Good News: उत्तर प्रदेश के गोंडा में एक गांव ऐसा है. जो 77 वर्ष बाद रोशन हुआ है. आजादी के बाद पहली बार अब इस गांव में बिजली पहुंची तो पूरा गांव ही नहीं बल्कि लोगों के चहरे भी चमक उठे. इस गांव में लाइट क्या जली समझो सबकी किस्मत जगमगा उठी. यहां बात बुटहनी वनटांगिया गांव की पहली बार दूधिय़ा रोधनी से जगमगा उठा तो लोगों के चेहरे की खुशी देखते ही बन रही थी.


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जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर आई खुशी


आज़ादी के 77 साल बाद जिले के बुटहनी वनटांगिया गांव में पहली बार बिजली पहुंची है. छपिया ब्लॉक का ये गांव जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है. ये गांव वर्षों से विकास की मुख्यधारा से कटा हुआ था. अंग्रेजों द्वारा जंगलों में बसाए गए इस समुदाय को लंबे समय तक अधिकारों और मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया. यहां पर इस इलाके में घासफूस के मकानों में रहने वाले यहां के लोग अभी तक लालटेन की रोशनी में जी रहे थे.


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किसके सर बंधा खुशियों का चेहरा?


गांव वालों का कहना है कि यूपी सरकार की कोशिशों के बाद इस गांव में भी बिजली पहुंच गई है. जिससे यहां के लोग बहुत खुश हैं. वो अपने इलाके में काम करने वाले सभी लोगों खासकर सरकारी योजनाओं की जानकारी देने वालों और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने में मदद करने वाले लोगों का आभार जता रहे हैं.


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देश में पहली बार बिजली की सुविधा कोलकाता (तब कलकत्ता) में की गई थी. भारत में बिजली की रोशनी का पहला प्रदर्शन 1879 के मध्य में कोलकाता में हुआ था. यूपी की बात करें तो  इसके करीब 10 साल बाद  24 जुलाई, 1879 में कानपुर में पहली बार बिजली आई थी. उत्तर प्रदेश वासियों को यह तोहफा साल 1906 में इंडियन इलेक्ट्रिक सप्लाई एण्ड ट्रैक्शन कंपनी ने दिया था. शुरुआत में कानपुर के गिरिजाघरों, गलियों और अंग्रेज के घरों में बिजली सप्लाई दी गई थी.