नई दिल्लीः एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कोरोना संक्रमण का हमारे फेफड़ों के अलावा शरीर के विभिन्न अंगों पर भी असर पड़ा है. इनमें ब्रेन भी शामिल है. दरअसल जो मरीज कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती हुए, उनमें से 15 फीसदी को दिमागी तौर पर भी परेशानी का सामना करना पड़ा है. ऐसे मरीजों को भ्रम होना, अचानक मूड का बदलना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा. 


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क्या कहती है रिसर्च
दरअसल जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी, अटलांटा के वैज्ञानिकों ने इटली के ब्रेसिया अस्पताल में कोरोना मरीजों के सीटी स्कैन का एनालिसिस किया. जिसमें उन्होंने पाया कि कुछ मरीजों में ब्रेन का ग्रे मैटर हिस्सा कम हो गया है. जिन मरीजों को संक्रमण के दौरान ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत पड़ी थी, ज्यादातर उन्हीं में ग्रे मैटर (Gray Matter) कम हुआ. मेडिकल न्यूज टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस रिसर्च में 120 लोगों को शामिल किया गया. इनमें से 58 को कोरोना संक्रमण था और 62 को कुछ और बीमारियां थीं.


वैज्ञानिकों ने इन मरीजों के अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उनके ब्रेन के सीटी स्कैन की मदद से मॉडिफाई रैनकिन स्केल की मदद से ग्रे मैटर को मापा था. 


क्या होता है Gray Matter
हमारा ब्रेन मुख्यतः चार हिस्सों में बंटा होता है. जिसमें आगे का हिस्सा Frontal Lobe, पीछे का हिस्सा Perietal Lobe, कान के पास वाला हिस्सा Temporal Lobe और कान के पीछे वाला हिस्सा Occipital Lobe कहलाता है. जिन कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की कमी हुई थी, उनके फ्रंटल लोब के हिस्से में ग्रे मैटर में कमी देखी गई. वहीं जिन लोगों को बुखार आया उनके टेम्पोरल लोब में ग्रे मैटर में कमी देखी गई. 


ग्रे मैटर हमारे दिमाग के सेंट्रल नर्वस सिस्टम का अहम हिस्सा होता है और मसल्स कंट्रोल, महसूस करना जैसे देखना, सुनना, यादाश्त, हमारी भावनाएं, बोलना, निर्णय लेने की क्षमता और सेल्फ कंट्रोल जैसे एक्शन के लिए जिम्मेदार होता है. 


मरीजों को आ रहीं ये समस्याएं
कोरोना संक्रमण के कारण ब्रेन के फ्रंटल लोब के ग्रे मैटर में आई कमी के चलते मरीजों को Mood Swing की समस्या हो रही है. मतलब ऐसे मरीजों का मूड तेजी से बदल रहा है. वैज्ञानिकों का भी कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद मरीजों में न्यूरोलॉजिकल परेशानियां बढ़ी हैं. साथ ही ग्रे मैटर जिन एक्शन के लिए जिम्मेदार होता है, उनसे संबंधी परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है.


हालांकि रिसर्चर्स ये भी मानते हैं कि अभी यह स्टडी बहुत छोटे स्केल पर हुई है और इसकी पुष्टि के लिए ज्यादा संख्या में कोरोना मरीजों पर अध्ययन करने की जरूरत है. साथ ही इसमें ये भी देखा जाना है कि क्या बढ़े वजन या किसी अन्य बीमारी के कारण तो ब्रेन में ये बदलाव नहीं देखने को मिल रहे. लेकिन कई विशेषज्ञों ने माना है कि कोरोना संक्रमण के बाद लोगों ने मानसिक परेशानी की शिकायत की है.