Natarajasana: नटराज आसन करने की सही विधि और अद्भुत फायदे, भगवान शिव को है अति प्रिय
नटराज आसन (Natarajasana Benefits) को मुश्किल योगासनों में गिना जाता है। मान्यता है कि यह योगासन भगवान शिव को अति प्रिय है। जानें नटराजासन के फायदे और अभ्यास करने की सही विधि...
मान्यता है कि नटराज आसन भगवान शिव की प्रिय योग मुद्रा है। इसके रूप की व्याख्या भगवान शिव (Lord Shiva) के नटराज रूप में किए गए नृत्य की एक मुद्रा से की जाती है। हालांकि, नटराजासन (Natarajasan Benefits) कई प्रकार के हो सकते हैं और यहां इसका एक विकसित रूप बताया जा रहा है। इस योगासन को आसान समझने की भूल न करें। हालांकि नियमित अभ्यास से आप इसमें कुशल हो सकते हैं। नटराज आसन को अंग्रेजी में किंग डांसर पोज (King Dancer Pose) भी कहा जाता है। इसके अभ्यास से शरीर को काफी अद्भुत फायदे मिलते हैं। आइए नटराजासन के फायदे और इसे करने की सही विधि के बारे में जानते हैं।
नटराजासन योग करने के फायदे (Benefits of Natarajasan Yoga or King Dancer Pose in Hindi)
नटराजासन योग का नियमित अभ्यास करने पर आप निम्नलिखित फायदे प्राप्त कर सकते हैं। जैसे-
इसके नियमित अभ्यास से वजन कम करने में मदद मिल सकती है।
शरीर का पोस्चर सुधारने और शारीरिक संतुलन बेहतर बनाने में मदद करता है।
नटराजासन योग करने से जांघ, कूल्हे, टखने और सीना स्ट्रेच होकर मजबूत बनता है।
इस योगासन के अभ्यास से आपकी एकाग्रता यानी फोकस बढ़ता है।
नटराज आसन के लाभ (Natarajasana Benefits) में तनाव में कमी व दिमाग की शांति भी शामिल है।
आपके शरीर की पाचन शक्ति बढ़ती है।
किंग डांसर पोज (King Dancer Pose benefits) से हैमस्ट्रिंग, स्पाइन व कंधे लचीले बनते हैं। जिससे इनके चोटिल होने का खतरा कम हो जाता है।
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नटराज आसन कैसे करें, जानें इसकी सही विधि (Natarajasana Steps)
किंग डांसर पोज मतलब नटराज आसन योग करने का सही तरीका नीचे बताया गया है।
सबसे पहले दोनों पैरों पर बराबर वजन डालकर योगा मैट पर खड़े हो जाएं और सामने किसी एक बिंदु पर अपना ध्यान केंद्रित करें।
अब दायां घुटना मोड़ लें और शरीर के पीछे से दायें हाथ की मदद से इसका टखना पकड़ लें।
अभी तक दोनों घुटनों को बराबर रखें और शारीरिक संतुलन बनाने की कोशिश करें।
जब संतुलन बन जाए, तो दायें हाथ से पकड़े हुए ही दायां पैर जितना हो सके ऊपर की तरफ तानने की कोशिश करें। ध्यान रहे कि दायां कूल्हा मुड़ना नहीं चाहिए।
अब बायें हाथ की तर्जनी उंगली और अंगूठे को मिलाकर ज्ञान मुद्रा में लाएं और हाथ को सीने के सामने आगे की तरफ फैला लें और अब इस पर अपना ध्यान केंद्रित करें।
जितनी देर तक हो सके इसी अवस्था में रहने की कोशिश करें।
अब बायें हाथ को नीचे की तरफ लाएं और दाहिना टखना छोड़कर दायां हाथ भी आराम की अवस्था में ले आएं।
धीरे-धीरे दायें पैर को नीचे जमीन पर लाएं।
थोड़ी देर आराम करके फिर बायें पैर के साथ इसी क्रम का अभ्यास करें।
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नटराज आसन करते समय बरतें ये सावधानी
ध्यान रखें कि अगर नटराजासन का अभ्यास करते हुए आपको कमर में दर्द या असहजता होती है, तो इसे तुरंत रोक दें। इसके अलावा, कंधे, कूल्हों, घुटनों की परेशानी या चोट वाले लोग इस आसन को न करें।
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। इसका अभ्यास करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क जरूर कर लें।