Explainer: क्या हमास के बाद हिजबुल्ला की बर्बादी भी देखता रहेगा ईरान? किस `उलझन` ने डाल रखी हैं पांव में बेड़ियां
Israel Hezbollah War Update: हमास के बाद इजरायल अब हिजबुल्लाह को ठिकाने लगाने में लगा है. जबकि उनका आका ईरान कुछ नहीं कर पा रहा है. आखिर किस उलझन ने उसके पांव रोक रखे हैं.
Israel Iran News in Hindi: इजरायल और ईरान के बीच पिछले कई सालों से चली आ रही अदावत अब धीरे- धीरे खुली जंग की ओर बढ़ती नजर आ रही हैं. दोनों मु्ल्कों में अभी ओपन वॉर का ऐलान तो नहीं हुआ है लेकिन इजरायल ने ईरान के प्यादों हमास, हिजबुल्लाह और यमन के हूती विद्रोहियों पर एक के बाद एक जबरदस्त हमले बोलकर शिया देश को खुला चैलेंज दे दिया है कि हिम्मत है तो सामने आओ.
क्या इजरायल से डर गया है ईरान?
इतनी खुली चुनौतियों और सैन्य ताकत के मामले में इजरायल की बराबर की टक्कर का देश होने के बावजूद ईरान अब तक चुप है. तो क्या ईरान डर गया है और वह इसी तरह हिजबुल्ला- हूतियों की बर्बादी देखता रहेगा या फिर कोई और वजह है, जिसने उसके पांव इस कदर जकड़ दिए हैं कि वह समझ नहीं पा रहा है कि इजरायल को कैसे जवाब दे. अगर आप भी इसी तरह के सवालों से जूझ रहे हैं तो आज हम आपको ईरान की उलझन और मिडिल- ईस्ट की भू-राजनीतिक स्थितियों के बारे में आपको बताते हैं, जिसके बाद आप आसानी से पूरा माजरा समझ जाएंगे.
असल में दुनिया में 57 मुस्लिम देश भले ही हों लेकिन वे खुले तौर पर 2 धड़ों में बंटे हुए हैं. इनमें सबसे बड़ा धड़ा सुन्नी देशों का है, जिसकी अगुवाई सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश करते हैं. 57 में से करीब 52 देश सुन्नी इस्लाम को मानने वाले हैं. वहीं शिया मुल्कों का नेतृत्व ईरान करता है. उसके अलावा सीरिया, लेबनान, इराक और अजरबैजान में ही शिया बहुमत में है.
मुस्लिम देशों में सदियों से वर्चस्व की जंग
सदियों से इस्लाम के इन दोनों फिरकों में वर्चस्व की जंग चलती आ रही है, जो अब भी जारी है. यही वजह है कि ईरान- इजरायल के बीच इस अप्रत्यक्ष जंग में कोई भी सुन्नी मुस्लिम देश शामिल होने को तैयार नहीं है. ऐसे में ईरान अपने प्रॉक्सी संगठनों हमास, हिजबुल्ला और यमन के हूतियों के जरिए इजरायल पर हमले करवाता रहा है. शुरुआत में तो इजरायल वार- पलटवार के गेम में लगा रहा लेकिन जब पानी सिर के ऊपर से गुजर गया तो उसने एक- एक करके इन तीनों आतंकी संगठनों का जड़ से सफाया करना शुरू कर दिया.
पिछले एक साल से जारी जंग में इजरायल गाजा में ताबड़तोड़ सैन्य अभियान चलाकर इस्माइल हानिये समेत हमास की टॉप लीडरशिप को खत्म करने के साथ ही 42 हजार लोगों को मार चुका है. मरने वालों में बड़ी संख्या हमास के आतंकियों की बताई जाती है. इसके बाद उसने हिजबुल्ला के सरगना हसन नसरल्लाह समेत उसके बड़े कमांडरों को लेबनान में बने उनके ठिकानों पर ही ढेर कर दिया. अब तीसरा नंबर यमन के हूतियों का आया है, जिन पर इजरायली एयरफोर्स मौत बनकर टूट रही है.
हमले से बचने के लिए खामनेई बंकर में छुपा
इजरायल के इस रौद्र रूप को देखते हुई ईरान सकते में है. कहीं नसरल्लाह की तरह इजरायल खामनेई को भी ढेर न कर दे, इसलिए उसे सुरक्षित ठिकाने पर छिपा दिया गया है. सैन्य ताकत के मामले में ईरान को इजरायल की टक्कर का माना जाता है. इसके बावजूद अपने प्यादों के मरने पर भी उसकी चुप्पी काफी लोगों को समझ नहीं आ रही है. वे कह रहे हैं कि ईरान को इजरायल पर हमला कर उसे नक्शे से मिटा देना चाहिए. लेकिन ऐसा कहकर वे ईरान की वास्तविक उलझन को नजरअंदाज करने की भूल कर जाते हैं.
असल में मिडिल ईस्ट में अमेरिका, इजरायल का सबसे बड़ा सैन्य सहयोगी है. हमास के खिलाफ युद्ध की शुरुआत होते ही अमेरिका ने अपने 3 एयरक्रॉफ्ट करियरों को इजरायल के आसपास समुद्रों में तैनात कर रखा है. प्रत्येक करियर पर संहारक मिसाइलों के साथ 200-200 फाइटर एयरक्राफ्ट तैनात हैं. इनमें से हरेक एयरक्राफ्ट किसी भी देश की धज्जियां उड़ाने की क्षमता रखता है.
इजरायल पर हमले से क्यों हिचक रहा ईरान?
एक्सपर्टों के अनुसार अगर ईरान अपने दुश्मन पर इजरायल सीधा हमला करता है तो उसके बचाव में अमेरिका भी युद्ध में शामिल हो जाएगा. ऐसे में अमेरिका की सैन्य शक्ति के सामने ईरान कितनी देर टिकेगा, यह ईरानी शासकों समेत दुनिया को अच्छी तरह पता है. ईरान के नेताओं को यह भी डर है कि अगर अमेरिका जंग में उतरा तो वह ईरान की फौज और हथियारों को हमेशा के लिए खत्म करने के साथ ही वहां के इस्लामिक शासन को भी इतिहास का हिस्सा बना सकता है.
यही बड़ी वजह है कि इजरायल के तमाम उकसावों और अपने प्यादों के एक के बाद एक मरने के बाद भी ईरान के नेता कुछ नहीं कर पा रहे हैं. अपनी नाक बचाने के लिए वे दुनियाभर के मुस्लिम देशों से एकजुट होने और इजरायल के खिलाफ कार्रवाई का ढोंग कर रहे हैं. लेकिन उनका यह दांव कितना कारगर है, यह सब कोई जानते हैं. डिफेंस एक्सपर्टों के मुताबिक अब ईरान के पास एक ही विकल्प है कि वह इजरायल के साथ सीधी जंग में जाए बिना अपने प्रॉक्सी आतंकी संगठनों के साथ तालमेल करके यहूदी देश पर बड़ा हमला करवाए. वह ऐसा कर पाएगा या नहीं, यह तो भविष्य बताएगा. फिलहाल वह अपनी दुम पीछे करके चुप्पी साधने को मजबूर है.
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