Fatty Liver in Children: बड़ों के साथ-साथ बच्चों से मीठी चीजों को दूर रखना चाहिए, क्योंकि ये कई तरह से सेहत को नुकसान पहुंचाता है. चीनी को 'मीठा जहर' कहें तो शायद गलत नहीं होगा, ये फैटी लिवर का कारण बन सकता है. भारत में मिलने वाले पैक्ड फूड में एडेड शुगर की मात्रा दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा होती है, जो 9 साल के बच्चों के लिवर में भी फैट बढ़ा सकता है. मुंबई में पीडियाट्रिशियन और हेपेटोलॉजिस्ट की मीटिंग में शुगर इनटेक के खतरे को लेकर फोकस किया गया.


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शुगर है बच्चों का दुश्मन


डॉ. आभा नगराल (Dr. Aabha Nagral) ने टीओआई को बताया, "चीनी एक बड़ा दोषी है जो लिवर के अंदर फैट में बदल जाता है" ओवरवेट बच्चों या बड़ों में ये फैट इंसुलिन रिजिस्टेंस जैसे प्रिएग्जिस्टिंग कंडीशन के कारण मेटाबोलाइज नहीं होत पाता. पारंपरिक तैर पर फैटी लिवर को शराबियों से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन 1980 के दशक में डॉक्टर्स ने पाया कि नॉन एल्कोहलिक होने के बावजूद लिवर में एक्ट्रा फैट जम रहा है. इसी से 'नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज' (NAFLD) का नाम पड़ा.



मोटे बच्चों में आम है फैटी लिवर


एनएएफएलडी (NAFLD) घाव, फाइब्रोसिस, सिरोसिस या कैंसर का कारण बनता है. एक्सएक्सएल जेनरेशन में, फैटी लीवर की शुरुआती उम्र बहुत कम हो गई है और इसकी घटनाएं बढ़ रही हैं. मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन के पास बीएमसी द्वारा संचालित नायर अस्पताल में की गई एक स्टडी में, ज्यादा वजन वाले या मोटे पाए गए 62% बच्चों में फैटी लीवर था. इंडेक्सड मेडिकल जर्नल 'एनल्स ऑफ हेपेटोलॉजी' में छपी स्टडी में 11 से 15 की एज ग्रुh के 616 स्कूली बच्चों को शामिल किया गया था, उनमें से 198 अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त पाए गए।


क्यों बढ़ रही है ये बीमारी?


इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (Indian Academy of Paediatrics) की अध्यक्ष डॉ. नेहाल शाह (Dr. Nehal Shah) ने टीओआई से कहा, "कोविड के बाद से एक्सरसाइज की कमी, आराम न करना और जंक फूड तक आसान पहुंच के कारण छोटे बच्चों में मोटापे में इजाफा हुआ है. 25 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स वाले बच्चों में फैटी लीवर की अत्यधिक संभावना होती है. हमें अपने बच्चों में फैटी लीवर के बारे में सतर्क रहने की जरूरत है."


छोटे बच्चों को न खिलाएं चीनी


डॉ. नेहाल ने आगे कहा, "आईएपी गाइडलाइंस के मुताबिक एक साल तक के बच्चों को नमक और 2 साल तक के बच्चों को चीनी नहीं खिलाना चाहिए, कोई भी पैरेंट्स को तब तक फैटी लिवर का पता नहीं चलता जब तक बच्चे पेट दर्द या कब्ज की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास नहीं जाते. चूंकि शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते इसलिए माता-पिता फैटी लिवर को इतना सीरियसली नहीं लेते."