Lieutenant Inayat Vats: किसी ने सच ही कहा है कि अगर ठान लिया जाए, तो कोई भी मुकाम ऐसा नहीं, जिसे हासिल ना किया जा सके. आज हम आपको एक ऐसी ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने पिता और परिवार के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन किया है. दरअसल, लेफ्टिनेंट इनायत वत्स, जिन्होंने उग्रवाद विरोधी अभियान में अपने पिता मेजर नवनीत वत्स को खो दिया था, वह आज भारतीय सेना में शामिल हो गईं और उन्होंने वही वर्दी पहनी, जो कभी उनके नायक पिता ने पहनी थी.


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दरअसल, इनायत वत्स के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है. जब वह मुश्किल से तीन साल की थीं, तब उन्होंने अपने पिता को खो दिया था. लेकिन हरियाणा की इस 23 वर्षीय लड़की ने अपने पिता की विरासत को जारी रखने के लिए भारतीय सेना की सबसे कठिन नौकरी पाने का सपना देखा और उसे हासिल किया.


आतंकवादियों से लोहा लेते समय हुए शहीद
इनायत वत्स के पिता मेजर नवनीत वत्स 2003 में कश्मीर आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए थे. इसके बाद इनायत ने जब होश संभाला, तो उन्होंने पिता की तरह ही सेना में शामिल होने का निर्णय लिया. बता दें कि इनायत भारतीय सेना में अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं - उनके नाना भी भारतीय सेना में कर्नल थे.


2.5 साल की उम्र में पिता को खोया
हरियाणा के पंचकुला की इनायत, अपने माता-पिता की इकलौती संतान है. वह केवल 2.5 साल की थी जब उसके पिता ने श्रीनगर की एक इमारत में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन करते समय आतंकवादियों की गोलियों का शिकार होकर सर्वोच्च बलिदान दिया. उन्हें मरणोपरांत सेना पदक से सम्मानित भी किया गया था.


अगले महीने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में होंगी शामिल
इनायत अप्रैल में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA), चेन्नई में शामिल होंगी. दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएट इनायत वर्तमान में डीयू के हिंदू कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं. इनायत को शहीदों के परिजनों के लिए राज्य की नीति के तहत एक राजपत्रित पद पर नियुक्ति के लिए हरियाणा सरकार की ओर से प्रस्ताव मिला था.


मां ने कहा वह एक बहादुर की बेटी है
हालांकि, अपने पिता को आदर्श मानने वाली इनायत के लिए सेना ही एकमात्र लक्ष्य था. मां शिवानी ने अपनी चिंताओं के बावजूद इनायत का समर्थन किया. इनायत की मां कहती हैं "वह एक बहादुर की बेटी है. जब उसने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की, तो सभी ने सोचा कि वह राज्य सरकार द्वारा दी गई नौकरी लेगी और मेरे आसपास रहेगी. लेकिन वह एक शहीद की बेटी है और उसके लिए सेना में शामिल होना स्वाभाविक था.''


सशस्त्र बल बना सपोर्ट सिस्टम
इनातय की मां शिवानी 27 साल की थीं और उनकी शादी को केवल चार साल ही हुए थे कि उनके पति की मृत्यु हो गई थी. वह अब पास के चंडीमंदिर में आर्मी पब्लिक स्कूल में शिक्षिका है. वह कहती हैं कि इस उथल-पुथल के दौरान सशस्त्र बल उनका सपोर्ट सिस्टम रहे हैं.


इनायत लड़का होती, तो NDA या IMA भेजती
मां ने कहा "इनायत ने एक बार मुझसे पूछा था, 'अगर मैं लड़का होती तो तुम क्या करते?' मैंने उससे कहा कि मैं उसे एनडीए (NDA) या आईएमए (IMA) में शामिल होने के लिए कहती. मुझे खुशी है कि आरामदायक जीवन के विकल्प होने के बावजूद, उसने अपने पिता का अनुसरण करना चुना."