प्यार इस दुनिया की सबसे ताकतवर फीलिंग है और हर तरफ प्यार करने वालों की भरमार है. लेकिन, लोगों को पता ही नहीं चलता कि वो प्यार करते-करते कब जुनूनी हो जाते हैं. दरअसल, प्यार और जुनून में बारीक-सा अंतर होता है. इस अंतर को दो उदाहरणों के जरिए आसानी से समझा जा सकता है.



ऊपर दिए गए दोनों उदाहरणों का अगर पहला हिस्सा देखा जाए, तो वो प्यार कहला सकता है. लेकिन जैसे ही उनके साथ दूसरा हिस्सा 'कुछ भी' और 'हर कीमत पर' जुड़ जाता है, तो वो जुनून बन जाता है. प्यार में जुनूनी हो जाना फिल्मों में अच्छा लग सकता है, लेकिन असल जिंदगी में ये एक 'मानसिक बीमारी' ही कही जाती है. जिसे फिल्मी स्क्रिप्ट में 'साइको लवर' कहा जाता है. मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट इस बीमारी को 'ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर' (Obsessive Love Disorder) कहते हैं. शायद इसे पढ़ने के बाद आपको 1993 की डर मूवी में शाहरुख खान का किरदार जरूर याद आता होगा.


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लड़का या लड़की का पीछा करना या उसे लगातार कॉल व मैसेज करना, प्यार का इशारा नहीं बल्कि स्टॉकिंग का संकेत होता है. जो ना सिर्फ कानूनन अपराध की लिस्ट में आता है, बल्कि ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर का लक्षण भी हैं. हम इस मानसिक बीमारी के लक्षणों के बारे में भी जानेंगे, लेकिन पहले ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर का मतलब अच्छी तरह समझ लेते हैं.


'क्या यही प्यार है' या ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर?
साइकोलॉजिस्ट डॉ. विकास खन्ना कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के लिए प्यार में ऑब्सेस्ड हो जाता है, तो उसे ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर कहा जाता है. ऑब्सेशन (Obsession) का मतलब जुनूनी, पागल, कंट्रोल करने वाले व्यक्ति से समझा जा सकता है, जिसमें मरीज हर समय सिर्फ एक ही व्यक्ति के बारे में सोचने लगता है. सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात ये है कि- ये प्यार नहीं है, बल्कि एक बीमारी है. जिसे मरीज प्यार समझने की बड़ी गलती कर बैठता है. एक्सपर्ट इस बीमारी के बारे में आगे बताते हैं कि इसमें डोपामाइन रिवॉर्ड सर्किट ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं, इसलिए आप बार-बार उस हरकत दोहराते हैं ताकि आपको अच्छा महसूस हो सके. साथ ही, यह कंपल्सिव बिहेवियर पैटर्न की लिस्ट में आती है, इसके कारण जब स्थिति, व्यक्ति या कोई चीज आपके कंट्रोल में नहीं रहती है, तो आप काफी बेचैन होने लगते हैं.


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ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर के लक्षण
डॉ. विकास खन्ना कहते हैं कि ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर (ओएलडी) का सबसे बड़ा लक्षण ये है कि व्यक्ति इसमें रिजेक्शन स्वीकार नहीं कर पाता है और सामने वाले व्यक्ति को पाने की कोशिश करता रहता है. उसे यह समझने की जरूरत है कि प्यार जबरदस्ती या पीछे पड़कर नहीं करवाया जा सकता है, बल्कि सामने वाले व्यक्ति में खुद ब खुद यह विकसित होता है. हेल्थलाइन के मुताबिक, ओएलडी के निम्नलिखित लक्षण भी हो सकते हैं. जैसे-


  • किसी के लिए बहुत ज्यादा आकर्षण

  • किसी व्यक्ति के लिए जुनूनी होना

  • जिस व्यक्ति से प्यार समझने की भूल करते हैं, उसके लिए ओवर प्रोटेक्टिव होना

  • व्यक्ति के जीवन को कंट्रोल करना

  • व्यक्ति के दूसरे संबंधों से जलन महसूस करना

  • खुद में आत्म-सम्मान की कमी महसूस करना

  • व्यक्ति की निगरानी करना

  • कुछ या कई लोगों से मिलने से मना करना

  • हर समय शक करना

  • हर समय साथ रहने का वादा करवाना

  • रिजेक्शन मिलने पर आपराधिक गतिविधि करना, आदि


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ओएलडी का इलाज कैसे होता है?
मेंटल एक्सपर्ट डॉ. विकास खन्ना कहते हैं कि ओएलडी के पीछे के कारण कई डिसऑर्डर हो सकते हैं. जैसे- अटैचमेंट डिसऑर्डर, बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, इरोटोमैनिया, ओसीडी, ऑब्सेशनल जेलेसी आदि. एक मनोवैज्ञानिक व्यक्ति में ओएलडी का मुख्य कारण जानकर उसके लिए काउंसलिंग और थेरेपी शुरू करता है. जिसके साथ एंटी-एंग्जायटी, एंटी-डिप्रेसेंट, एंटीसाइकॉटिक्स, मूड स्टैबिलाइजर्स आदि दवाओं का सेवन करने की सलाह दे सकता है. वहीं, कॉग्नीटिव बिहेवियरल थेरेपी, प्ले थेरेपी, टॉल्क थेरेपी, डायलेक्टियल बिहेवियरल थेरेपी जैसी विभिन्न थेरेपी की मदद भी ले जा सकती है.


यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.