स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) 2024 की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल वायु प्रदूषण के कारण हर दिन 464 बच्चों की मौत होती है.  रिपोर्ट में बताया गया है कि PM2.5 नामक वायु में पाए जाने वाले महीन कण, जो इतने छोटे होते हैं कि सीधे फेफड़ों में जा सकते हैं, भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का मुख्य कारण हैं.


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ये कण घातक बीमारियों जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़ों का कैंसर और सांस की बीमारियों को जन्म दे सकते हैं. वायु प्रदूषण के कारण जान गंवाने वाले बच्चों में सबसे ज्यादा संख्या 5 साल से कम बच्चों की है.


बना मौत का सबसे बड़ा कारण

शोध के अनुसार, वायु प्रदूषण ने मृत्यु के प्रमुख कारण के रूप में तंबाकू और डायबिटीज को पीछे छोड़ दिया है, केवल हाई ब्लड प्रेशर से पीछे है.


इन शहरों में खतरा ज्यादा

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, और बेंगलुरु जैसे शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक है, जो इन्हें बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक शहर बनाते हैं.


2021 में हुई हर चार में एक मौत भारत के नाम

रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों और विकारों ने 2021 में दुनिया भर में 8.1 मिलियन लोगों की जान ले ली, जिनमें से चार में से एक मौत भारत में हुई.


वायु प्रदूषण बच्चों के लिए बना यमराज

यूनिसेफ के सहयोग से पहली बार तैयार की गई इस रिपोर्ट के अनुसार, पांच साल से कम उम्र के बच्चे विशेष रूप से अति संवेदनशील होते हैं. खासतौर पर ऐसे बच्चे जो जन्म के समय कम वजन, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियां के शिकार हैं.  

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