Pulses Prices: सरकार और आरबीआई (RBI) की तरफ से महंगाई को नीचे लाने की लगातार कोश‍िश की जा रही है. अप्रैल में खुदरा महंगाई दर में ग‍िरावट आई है लेक‍िन खाने-पीने के सामान के रेट नीचे आने के ल‍िए तैयार नहीं हैं. कीमत कम नहीं होने से लोग ज्‍यादा पैसे खर्च करने के ल‍िए मजबूर हैं और उनकी रसोई का बजट बढ़ गया है. खाने-पीने की चीजों के दाम अभी कम होते नहीं द‍िख रहे हैं. दालां की कीमत अभी र‍िकॉर्ड लेवल पर चल रही हैं. आने वाले महीनों में भी कीमत में कमी होने की उम्‍मीद नहीं द‍िख रही.


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सप्लाई और डिमांड में भारी अंतर


दालों की कीमत नहीं होने का सबसे पहला कारण सप्लाई और डिमांड में भारी अंतर होना है. ड‍िमांड बढ़ने और उसके अनुपात में सप्लाई कम होने कीमत हाई लेवल पर बनी हुई हैं. नई फसल आने के बाद ही कीमत के नीचे आने का अनुमान है. अक्टूबर के महीने में दालों की नई फसल की आवक बाजार में होगी. ऐसे में यह उम्‍मीद है क‍ि नई फसल के बाद ही दालों की कीमत नीचे आएगी. अभी के समय में दालों की डिमांड ज्‍यादा है और सप्लाई उसके मुकाबले कम बनी हुई है. इसका असर दालों की महंगाई पर बना हुआ है.


आरबीआई भी रेपो रेट कम नहीं कर रहा
सप्‍लाई कम होने से कीमत ऊंचे स्‍तर पर ही बनी हुई हैं. यही कारण है क‍ि र‍िजर्व बैंक भी रेपो रेट की दर को कम नहीं कर पा रहा है. रेपो रेट में ग‍िरावट आएगी तो इसका फायदा बैंकों से लोन लेने वाले ग्राहकों को कम ब्‍याज दर के रूप में म‍िलेगा. आपको बता दें भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. लेक‍िन खपत उत्पादन से भी ज्यादा है. ऐसे में देश की खपत को पूरा करने के ल‍िए दालों का आयात करना पड़ता है. फसल वर्ष 2022-23 में देश में दालों का उत्पादन करीब 26.05 मिलियन टन था. वहीं खपत का अनुमान 28 मिलियन टन था.


अभी लोकल बाजार में अरहर की दाल का रेट करीब 180 रुपये प्रत‍ि क‍िलो पर है. वहीं चना और उड़द की दाल के दाम भी हाई लेवल पर बने हुए हैं. अप्रैल के महीने में दालों की औसत महंगाई दर 16.8 प्रत‍िशत रही थी. सबसे ज्यादा 31.4 प्रत‍िशत की महंगाई अरहर की दाल में रही. इसी तरह चने की दाल में 14.6 प्रत‍िशत और उड़द दाल में 14.3 प्रत‍िशत की दर से महंगाई रही. यही कारण रहा क‍ि खाद्य महंगाई दर मार्च के मुकाबले अप्रैल में बढ़कर 8.7 प्रत‍िशत पर पहुंच गई.