प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई शारीरिक व हॉर्मोनल बदलाव होते हैं. महिला का गर्भावस्था के पहले और बाद का मानसिक स्वास्थ्य भी बदल जाता है. पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) भी प्रेग्नेंसी के बदलावों से विकसित हुई समस्या है. गर्भावस्था के दौरान और बाद में महिलाओं में मिश्रित भावों का आदान-प्रदान होता है. अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान या बाद में अधिकतर समय उदासी, भावना रहित और खालीपन महसूस होता है और यह समस्या दो हफ्तों से ज्यादा चलती है, तो उन्हें डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या है और इसके लिए उचित थेरेपी और दवा क्या है. अगर नहीं, तो आपको इससे जुड़ी सभी जानकारी नीचे मिलेगी.


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पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या है?
अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट Womens Health के मुताबिक, पोस्टपार्टम का मतलब 'बच्चे के जन्म के बाद' होता है और पोस्टपार्टम डिप्रेशन का मतलब बच्चे के जन्म के बाद होने वाले अवसाद होता है. अधिकतर महिलाएं 'बेबी ब्लू' का शिकार हो जाती हैं और बच्चे को जन्म देने के कुछ दिन के भीतर ही उदासी व खालीपन महसूस कर सकती हैं. आमतौर पर यह भावनाएं 3 से 5 दिन में चली जाती हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता और यह समस्या लंबी चलती है, तो आपको पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकता है. बच्चे को जन्म देने के बाद बेउम्मीद होना या खालीपन महसूस होना मां बनने की आम भावना नहीं है.


पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक गंभीर मानसिक समस्या है. जिसमें आपका दिमाग पूरी क्षमता से काम नहीं करता है और आपके भावनात्मक व शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. इस समस्या में अधिकतर समय उदासी, खालीपन और किसी भावना का ना होना जैसा महसूस होता है और आपकी दिनचर्या प्रभावित होने लगती है. अगर आपको अपने बच्चे से भी प्यार और लगाव में कमी महसूस हो रही है, तो यह भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारण हो सकता है. इस दौरान नयी मां को एंजायटी डिसऑर्डर का भी सामना करना पड़ सकता है.


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पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं?
महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद यहां बताए गए लक्षणों में से कुछ लक्षण दिखना आम बात है, लेकिन अगर यह लक्षण 2 हफ्तों से ज्यादा रहते हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए.


  • बेवजह रोना

  • ऊर्जा या प्रेरणा की कमी

  • बेउम्मीद व उदास होना

  • मूड स्विंग्स होना

  • नींद कम या बहुत ज्यादा आना

  • याद्दाश्त कमजोर होना

  • सिरदर्द, पेट दर्द या अन्य शारीरिक दर्द होना

  • अपने बच्चे में दिलचस्पी कम होना

  • खुद को या अपने बच्चे को चोटिल करने का डर होना

  • बुरी मां बनने का डर

  • घरवालों या दोस्तों से दूर हो जाना, आदि


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पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज क्या है?
Womens Health के अनुसार पोस्टपार्टम डिप्रेशन के इलाज के लिए निम्नलिखित तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
दवाएं
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज करने के लिए कुछ खास प्रकार की एंटी-डिप्रेसेंट दवाओं (Anti Depressant Medicine) का सेवन करने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं. ये दवाएं डिप्रेशन के लक्षण कम कर सकते हैं और स्तनपान के दौरान ली जा सकती हैं. एंटी-डिप्रेसेंट दवाओं को असर दिखाने में कुछ दिन से लेकर कुछ हफ्ते तक लग सकते हैं.


थेरेपी
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के इलाज के लिए थेरेपी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. जिसमें आप अपनी भावनाओं और लक्षणों के बारे में किसी थेरेपिस्ट, साइकोलॉजिस्ट या सोशल वर्कर से बात करते हैं. वे लोग आपको इन लक्षणों से निकलने या उन्हें नियंत्रित करने में मदद करते हैं.


ईसीटी
ईसीटी को इलेक्ट्रोकंवल्सिव थेरेपी भी कहा जाता है, जो कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन के गंभीर मामलों के इलाज में इस्तेमाल की जाती है.


यहां दी गई जानकारी किसी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी गई है.