Surat Reyansh News: नियति से आप लड़ नहीं सकते उससे समझौता करना पड़ता है. लेकिन इन सबके बीच अगर आप किसी और के चेहरे पर खुशी बिखेर सकें तो उससे बड़ी बात क्या हो सकती है. यहां पर जिस प्रसंग का जिक्र करेंगे तो आप भी कह उठेंगे कि परिवार हो तो ऐसा. किसी का लख्तेजिगर अगर समय से पहले साथ हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दे तो उससे बड़ी विपत्ति एक मां-बाप और पूरे परिवार के और क्या हो सकता है. लेकिन सूरत के रहने वाले गज्जर परिवार ने जो कुछ किया वो बेमिसाल है. बड़े अरमान से गज्जर परिवार ने अपने 20 महीने के बच्चे रियांश को पाला पोसा था. रियांश की खुशी में ही उनकी खुशी छिपी थी. रियांश की हर एक सांस में उम्मीद, रियांश के चेहरे की मुस्कुराहट में उनकी मुस्कुराहट. लेकिन काल के प्रकोप ने रियांश को उसके परिवार ने हमेशा हमेशा के लिए अलग कर दिया. यह बात अलग है कि रियांश भले ही अब इस दुनिया में ना हो उसने पांच बच्चों को जिंदगी दी. उसने पांच परिवारों के चेहरे पर खुशी बिखेर दी.


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सूरत का रहने वाला है गज्जर परिवार

सूरत के रहने वाले अजय गज्जर परिवार के लिए दिसंबर की 28 तारीख हमेशा हमेशा के दर्द दे गई. उनका 20 महीने का बेटा जो शायद ठीक से बोल भी नहीं पाता रहा होगा. इशारों इशारों में अपनी बात को वो कहता रहा होगा, वो अपने चेहरे की मुस्कुराहट और खिलखिलाहट से अपनी बातों को समझाने की कोशिश करता रहा होगा. सुरति मोढ़ा और उनका परिवार भी संकेतों की भाषा समझ कर अपने लाडले के लिए सपने बुने होंगे. लेकिन 28 दिसंबर के बाद उनकी जिंदगी में उस दर्द ने दस्तक दी जिसकी टीस शायद कभी खत्म नहीं होगी. 20 महीने का रियांश खेलते खेलते 20वीं मंजिल से गिरा. वो हादसा मोढ़ा परिवार के वज्रपात की तरह था. रियांश को तत्काल अस्पताल ले जाया गया. लेकिन डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. डॉक्टरों ने जब बताया कि उनके लाडले के जिंदा होने की उम्मीद बेहद कम है तो परिवार ने वो फैसला किया जिसकी चर्चा चारों तरफ है. 


सूरत से मुंबई तक बना ग्रीन कॉरिडोर

रियांश के परिवार ने उसके ऑर्गन को डोनेट करने का फैसला किया. अब रियांश के लीवर को मुंबई के नानावटी अस्पताल में एक 12 साल के बच्चे में ट्रांसप्लांट किया जाएगा. वहीं अहमदाबाद के आईकेआरडीसी में जो बच्चों में किडनी ट्रांसप्लांट किया जाएगा. सूरत से मुंबई के अस्पताल तक रियांश के ऑर्गन को डोनेट करने के लिए गुजरात और महाराष्ट्र पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर भी बनाया. डोनेट लाइफ संस्था का कहना है कि वैसे तो वो लोग ऑर्गन डोनेशन के क्षेत्र में वर्षों से काम कर रहे हैं. लेकिन सूरत के गज्जर परिवार ने जब संपर्क साध कर 20 महीने के मासूम बच्चे के ऑर्गन को डोनेट करने की बात कही तो एक पल के लिए वो लोग भी हैरान रह गए. खास बात यह है कि उस मासूम के सिर्फ एक ऑर्गन को डोनेट करने की बात नहीं थी. बल्कि अलग अलग अंगों को डोनेट कर ना सिर्फ पांच बच्चों को जिंदगी मिली बल्कि उन परिवारों के चेहरे पर खुशी बिखेर दी.