Kashmir News: कश्मीर में 2024 से पहले तक ऐतिहासिक रूप से चुनावों के दौरान बहिष्कार का आह्वान होता था. चुनाव प्रकिया के विरोध में हड़ताल की जाती थी. लेकिन समय बदला तो कश्मीर घाटी में भी जागरूकता आई है. ऐसे में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम में दर्जनों युवा लड़कों और लड़कियों की सक्रिय भागीदारी देखी गई.
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Lok Sabha Election Jammu Kashmir: पिछले लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में कम मतदान हुआ था. ऐसे में इस बार आने वाले लोकसभा चुनावों में मतदान को बेहतर बनाने के लिए जिला प्रशासन और चुनाव आयोग ने जागरूकता अभियान चलाया है. मतदाताओं को जागरूक करने के लिए कश्मीर के ऐतिहासिक लाल चौक पर नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया है. ताकि युवा वोट का महत्व समझ सकें. साथ ही अपने प्रतिनिधियों को चुनने के बारे में उन्हें बहलाया फुसलाया ना जा सके.
फर्स्ट टाइम वोटर्स पर फोकस
इस आयोजन में फर्स्ट टाइम वोटर्स पर फोकस दिखा. युवाओं में मतदान को लेकर भारी उत्साह दिखा. यहां पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं को उनके वोट का महत्व समझाया गया. इस कार्यक्रम के लिए घाटी के युवा वहां जमा हुए थे. कैंपेन के दौरान युवाओं को वोट देने के लिए प्रेरित किया गया. जागरुकता अभियान में शामिल हुए फर्स्ट टाइम वोटर्स ने भी अपनी प्राथमिकता बताई. और बताया कि आखिर किन बातों को ध्यान में रखकर वोट डालते हैं. ऐसे एक उत्साही फर्स्ट टाइम वोटर ने कहा- 'वोट हमें देना चाहिए, आज हम वोट देंगे, कल हमारे बेहतर भविष्य के लिए और भी बहुत से लोग वोट डालेंगे.
कभी रहता था संगीनों का साया आज बदले हालात
कश्मीर के इस ऐतिहासिक लाल चौक के घंटा घर पर कभी अलगावादी सोच हावी थी. यह जगह हमेशा नुकीले तारों में बंदी रहती थी, और आस पास दर्जनों सुरक्षाकर्मी रात दिन पहरा देते दिखते थे. लेकिन आज हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं. घाटी में हाल की शांति और विकास के लिए शुरू की गई प्रशासनिक कोशिशों के चलते युवाओं और महिलाओं के बीच लोकतांत्रिक प्रक्रिया को समझने और उसमें भाग लेने में दिलचस्पी बढ़ी है.
जिला अधिकारियों के सहयोग से, चुनाव आयोग पूरे कश्मीर में ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, जिसमें बड़ी युवा आबादी वाले क्षेत्रों को लक्षित किया गया है. चुनाव से पहले घाटी के युवा अपने वोट के प्रति जागरुक नजर आ रहे हैं. उन्होंने नुक्कड़ नाटक के जरिए दिए गए संदेश को समझा और उसे जीवन में उतारने की बात कही.
पिछले लोकसभा चुनाव में श्रीनगर में केवल 13% मतदान हुआ था, जिसके बाद प्रशासन को मतदाताओं की भागीदारी में सुधार के लिए जागरूकता अभियान चलाने के लिए प्रेरित किया गया था. श्रीनगर में युवा मतदाताओं को शामिल करते हुए नुक्कड़ नाटक आयोजित किए गए ताकि उन्हें अपने वोट के महत्व को समझने और अपने प्रतिनिधियों का चयन करते समय सूचित विकल्प चुनने में मदद मिल सके.