नई दिल्ली: सब्जी सेहत के लिए हानिकारक नहीं है. IISER तिरुवनन्तपुरम ने सब्जियों और फलों में पेस्टीसाइड्स की जांच का आसान तरीका खोज लिया. फल और सब्जी सेहत के लिए फायदेमंद हुआ करते थे, लेकिन अब यही फल और सब्जियां हमें और आपको बीमार बहुत बीमार बना रही हैं. केमिकल और पेस्टीसाइड्स के इस्तेमाल से फल और सब्जियां जहरीली हो रही हैं. इनकी वजह से कैंसर, सेप्टिक अलसर, किडनी संबंधी बीमारियां हो रही हैं. सब्जी और फलों में कीटनाशकों की जांच का तरीका भी इतना जटिल और समय लेने वाला है कि जांच करना बेहद मुश्किल हो जाता है, लेकिन अब इसका आसान तरीका IISER तिरुवनन्तपुरम की टीम ने ढूंढ़ लिया है.


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कैसे होगी कीटनाशकों की जांच
इस तकनीक में सबसे पहले फलों का सब्जियों का रस निकालकर उससे रंग को अलग किया जाएगा. फिर पेपर स्ट्रिप पर जिस फल या सब्जी की जांच करनी है उसके रस का सैम्पल लेकर रमन स्पेक्ट्रोमीटर से लेस मशीन में पेपर स्ट्रीप को डाला जाएगा. ऐसा सॉफ्टवेयर भी मशीन में डाला गया है जो सैम्पल के स्पैट्रम की जानकारी स्क्रीन पर देगा और इस स्पैट्रम तुलना पेस्टिसाइड्स के स्पैट्रम से करके इस बात की जानकारी आसानी से हासिल की जा सकती है कि फल या सब्जी खाने लायक हैं या नहीं.



टेस्ट में लगेगा कितना समय
फल और सब्जियों में कीटनाशकों की जांच करने में लैब 5 से 7 दिन का वक्त लेती हैं लेकिन इस तकनीक से महज 4 घंटों में इस बात का पता चल जाएगा कि फल या सब्जी के सैम्पल टेस्ट में पास हुए या फेल. सेब, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, पीच, चेरी, पालक, टमाटर, मूली, गाजर, पत्ता गोबी में सबसे ज्यादा पेस्टिसाइड्स पाया जाता है. IISER तिरुवनन्तपुरम द्वारा तैयार की गई कीटनाशकों के जांच की लैब महज 4-5 लाख रूपये में बनकर तैयार हो जाएगी. जबकि अभी लैब में जिन मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है वो एक-एक मशीन 30 से 35 लाख रूपये के बीच होती है. हालांकि इस तकनीक का इस्तेमाल घर में नहीं किया जाता सकता लेकिन बड़े-बड़े स्टोर्स और प्रशासन इस तकनीक का इस्तेमाल कर फल और सब्जियों की गुणवत्ता आसानी से जांच सकती है.