Traditional Diwali Dishes : राम के चौदह सालों तक बनवास काट कर लौटने के बाद अयोध्या में घी के दीये जलाए गए थे. यह सीता के लौटने, राम के विजयी होने की खुशी थी. इस उत्साह में जनता में उत्सवी माहौल था. उत्सव का सीधा अर्थ तरह तरह के अच्छे खाने के साथ त्योहारी रौनक में मशगूल होना है. जाहिर है उस दिन से दिवाली की रौनक में अच्छा खाना और रौशनी साथ जुड़ गए पर क्या आपको मालूम है, दिवाली का पारम्परिक खाना  क्या है? आइए लेते हैं कुछ उन डिशेज के बारे में जो दिवाली में परम्परागत रूप से बनती ही हैं... 
आलू बोंडा 
दक्षिण भारत की यह सहज-सुलभ नमकीन (Traditional Diwali Dishes) दिवाली के पारम्परिक खाने में अव्वल नंबर पर है. बेसन में लिपटे हुए आलू से बने इस डिश के नमकीन करारे स्वाद से दिवाली का मजा बढ़ जाएगा. सबसे अच्छी बात यह है कि इसे बनाना भी मुश्किल नहीं है. 


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मुरुक्कु 
इसका प्रचलित उत्तर भारतीय नाम है चकली. दाल और चावल के आटे से बनी यह नमकीन दिवाली स्नैक का जरूरी हिस्सा है. न केवल इसकी सेल्फ लाइफ खूब अच्छी होती है बल्कि यह दिवाली में अधिक मिठास की ऊब से भी बचाती है. 


गुलाब जामुन 
दिवाली में मिठाइयों का जिक्र हो और गुलाब जामुन (Traditional Diwali Dishes) का नाम न आए, यह सम्भव नहीं. इस अखिल भारतीय मिठाई के दीवानों की कमी नहीं. तले हुए खोए को चाशनी में डुबाकर बनाई गई यह मिठाई किसे नहीं पसंद आएगी. यही वजह है कि यह दिवाली की पसंदीदा मिठाइयों में एक है. 


पनीर टिक्का 
दिवाली के वक्त कैलरी को लेकर चिंतित हैं तो पनीर टिक्का राहत की बात हो सकती है. पनीर के सिंके हुए चटपटे टुकड़े किसे नहीं पसंद आएंगे. पंजाब सहित उत्तर भारत के कई इलाकों में पनीर टिक्का घोर पारम्परिक दिवाली व्यंजन है. 


खीर
भारत में खीर को मीठे की जगह स्टेपल फूड का दर्जा दे दिया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. यहां त्योहारों की शुरुआत खीर से होती है और मीठे का भोग भी खीर के रूप में ही लगता है.