जोड़ों का दर्द एक सामान्य समस्या है. यह चलने-फिरन में मामूली असुविधा से लेकर  रोजमर्रा की गतिविधियों और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है. हालांकि कभी-कभी जोड़ों में दर्द बढ़ती उम्र या व्यायाम करने का एक सामान्य हिस्सा होता है.


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लेकिन डॉ. देबाशीष चंदा, लीड कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट, सीके बिरला अस्पताल, गुड़गांव बताते हैं कि गंभीर या लगातार दर्द किसी अंतर्निहित चिकित्सीय स्थिति का भी संकेत हो सकता है. ऐसे में जोड़ों के दर्द को पेन किलर से नजरअंदाज करना कब बंद करना चाहिए यह जानना बहुत जरूरी है. 


लगातार दर्द

यदि जोड़ों का दर्द कुछ हफ्तों से अधिक समय तक रहता है और आराम या ओवर-द-काउंटर दवाओं से बेहतर नहीं होता है, तो यह किसी अधिक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है. लंबे समय तक दर्द रहने से बर्साइटिस, टेंडिनाइटिस या गठिया जैसी क्रोनिक बीमारियों की उपस्थिति का संकेत हो सकता है. 


गंभीर होता दर्द

यदि जोड़ों का दर्द समय के साथ बिगड़ता है, तो इसे गंभीरता से लेना महत्वपूर्ण है. जब दर्द रोजमर्रा की गतिविधियों जैसे चलना, काम करना या सोना को गंभीर रूप से सीमित करता है, तो यह एडवांस ऑस्टियोआर्थराइटिस या रुमेटाइड अर्थराइटिस का संकेत हो सकता है. इसके अलावा, बढ़ते हुए दर्द से संक्रमण या डैमेज का पता चल सकता है जिसका तुरंत इलाज किया जाना चाहिए.

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सूजन और लालिमा

जब जोड़ों के दर्द के साथ जलन, लालिमा या सूजन होती है, तो संक्रमण इसका कारण हो सकता है. रूमेटोइड अर्थराइटिस और गठिया दो स्थितियां हैं जिसमें अक्सर ऐसे लक्षण दिखायी देते हैं. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी होता है.


मूवमेंट में परेशानी

यदि जोड़ों के दर्द के साथ गति की सीमा में स्पष्ट कमी या जकड़न होती है जो गतिशीलता को प्रतिबंधित करती है, तो यह गठिया का लक्षण हो सकता है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवा कर इलाज शुरू करना अहम होता है.

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