डॉक्टर को भगवान का रूप माना जाता है, लेकिन मौत के मुंह से मरीजों को निकालने वाले इन लोगों की जिंदगी बिल्कुल भी आसान नहीं होती है. ऐसे में इनके साहस भरे निस्वार्थपूर्ण समाज सेवा की भावना को सलाम करने के लिए हर साल 1 जून को नेशनल डॉक्टर्स डे (National Doctor’s Day) के रूप में माना जाता है. एक डॉक्टर को हर दिन किस तरह की चुनौतियों से गुजरना पड़ता हैं यहां आप इस लेख में खुद एक डॉक्टर की जुबानी जान सकते हैं.


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हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि एक डॉक्टर होने की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक लंबे और ओवरटाइम काम करने का समय है. हमें अक्सर देर रात तक काम करना पड़ता है, सुबह जल्दी उठना पड़ता है. इस बीच यदि कोई इमरजेंसी आ जाए तो विकेंड छुट्टियों में भी काम करना पड़ता है. इसके कारण कई बार अपने डॉक्टर होने के कर्तव्य के साथ घर और परिवार को संभालना मुश्किल हो जाता है. इतना ही नहीं दूसरों की सेहत को ठीक करने की जिम्मेदारी को पूरा करने के चक्कर में कई बार एक डॉक्टर खुद नींद की कमी और लगातार मानसिक शारीरिक तनाव से गुजर रहा होता है.


आसान नहीं महिला डॉक्टर होना

महिला डॉक्टरों के लिए अपने करियर और निजी जिंदगी को संतुलित करना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है. चिकित्सा क्षेत्र में कई महिला डॉक्टर पारिवारिक भूमिकाओं के साथ अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को संभालती हैं. मेडिकल डॉक्टर के रूप में काम करते हुए माँ होना विशेष रूप से मांग वाला है, जिसके लिए अक्सर परिवार से काफी समय दूर रहना पड़ता है. अक्सर, जब घर में कोई जरूरी मामला आता है तो उन्हें जल्दी काम छोड़कर जाना पड़ता है, जो उनके प्रोडक्टिविटी को इफेक्ट करता है.


कैसे मिलता है काम करने का मोटिवेशन?

भावनात्मक कठिनाइयों के अलावा, डॉक्टर हर समय महत्वपूर्ण निर्णय लेने की भारी जिम्मेदारी के कारण भी तनाव का अनुभव करते हैं. हालांकि, दूसरों की मदद करने की इच्छा, चिकित्सा के लिए जुनून और दोस्तों का प्रोत्साहन इन चुनौतियों के बावजूद हमें बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है.


मेडिकल प्रोफेशन पर डॉक्टर्स की राय

डॉ. गरिमा साहनी, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ और सह-संस्थापक, प्रिस्टिन केयर बताती हैं, मैं हर रोज अपनी देखरेख में रहने वालों के लिए पीड़ा को कम करने, देखभाल करने और उपचार प्रक्रिया में योगदान करने में सक्षम हूं. यह अहसास यह जुनून मुझे समय की कमी, कठिन मामलों और हमारी स्वास्थ्य प्रणाली के अंतर्निहित मुद्दों की बाधाओं को पार करने के लिए प्रेरित करता है. इसलिए, मैं अपने करियर में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करती हूं क्योंकि मेरा मानना है कि मेरे समर्पण में किसी की दुनिया को सकारात्मक रूप से बदलने की शक्ति है. 


न्यूरोसर्जन डॉ. पयोज पांडेय का मानना है कि कॉलेज में एडमिशन, इंटर्नशिप, पोस्ट ग्रेजुएशन की प्रिपरेशन और फिर कोर्स कंपलीट करना और फिर प्रैक्टिस करना इतना आसान नहीं होता. इन सभी के बीच शादी, बेबी प्लानिंग से लेकर पर्सनल लाइफ काफी ज्यादा इफेक्ट होती है. इतनी चैलेंजिंग लाइफ जीने के बावजूद एक डॉक्टर अपना फर्ज नहीं भूलता. उसे पेशेंट की जरूरत के लिए हमेशा तैयार रहना होता है. एक मेडिकल प्रैक्टिशनर कभी रिटायर नहीं होता, क्योंकि रोगियों की सेवा उसके जीवन का लक्ष्य होता है.


IHBAS अस्पताल दिल्ली के पूर्व रेजिडेंट डॉ. इमरान अहमद का कहना है कि उनके लिए हर दिन चैलेंजिंग होता है, क्योंकि मरीज के परिजन उम्मीद भरी नजरों से उनकी तरफ देखते हैं, वो सोचते हैं कि डॉक्टर तो उनके अपनों की जान बचा ही लेंगे. हालांकि जिंदगी और मौत ईश्वर के हाथ में होता है, लेकिन हमारी कोशिश रहती है कि मरीज को दवा और ट्रीटमेंट के जरिए पेशेंट को ठीक कर दिया जाए, लेकिन जब ऐसा नहीं होता है, तो काफी निराशा होती है. इन सब के बावजूद अगले दिन नई उम्मीद के साथ हमें आगे बढ़ना होता है.



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