मानव मस्तिष्क हमेशा से ही वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य रहा है. अब फ्रांस के वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली MRI स्कैनर में ब्रेन को स्कैन किया है. यह मशीन दिमाग की तस्वीरें लेने में दस गुना ज्यादा सटीक है. इस नई तकनीक से दिमाग से जुड़े रोगों जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन को समझने में काफी मदद मिल सकती है.


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फ्रांस की परमाणु ऊर्जा आयोग (CEA) के वैज्ञानिकों ने 2021 में सबसे पहले इसमें कद्दू के बीज को स्कैन किया था. ह्यूमन ट्रायल की अनुमति मिलने के बाद पिछले कुछ महीनों में 20 हेल्दी लोगों के दिमाग को इसमें स्कैन किया जा चुका है. 


बहुत पावरफुल है ये मशीन

अभी तक अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले MRI स्कैनर 3 टेस्ला की क्षमता रखते हैं, जबकि ये नया स्कैनर 11.7 टेस्ला की ताकत पैदा कर सकता है. इतनी ज्यादा ताकत की वजह से ये मशीन दिमाग की बेहद बारीक तस्वीर ले सकता है.  इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे भौतिकशास्त्री अलेक्जेंड्रे विग्नॉड कहते हैं, “हमने सीईए में सटीकता का ऐसा स्तर देखा है जो पहले कभी नहीं पहुंचा.” नई मशीन से दिमाग के सेरेब्रल कोर्टेक्स तक पहुंचने वाली छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं को भी देखा जा सकता है. साथ ही सेरिबैलम को भी बेहतर तरीके से देखा जा सकता है. 


ब्रेन की तस्वीर देख वैज्ञानिक भी चकराएं

फ्रांस की शोध मंत्री सिल्वी रिटेलियो खुद भी एक भौतिक विज्ञानी हैं. उन्होंने कहा कि, “ये सटीकता इतनी अविश्वसनीय है कि इसे देखकर विश्वास नहीं करना मुश्किल लगता है” उन्होंने ये भी कहा कि “ये दुनिया में पहली बार है कि किसी मशीन ने दिमाग को इतने बेहतर तरीके से दिखाया है. इससे दिमाग की बीमारियों को बेहतर तरीके से पहचानने और उनका इलाज करने में मदद मिलेगी.”


ब्रेन की बीमारियों का निदान इलाज होगा आसान

इस मशीन की मदद से वैज्ञानिक ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि दिमाग काम करते समय किन क्षेत्रों का इस्तेमाल करता है. ये भी जानने की कोशिश की जा रही है कि अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों में दिमाग में क्या बदलाव होते हैं. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि ये नई तकनीक इन बीमारियों के शुरुआती दौर में ही पता लगाने में मदद करेगी, जिससे इलाज भी जल्दी शुरू किया जा सकेगा. 


मशीन को अस्पतालों में पहुंचने में लगेगा अभी टाइम

आने वाले कुछ महीनों में और स्वस्थ लोगों को इस मशीन से स्कैन कराया जाएगा. फिलहाल, बीमार लोगों को स्कैन कराने में अभी कई साल लग सकते हैं. हालांकि ये नया MRI अभी अस्पतालों में इस्तेमाल के लिए तैयार नहीं है, लेकिन इससे मिली जानकारी का इस्तेमाल भविष्य में बेहतर इलाज के लिए किया जा सकता है.