पंजाब की धरती पर सर्दी का मौसम खत्म होने और वसंत के आने की खुशियां लोहड़ी के त्योहार के साथ ही बिखरती हैं. ये वो समय है, जब कड़ाके की ठंड के आखिरी पलों का आनंद लिया जाता है और आने वाले वसंत का स्वागत किया जाता है. पूरे देश में लोहड़ी को फसलों की कटाई के त्योहार के रूप में मनाया जाता है.


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पंजाब में लोहड़ी हो, गुजरात में उत्तरायण हो या पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति, हर जगह लोग हर्षोल्लास के साथ इस त्योहार को मनाते हैं और सूर्य देवता से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लेते हैं. इस समय सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, इसलिए इसे मकर संक्रांति भी कहा जाता है.


कैसे मनाते हैं लोहड़ी
लोहड़ी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. लोहड़ी के दौरान, लोग एक अलाव जलाते हैं और उसमें मक्का, मूंगफली और तिल के बीज डालते हैं. लोगों में पारंपरिक प्रसाद बांटा जाता है. लोग नाचते, गाते और बहादुरी और साहस की कहानियां सुनाते हैं. इस दिन सरसों का साग, मक्की की रोटी, गजक और रेवड़ी जैसे पारंपरिक लोहड़ी व्यंजन बनाए जाते हैं. बच्चे अपने मोहल्ले में घर-घर जाकर लोहड़ी के गीत गाते हैं और सभी से मिठाई और मक्का इकट्ठा करते हैं.


इतिहास
इस साल लोहड़ी 14 जनवरी को मनाई जाएगी. बताया जाता है कि मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में दुल्ला भट्टी नाम का एक योद्धा हुआ करता था. वह अपनी बहादुरी और साहस के लिए जाना जाता था. उसने छोटी लड़कियों को गुलामी के लिए बेचे जाने या उनके परिवार के सदस्यों द्वारा जबरन विवाह में धकेलने से बचाया था. दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को एक नया जीवन दिया. लोहड़ी के दौरान लोग दुल्ला भट्टी की बहादुरी और साहस के गीत गाते हैं.


तो आइए इस लोहड़ी के पर्व पर परंपराओं का सम्मान करें, अलाव के चारों ओर इकट्ठा हों, खुशियां बांटें और आने वाले वसंत का स्वागत खुले दिल से करें. लोहड़ी की शुभकामनाएं!