मासिक धर्म (menstrual cycle) प्रकृति का एक अनोखा वरदान, जो हर महीने महिलाओं के जीवन में आता है. लेकिन, कामकाजी महिलाओं के लिए यह वरदान कई बार बोझ बन जाता है. ऑफिस के काम का दबाव, घर की जिम्मेदारियां और पीरियड्स के लक्षणों से जूझना, यह सब मिलकर महिलाओं के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है. हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार, 69% कामकाजी महिलाएं मासिक धर्म के दौरान किसी न किसी प्रकार की परेशानी का अनुभव करती हैं. इनमें पेट दर्द, ऐंठन, थकान, मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं शामिल हैं.


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चार्टर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सनेल एंड डेवलपमेंट (सीआईपीडी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 69% महिलाओं का मानना है कि उनका मासिक धर्म उनके काम को नेगेटिव रूप से प्रभावित करता है. 18-60 आयु वर्ग की 2,000 से अधिक महिलाओं को शामिल करने वाले इस सर्वे में पाया गया कि 53% महिलाएं पेट में दर्द, थकान और ध्यान लगाने में कठिनाई जैसे मासिक धर्म संबंधी लक्षणों के कारण काम पर नहीं आ सकीं.


यह रिपोर्ट काम पर महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण पर मासिक धर्म के प्रभाव को उजागर करती है. मासिक धर्म के दौरान होने वाली परेशानियां न सिर्फ डेली जीवन बल्कि काम करने क्षमता को भी प्रभावित कर सकती हैं. सर्वेक्षण में शामिल महिलाओं में से लगभग आधी (49%) ने बताया कि उन्हें पीरियड्स के दौरान काम पर छुट्टी लेने में असहजता महसूस होती है. कई बार पीरियड्स के लक्षणों को पीछे छिपाकर या किसी और कारण बताकर महिलाएं छुट्टी लेती हैं.


इसी बीच, कार्यस्थल पर अधिक समावेशी वातावरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, इनकस्पेज ने 'इनक्यू-ईज डे' पॉलिसी की शुरुआत की है. यह पहल महिला कर्मचारियों को उनके मासिक धर्म के दौरान हर महीने एक दिन घर से काम करने की सुविधा प्रदान करती है. इसका उद्देश्य एक सपोर्टिव वर्कप्लेस कल्चर.


इस नई पॉलिसी की घोषणा पर इनक्यूस्पेज के फाउंडर और सीईओ संजय चौधरी ने कहा कि यह पॉलिसी हमारे कर्मचारियों की भलाई की रक्षा करती है और एक ऐसा वातावरण बनाती है जो हर व्यक्ति की अनूठी जरूरतों को स्वीकार करता है. हमारी पॉलिसी की एक प्रमुख विशेषता मैनेजर द्वारा ऑटोमैटिक अप्रूवल है, जो कर्मचारियों को बिना किसी परेशानी के आवश्यक छुट्टी लेने का लचीलापन सुनिश्चित करती है.