डायबिटीज और मोटापे की रामबाण दवा को भारत में मंजूरी, जानिए कब से आपको मिलेगी Tirzepatide?
खुशखबरी है उन करोड़ों भारतीयों के लिए जो डायबिटीज और मोटापे से जूझ रहे हैं. एक ऐसी दवा को भारत में लॉन्च करने की मंजूरी मिल गई है, जिसे डायबिटीज और वजन कम करने की दुनिया में `ब्लॉकबस्टर` दवा माना जाता है.
भारत में डायबिटीज और मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. अमेरिकी दवा कंपनी एली लिली की बनाईं ब्लॉकबस्टर दवा टिरजेप्टाइड को भारत में लॉन्च करने की अनुमति मिल गई है. यह दवा टाइप 2 डायबिटीज और वजन कम करने में कारगर मानी जाती है.
भारत की दवाओं के नियामक, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की एक एक्सपर्ट कमेटी ने इस दवा के आयात और मार्केटिंग को मंजूरी दे दी है. हालांकि, इस खबर के साथ ही एक छोटी सी निराशा भी जुड़ी है. अभी दवा को मरीजों तक पहुंचने में थोड़ा वक्त लग सकता है. एली लिली के सूत्रों के मुताबिक, कंपनी को अभी दवा की ग्लोबल सप्लाई चेन की स्थिति का आंकलन करना है. संभावना है कि दवा को भारत में अगले साल ही लॉन्च किया जा सकता है. अमेरिका में भी इस दवा की काफी मांग है, जिसके चलते कई खुराकों में अभी भी कमी देखी जा रही है.
टिरजेप्टाइड कैसे करती है काम?
टिरजेप्टाइड एक इंजेक्शन वाली दवा है. यह शरीर में ग्लूकोगन-लाइक पेप्टाइड-1 (GLP-1) हार्मोन की तरह काम करती है. GLP-1 हार्मोन शरीर में इंसुलिन के लेवल को बढ़ाता है और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है. साथ ही, यह भूख कम करने और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर वजन कम करने में भी मददगार होती है.
अध्ययनों के नतीजे काफी अच्छे
अमेरिका और कई अन्य देशों में किए गए क्लिनिकल ट्रायल में टिरजेप्टाइड के बेहद पॉजिटिव नतीजे सामने आए हैं. इन ट्रायल में पाया गया कि यह दवा न सिर्फ टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल करने में कारगर है, बल्कि यह मोटापे से ग्रस्त लोगों का वजन भी काफी हद तक कम कर सकती है. कुछ मामलों में तो मरीजों के शरीर का वजन 15 से 20 प्रतिशत तक कम हो गया.
भारत में मोटापा और डायबिटीजः एक गंभीर समस्या
भारत में डायबिटीज और मोटापा एक गंभीर समस्या बन चुका है. हर साल लाखों लोग इन बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में टिरजेप्टाइड जैसी दवाएं डायबिटीज और मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए एक नई उम्मीद जगाती हैं. हालांकि, यह दवा अभी आयातित होगी और शुरुआत में इसकी कीमत थोड़ी अधिक हो सकती है. लेकिन, उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में भारत में ही इस दवा का निर्माण शुरू हो जाने से इसकी कीमत कम हो सकती है और यह आम लोगों के लिए भी सुलभ हो सकेगी.