एचएमपीवी इंफेक्शन का रिस्क, लेकिन फिक्र नहीं, जानिए एडवांस टेस्टिंग से कैसे मिलेंगे सटीक रिजल्ट
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एचएमपीवी इंफेक्शन का रिस्क, लेकिन फिक्र नहीं, जानिए एडवांस टेस्टिंग से कैसे मिलेंगे सटीक रिजल्ट

HMPV in India: एचएमपीवी इंफेक्शन को लेकर भले ही आप फिक्रमंद हैं, लेकिन डॉक्टर का मानना है कि हमें ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं, हालांकि एडवांस टेस्टिंग का सहारा लिया जा सकता है

एचएमपीवी इंफेक्शन का रिस्क, लेकिन फिक्र नहीं, जानिए एडवांस टेस्टिंग से कैसे मिलेंगे सटीक रिजल्ट

Advanced Testing in HMPV Detection: हाल के रिपोर्ट्स में भारत में एचएमपीवी इंफेक्शन के बढ़ते मामलों की पुष्टि हुई है, हालांकि बढ़ती चिंताए चीन में सांस से जुड़ी बीमारी के प्रकोप को दर्शाती हैं, ये समझना जरूरी है कि ह्यूमन मेटाप्न्युमोवायरस (Human metapneumovirus) कोई नया खतरा नहीं है. पहली बार 2001 में पहचाना गया ये वायरस दशकों से एक कॉमन रिस्पिरेटरी पैथोजेन के रूप में ग्लोबल लेवल पर फैल रहा है, और बेवजह के 'अलार्म' की कोई जरूरत नहीं है.

HMPV क्या है?
डॉ. एनए फिरोज बानू (Dr. NA Fairoz Banu), एमबीबीएस, एमडी-कंसल्टेंट, माइक्रोबायोलॉजी एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हाइटेक मेट्रोपोलिस, चेन्नई के मुताबिक ह्यूमन मेटाप्न्युमोवायरस (HMPV) एक रिस्पिरेटरी वायरस है जो मुख्य रूप से बूंदों या दूषित सतहों के संपर्क से फैलता है. इंफेक्शन आमतौर पर नवंबर और मई के बीच पीक पर होता है, और लक्षण फ्लू के लक्षणों के जैसे होते हैं, जिनमें बुखार, खांसी, बहती या बंद नाक, गले में खराश, सांस की तकलीफ शामिल हैं.

जबकि ज्यादातर संक्रमण हल्के होते हैं, कुछ आबादी, जैसे कि छोटे बच्चे, बुजुर्ग, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, और अस्थमा या सीओपीडी जैसी रिस्पिरेटरी कंडीशन वाले लोगों को निमोनिया (Pneumonia) और ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) सहित कॉम्पलिकेशंस का ज्यादा खतरा होता है.

एचएमपीवी को कैसे डायग्नोज किया जाता है?

एचएमपीवी का पता रियल-टाइम पीसीआर (पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) नामक एक हाइली रिलायबल तरीके का इस्तेमाल करके लगाया जा सकता है. ये सैंपल में वायरस की मौजूदगी की पहचान करने के लिए वायरस की जेनेटिक मैटेरियल को बढ़ाकर काम करता है. एडवांस पीसीआर सिस्टम एक साथ कई पैथोजेंस को टार्गेट कर सकते हैं, जो आसानी से और भरोसेमंद रिजल्ट देते हैं.

एडवांस टेक्नोलॉजी का कैसे उठाएं फायदा?

एडवांस रिस्पिरेटरी पैनल तकरीबन एक घंटे में 23 रिस्पिरेटरी वायरल और बैक्टीरियल पैथोजेंस का जल्दी और सटीक पता लगाने के लिए मल्टीप्लेक्स रियल-टाइम पीसीआर टेस्ट का इस्तेमाल करते हैं. वर्कफ़्लो आसान और कुशल है, जिसके लिए सिर्फ एक नाक के स्वाब की जरूरत होती है, और तकनीक वायरस के बहुत कम स्तर का पता लगाते हुए भी एरर फ्री रिजल्ट सुनिश्चित करती है.

इस एडवांस टेस्टिंग तकनीक का फायदा उठाकर, हम सटीक और समय पर डायग्नोसिस सुनिश्चित करते हैं, जिससे मरीजों को सही देखभाल हासिल करने में मदद मिलती है और कॉम्पलिकेशंस का खतरा कम होता है. एक्यूरेट डिटेक्शन न सिर्फ इंफेक्शन को असरदार तरीके से मैनेज करने में मदद करता है बल्कि संभावित आउटब्रेक को रोकने में भी अहम रोल अदा करता है. बाखबर रहें और अगर आप या आपके करीबियों में लक्षण दिखाई देते हैं या हाई रिस्क वाले ग्रुप से जुड़े हैं तो अर्ली टेस्टिंग को तरजीह दें.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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