नई दिल्ली: अपना फेवरेट चिप्स, नमकीन, न्यूडल्स, बर्गर या फ्राइस खाते वक्त क्या आपने कभी सोचा है कि आप उस एक पैकेट में कितना नमक, फैट, चीनी कार्बोहाइड्रेट खा रहे हैं? अगर नही, तो सतर्क हो जाइए. क्योंकि 20 रुपए वाले एक पैकेट में आप दिन भर के लिए निर्धारित मात्रा से ज्यादा नमक खा चुके होते हैं. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की एक नई लैब स्टडी में सामने आया है कि बाजार में बिकने वाले जंक फूड में प्रस्तावित सीमा से ज्यादा नमक और फैट की मात्रा पाई गई है. इसके लिए सीएसई के पॉल्यूशन मॉनिटरिंग लैबोरेट्री में बाजार में मिलने वाले मशहूर ब्रांड के 33 जंक फूड और फास्ट फूड पर स्टडी की गई.


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इनमें चिप्स, नमकीन, इंस्टेंट नूडल्स, इंस्टेंट सूप के 14 सेंपल लिए गए और बर्गर, फ्राइस, फ्राइड चिकन, पिज्जा, सैंडविच और रैप्स के 19 सैंपल लिए गए. आपने अक्सर लोगों को ये कहते हुए सुना होगा कि जंक फूड या फास्ट फूड सेहत को नुक्सान पहुचाते हैं. बाजारों में बिकने वाले जंक फूड के पैकेट के पीछे उसमें मौजूद salt, sugar, carbohydrate, fat, protein  की मात्रा भी लिखी होती है.


लेकिन इनकी कितनी मात्रा हमें खानी चाहिए और कितनी हमारी सेहत को नुकसान पहुचा सकती है ये कहीं नही लिखा होता. निर्घारित मात्रा से ज्यादा नमक, चीनी या फैट से खाने से मोटापा, हाइपरटेंशन,  डाटबिटीज, और दिल की बिमारियां होने का खतरा होता है.  


हमारे शरीर में पोषक त्तवों की जरुरत के हिसाब से RDA यानी Recommended Dietary Allowance तय किया जाता है. आरडीए के मुताबिक एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन नमक 5 ग्राम, फैट 60 ग्राम , ट्रांस फैट 2.2 ग्राम और 300 ग्राम कार्बोहाइड्रेट की मात्रा तय की गई है. ये मात्रा  स्वस्थ व्यक्ति के लिए रोजाना 2000 कैलोरी की जरूरत के हिसाब से ली गई है.


इसके साथ ही सीएसई ने सरकार से जंक फूड और फास्ट फूड पर रेड वार्निंग लेबल लगाने की मांग की है. इनका कहना है जैसे किसी भी खाने के पैकेट के बाहर हरा और लाल निशान होता है जो ये बताता है कि फूड शाकाहारी है या मांसाहारी .  उसी तरह से हर उस जंक फूड और फास्ट फूड के पैकेट पर  रेड वार्निंग लेबल लगाना जरूरू होना चाहिए  जिसमें निर्धारित मात्रा से अधिक नमक या फैट है. 


दुनिया भर में कई देशों में  इन्ही बड़ी कंपनियों के जंक फूड पर वार्निंग लेवल लगाए जाते हैं. जिस से लोगों को पता चल सके कि जो वो खा रहे हैं,वो उनके स्वास्थ को नुकसान पहुचा सकता है.  सीएसई की डायरेक्टर जनरल सुनीता नारायन ने बताया कि ज्यादातर बड़ी कंपनीयां ये नही चाहती की उनके पैकेटों पर इस तरह का रेड वार्निंग लेबल लगे.


क्योंकि सभी कंपनियों के जंक फूड में निर्धारित मात्रा से ज्यादा नमक और फैट पाया गया है. इसलिए ये कंपनियां सरकार पर दवाब बनाती हैं कि इस तरह का कानून न आए. लेकिन हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द इस तरह के वार्निंग लेबल जंक फूड और फास्ट फूड पर आएं.