डायबिटीज के तनाव और थकावट से कैसे निपटें? डॉक्टर ने बताए आसान तरीके
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डायबिटीज के तनाव और थकावट से कैसे निपटें? डॉक्टर ने बताए आसान तरीके

डायबिटीज जैसी पुरानी बीमारी के साथ जीवन जीना एक कठिन सफर हो सकता है. नियमित ग्लूकोज मॉनिटरिंग, डाइट प्लान और व्यायाम रूटीन को बनाए रखना एक साथ कई चीजों को संभालने जैसा होता है.

डायबिटीज के तनाव और थकावट से कैसे निपटें? डॉक्टर ने बताए आसान तरीके

डायबिटीज जैसी पुरानी बीमारी के साथ जीवन जीना एक कठिन सफर हो सकता है. नियमित ग्लूकोज मॉनिटरिंग, डाइट प्लान और व्यायाम रूटीन को बनाए रखना एक साथ कई चीजों को संभालने जैसा होता है. इसके अलावा, आपको रोजाना की एक्टिविटी के ग्लूकोज लेवल पर प्रभाव और अचानक होने वाले बदलावों के लिए तैयार रहना पड़ता है. इस निरंतर चक्र को "डायबिटीज डिस्ट्रेस" कहा जाता है, जो भारत में टाइप 2 डायबिटीज के लगभग 33% वयस्कों को प्रभावित करता है.

दिल्ली स्थित डोट क्लिनिक में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. रिचा चतुर्वेदी कहती हैं कि एक क्रॉनिक कंडीशन को सावधानी और ध्यान से मैनेज करना, साथ ही रोजमर्रा के तनावों से निपटना, बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है. इससे मानसिक थकान और तनाव बढ़ सकता है, जिससे फ्रस्ट्रेशन, अकेलापन और बर्नआउट हो सकता है. इसके परिणामस्वरूप डायबिटीज को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है. फिजिकल एक्टिविटी में बिजी रहना, हेल्दी डाइट का पालन करना और ग्लूकोज लेवल पर नजर रखना जैसी सरल तकनीकों का उपयोग करके लोग डायबिटीज को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं और बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त कर सकते हैं.

एबॉट में हेड ऑफ मेडिकल अफेयर्स डॉ. प्रशांत सुब्रमण्यम बताते हैं कि तनावपूर्ण इमोशन की पहचान करना और उन्हें संबोधित करना बहुत महत्वपूर्ण है. बेहतर तरीके से स्थिति को मैनेज करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है. ऐसी तकनीकें (जैसे निरंतर ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस) जो किसी के ब्लड शुगर के हाई और निम्न लेवल के बारे में उपयोगी वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करती हैं, और डाइट व व्यायाम के माध्यम से एक हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने से इस स्थिति को नेविगेट करने में मदद मिल सकती है.

डायबिटीज के साथ जीने की चुनौतियों से निपटने के तरीके

समस्या को पहचानना
स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी चुनौती का समाधान करने का पहला कदम है कि यह स्वीकार करें कि कोई समस्या हो सकती है और उसे पहचानें. अपनी सेहत को मैनेज करते समय उतार-चढ़ाव आना सामान्य है, लेकिन लगातार तनाव और भारी महसूस करना डायबिटीज डिस्ट्रेस का संकेत हो सकता है. बेहतर महसूस करने के लिए, संकेतों और पैटर्न को पहचानना शुरू करें. अपने इमोशन और शरीर पर ध्यान दें ताकि आप उस सपोर्ट को पा सकें जिसकी आपको जरूरत है. इसके अलावा, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, डायबिटीज से पीड़ित लोगों में डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है. यदि आपको डिप्रेशन के लक्षण दिखाई देते हैं, तो जल्द से जल्द किसी हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें.

उपचार प्लान बनाना
अपनी डायबिटीज और उससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में खुलकर बात करना सही देखभाल प्राप्त करने की कुंजी है. स्वास्थ्य की स्थिति को मैनेज करना अकेलापन महसूस करा सकता है क्योंकि इसमें कई बदलाव करने होते हैं. अपने प्रियजनों से अपने भावनाओं के बारे में बात करें और उन्हें बताएं कि आपको किस तरह का समर्थन चाहिए. अपने डॉक्टर से ईमानदारी से चर्चा करें कि आपकी सेहत को क्या प्रभावित कर रहा है, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक. इससे डॉक्टर आपको डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए पर्सनल प्लान बनाने में मदद कर सकेंगे, जिसमें दवाएं और सपोर्ट ग्रुप्स शामिल हो सकते हैं. तकनीक भी आपके रोजाना के मैनेजमेंट में बड़ी मदद कर सकती है. जैसे कि निरंतर ग्लूकोज मॉनिटर (CGM) जैसे उपकरण आपको मूल्यवान जानकारी प्रदान कर सकते हैं और आपकी सेहत को बेहतर तरीके से समझने में आपकी मदद कर सकते हैं.

महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान केंद्रित करना
बेहतर महसूस करने की कुंजी है कि आप संतुलन पाएं. उन गतिविधियों और हेल्थ टारगेट का चयन करें जो आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं. इससे डायबिटीज को मैनेज करना और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाना लंबे समय में आसान हो जाएगा. तकनीक भी इसमें मददगार हो सकती है. जैसे कि ट्रैकर्स जैसे उपकरण आपके ब्लड शुगर लेवल की निगरानी कर सकते हैं, वह भी बिना किसी एक्स्ट्रा काम के. अपने आप पर दया करना न भूलें. रोजाना की जिंदगी के साथ क्रॉनिक बीमारी को बैलेंस करना कठिन हो सकता है और इसका मानसिक रूप से असर पड़ सकता है. उन चीजो के लिए समय निकालें जो आपको खुशी देती हैं, जैसे यात्रा करना, बागवानी, पढ़ना - जो आपको याद दिलाती हैं कि आप सिर्फ अपनी बीमारी से अधिक हैं. महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान केंद्रित करके और बाकी को छोड़कर, आप एक हेल्दी और खुशहाल जीवन बना सकते हैं.

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