किया और उन्हें फटकार भी लगाई है. इसके साथ ही हिमाचल सरकार के इस फैसले को लेकर विक्रमादित्य सिंह ने प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला को मामले की जानकारी दी है.


हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने किया फैसले का बचाव


इस सबके बीच हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने सरकार के इस फैसले पर कहा, ''अब यह बात सरकार के संज्ञान में आई है.'' उन्होंने विक्रमादित्य सिंह के बयान पर सहमति जताते हुए कहा कि सरकार ने यह फैसला किया है कि खाने की दुकान लगाने वाले लोगों की पहचान होनी चाहिए कि वह कौन हैं और कहां से आए हैं. इसके अलावा, जो सामान वह बेच रहे हैं, उसकी शुद्धता बनी रहे, इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया है.''


'क्या खा रहे हैं, क्या मिलाया गया, यह देखना सरकार का भी फर्ज है'


प्रतिभा सिंह ने आगे कहा, ''लोग क्या खा रहे हैं, उसमें क्या मिलाया गया है, यह देखना सरकार का भी फर्ज है. हम यह नहीं चाहते हैं कि दूसरे राज्य से हमारे यहां आने वाले पर्यटक यहां का खाना खाकर बीमार पड़ जाएं.'' क्या यह कानून यूपी की तर्ज पर लाई गई है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ''हमारे यहां अपना कायदा-कानून है, हम यूपी को क्यों फॉलो करेंगे.''


हिमाचल में 'सॉफ्ट हिंदुत्व' छवि बनाने की कोशिश से कांग्रेस में कलह


ऐसे में साफ पता चल रहा है कि हिमाचल में 'सॉफ्ट' हिंदुत्व वाली छवि बनाने की कांग्रेस की कोशिश पार्टी के अंदर ही कलह का कारण बन गई है. जबकि कांग्रेस हिंदुत्व वाली छवि को लेकर हमेशा घेरती रही है. इसलिए, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जहां एक तरफ हिमाचल सरकार के इस फैसले से नाराज है, वहीं पार्टी के हिमाचल प्रदेश के कई नेता अभी भी इस फैसले के पक्ष में बयानबाजी कर रहे हैं. 


केंद्र और भाजपा शासित राज्यों पर हिंदुत्व को लेकर कांग्रेस हमलावर


भाजपा के नेतृत्व में केंद्र की एनडीए सरकार और जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है उसके फैसलों को लेकर कांग्रेस लगातार यह कहती रही है कि भाजपा हिंदुत्व की अपनी सोच के साथ आगे बढ़ रही है और उसके एजेंडे में अल्पसंख्यक कहीं भी नहीं है. लेकिन, कांग्रेस की हिमाचल प्रदेश इकाई के नेताओं के हाल के कुछ बयान इस तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं कि क्या कांग्रेस हिमाचल में सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रही है?


क्या हिमाचल की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति से ध्यान हटाने की चाल?


राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यह सवाल भी पूछा जाने लगा है कि क्या कांग्रेस को लगता है सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि के बिना वह हिमाचल प्रदेश में सत्ता में वापसी नहीं कर पाएगी? या फिर राज्य की बेहद खराब आर्थिक स्थिति से ध्यान हटाने का ये सबसे आसान तरीका है? क्योंकि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल होती चली गई है. यह बात किसी से छुपी नहीं है कि चुनाव के समय जनता के बीच जिन दावों और वादों को  सामने रखकर कांग्रेस सत्ता में आई उसे पूरा करने में राज्य सरकार के खजाने खाली हो रहे हैं, जिससे सरकार के पसीने छूट रहे हैं. 


सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ हिमाचल कांग्रेस के बड़े नेताओं का झुकाव


हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं का झुकाव सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ हो रहा है. हिमाचल प्रदेश की हाल की कुछ घटनाएं इसकी गवाही दे रही हैं. राजधानी शिमला से शुरू हुआ अवैध मस्जिदों का मामला धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में फैल गया. यह मामला संजौली की मस्जिद से शुरू हुआ जिसे कांग्रेस सरकार के मंत्री ने अवैध बताते हुए घुसपैठियों तक का जिक्र कर डाला था. कांग्रेस नेता अनिरुद्ध सिंह ने इस संजौली मस्जिद को लेकर कहा था, 'बिना मंजूरी के निर्माण शुरू कर दिया गया, यह एक अवैध ढांचा था. पहले, एक मंजिल बनाई गई, फिर बाकी मंजिलें बनाई गईं.'


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शिमला के बाद कुसुम्पटी, रामपुर, सुन्नी और कुल्लू में मस्जिद पर विवाद


शिमला का मामला थमा भी नहीं था कि कुसुम्पटी में मस्जिद और नमाज को लेकर विवाद गहरा गया. मंडी जिले में दशकों पुरानी एक मस्जिद को लेकर भी बवाल हुआ. रामपुर, सुन्नी और कुल्लू जिला मुख्यालय में भी ऐसे ही मामले देखने को मिले. इस सब के बीच ही कांग्रेस नेता और हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर पार्टी लाइन से अलग बयान सामने आया. 


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'आईडी नीति' पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष नाराज, प्रदेश अध्यक्ष की सहमति


इसके बाद फिर हिमाचल में उत्तर प्रदेश की तरह हर भोजनालय और फास्ट फूड रेहड़ी पर मालिक की आईडी लगाने के निर्देश की चर्चा होने लगी. जबकि, यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के ऐसे आदेश को कांग्रेस ने हिंदुत्व की विचारधारा और समाज में विभेद पैदा करने की कोशिश से जोड़कर भाजपा पर हमला किया था. कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी की खबरों के बीच हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने इस फैसले का समर्थन कर मुद्दे को और बड़ा बना दिया है.


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