जब हम कुछ ज्यादा शारीरिक गतिविधि कर लेते हैं तो पैरों में दर्द होता है. हालांकि, कई बार पैरों में दर्द किसी अन्य गंभीर परिणाम की ओर इशारा करता है, जैसे कि दिल की बीमारी. दिल की बीमारी और पैरों में दर्द के बीच एक संबंध है. यह संबंध पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (पीएडी) नामक एक आम स्थिति के कारण है. पीएडी तब होता है जब नसों में प्लेग (plague) नमक एक पदार्थ का निर्माण होता है. प्लेग नसों को सिकोड़ या ब्लॉक कर सकती है, जिससे शरीर के विभिन्न भागों में खून का फ्लो कम हो जाता है. जब पैरों में नसें सिकुड़ जाती हैं या ब्लॉक हो जाती है तो इस स्थिति को इसे पेरीफेरल आर्टरी डिजीज कहते हैं.


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पैरों में दर्द और दिल की बीमारी एक ही कारण से होते हैं, वो है नसों का सिकुड़न. यदि पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (पीएडी) का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह शरीर के अन्य हिस्सों में एथेरोस्क्लेरोसिस के अधिक व्यापक होने का संकेत हो सकता है. इससे दिल के दौरे और अन्य दिल से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. इन स्थितियों का शीघ्र पता लगाना और प्रबंधन दिल संबंधी जटिलताओं के खतरे को काफी कम कर सकता है और समग्र दिल की सेहत में सुधार कर सकता है.


दिल की बीमारी के कारण पैरों में दर्द कहां होता है?
पैरों में दर्द मुख्य रूप से निचले छोरों की मसल्स में होता है, खासकर पिंडली की मांसपेशियों (calves muscle). हालांकि, यह जांघों और नितंबों को भी प्रभावित कर सकता है. यह आमतौर पर शारीरिक गतिविधि के दौरान होता है, जैसे कि चलना या सीढ़ियां चढ़ना और आराम करने से दूर हो जाता है. यह दर्द इसलिए होता है क्योंकि सिकुड़ी नसें व्यायाम के दौरान पैर की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त खून की आपूर्ति नहीं कर सकती हैं.


किन लोगों को है खतरा?
धूम्रपान करने और शराब पीने वाले लोगों को इस समस्याों का अधिक खतरा होता है. डायबिटीज वाले, अधिक वजन वाले, शारीरिक गतिविधि में शामिल नहीं होने वाले, हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर वाले, जिनके परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास है और जो बुढ़ापे में हैं, उन सभी को एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण क्लॉडिकेशन का अधिक खतरा होता है.