नई दिल्लीः स्वास्थ्य विशेषज्ञ आशंका जता चुके हैं कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. इस बीच एक राहत की बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल देश में बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल जल्द शुरू होने वाला है. बता दें कि बच्चों पर भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा. इस ट्रायल के लिए DCGI ने जिन संस्थानों को मंजूरी दी है, उनमें एम्स दिल्ली, एम्स पटना और नागपुर स्थित Meditrina Institute of Medical Science का नाम शामिल है. इस आगामी ट्रायल को लेकर ZEE मीडिया ने मेडिटरिना इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. समीर पालतेवार से बात की. 


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तीन ग्रुप में होगा ट्रायल
डॉ. समीर पालतेवार ने बताया कि अभी दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल किया जाएगा. तीन एज ग्रुप में बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा. इस ट्रायल में 12-18 साल, 6-12 साल और 2-6 साल के बच्चों को शामिल किया जाएगा. डॉ. समीर ने बताया कि जिन बच्चों को ट्रायल में शामिल किया जाएगा उनके लिए शर्त रहेगी कि वह स्वस्थ होने चाहिए और बीते 15 दिनों में उन्हें कोई सर्दी-जुकाम या बुखार नहीं होना चाहिए. साथ ही जो बच्चे ट्रायल में शामिल होंगे, उनके माता-पिता का भी इंटरव्यू किया जाएगा और उनकी मंजूरी के बाद ही उनके बच्चों को ट्रायल में शामिल किया जाएगा. 


लगातार बच्चों की होगी मॉनिटरिंग
डॉ. समीर के अनुसार, बच्चों को वैक्सीन देने के बाद प्रोटोकॉल के तहत उनके स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग की जाएगी. साथ ही बच्चों में एंटीबॉडी बन रही हैं या नहीं और कितनी बन रही हैं, इसकी जांच के लिए एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट भी किए जाएंगे. पहली डॉज देने के 28 दिन या 30 दिन बाद बच्चों को वैक्सीन की दूसरी डोज दी जाएगी. यह ट्रायल कुल 212 दिन तक चलेगा.  


Meditrina Institute of Medical Science के निदेशक डॉ. समीर ने बताया कि जब दूसरे चरण के ट्रायल पूरे हो जाएंगे तो तीसरे चरण के लिए फिर से DCGI और CDSO से मंजूरी मांगी जाएगी. अगर मंजूरी मिल जाती है तो तुरंत ही तीसरे चरण के ट्रायल भी शुरू कर दिए जाएंगे. डॉ. समीर ने बताया कि उनकी तरफ से तैयारियां लगभग पूरी हैं और जैसे ही CDSO से मंजूरी मिल जाती है और उनके संस्थान को वैक्सीन मिल जाती है तो तुरंत ही दूसरे चरण का ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा. 


व्यस्कों को दी जा रही वैक्सीन का ही होगा बच्चों पर इस्तेमाल
बता दें कि जो कोवैक्सीन की डोज व्यस्क लोगों को लगाई जा रही है. वही डोज ट्रायल के दौरान बच्चों को लगेगी. डॉ. समीर ने बताया कि वैक्सीन की एंटीजेनेसिटी व्यस्कों को लगाई जा रही वैक्सीन के बराबर ही है लेकिन डोज की मात्रा कम कर दी गई है. इस ट्रायल का मकसद यह जांच करना है कि वैक्सीन का बच्चों की इम्यूनिटी पर क्या प्रभाव हो रहा है, उनमें वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन रही हैं या नहीं. 


तीसरी लहर में बच्चों को ही क्यों है खतरा?
इस सवाल पर डॉ. समीर ने कहा कि पूरी दुनिया में जो ट्रेंड देखने को मिल रहा है और जिस तरह से वायरस में बदलाव हो रहे हैं. उसके आधार पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है. हालांकि यह कब आएगी और कितने दिन तक चलेगी, इसे लेकर अभी कुछ भी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता. 


बता दें कि 2 साल के बच्चों पर हो रहा कोरोना वैक्सीन का यह ट्रायल दुनिया भर में पहला है. बाकी देशों में जो ट्रायल चल रहे हैं, उनमें ज्यादा उम्र के बच्चे भाग ले रहे हैं लेकिन 2 साल तक के बच्चों पर वैक्सीन का यह पहला ट्रायल होगा.