दुबई के एयर फोर्स के ग्राउंड टीम से रिटायर्ड होने के बाद राजस्थान में सेटल हुए 77 साल के बुजुर्ग पिछले दो सालों से पेट में दर्द और तनाव से परेशान थे. इससे कई बार उन्हें पैरों में भी सूजन और सांस लेने में दिक्कत का भी सामना करना पड़ रहा था. ऐसे में जब वह कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर के पास गए तो स्कैन में जो दिखा उसने हेल्थ एक्सपर्ट को चौंका दिया.


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बुजुर्ग के पेट में एक बढ़ा ट्यूमर था, जिसे निकालने के बाद नापने पर वजन 14 किलो था जो लगभग 4 नवजात शिशूओं के बराबर था. बता दें इसे निकालने के लिए डॉक्टर की टीम ने कम से कम 6 घंटे सर्जरी की. हालांकि सर्जरी के बाद अब मरीज को डिस्जार्च कर दिया गया है.


ट्यूमर से दब गए थे ये ऑर्गन

TOI को दी गई जानकारी के अनुसार, ट्यूमर का साइज 75X45CM था. जिसके कारण पेट के सारे ऑर्गन दब गए थे. इसमें लिवर, किडनी, आंत, ब्लेडर और स्पिलन मुख्य रूप से शामिल थें. ट्यूबर ने आंतों को पूरी तरह से बॉडी के लेफ्ट साइड में कर दिया था.


6 घंटे चली ये कठिन सर्जरी

यह सर्जरी इंस्टीट्यूट ऑफ सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, जीआई और एचपीबी ओन्को-सर्जरी और लीवर ट्रांसप्लांटेशन के अध्यक्ष और प्रमुख डॉ. सौमित्र रावत ने अपनी टीम के साथ लगभग छह घंटे में पूरी की. उन्होंने बताया कि मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और उनकी बॉडी अच्छे तरीके से रिस्पॉन्स कर रही है. बता दें कि यह सर्जरी 10 दिन पहले की गई थी.


इस तरीके से निकालना पड़ा था ट्यूमर

डॉक्टर ने बताया कि ग्रासनली, पेट, कोलोरेक्टल, पित्ताशय, अग्न्याशय सहित अधिकांश कैंसर सर्जरी न्यूनतम पहुंच सर्जरी (लैप्रोस्कोपिक/रोबोटिक) द्वारा की जाती हैं। लेकिन यह केस इस बात का एक अच्छा उदाहरण था कि सर्जरी के पुराने तरीके कितने महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने बताया कि लैप्रोस्कोपी या रोबोट-सहायक तरीकों के माध्यम से उपकरण डालने के लिए पेट में कोई जगह नहीं थी, इसलिए टीम को ट्रेडिशनल तरीकों को चुनना पड़ा। 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.