पड़ोस की आर्थिक व सामाजिक स्थिति लोगों के दिमाग के स्वास्थ्य पर असर डालती है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के यूसीएलए डेविड गेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोध के अनुसार यह मोटापे की वजह भी है. दिमाग का वह हिस्सा जो इनाम, भावना, ज्ञान और समझ प्राप्त करने में शामिल होता है, वह पड़ोस की स्थिति से प्रभावित होता है, यह मोटापे में योगदान करता है. यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है.


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शोधकर्ताओं के अनुसार आप जो खाते हैं उसका प्रभाव सिर्फ शरीर पर नहीं पड़ता. वंचित पड़ोस में रहने से भोजन की पसंद, वजन बढ़ना और यहां तक कि दिमाग की सूक्ष्म संरचना भी प्रभावित हो सकती है. लोगों के दिमाग के स्वास्थ्य में सुधार के लिए वंचित इलाकों में स्वस्थ भोजन से संबंधित बदलावों को जरूरी बताया गया है.


दिमाग संरचना के असर पर अध्ययन
इससे पहले हुए अध्ययनों में पाया गया था कि खाने की खराब गुणवत्ता, अत्यधिक कैलोरी के सेवन तथा शारीरिक गतिविधि पर ध्यान नहीं देनेवाले वातावरण के कारण वंचित पड़ोस में रहने वाले लोगों में मोटापे का खतरा अधिक होता है. इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने वंचित पड़ोस और मस्तिष्क संरचना के बीच संबंधों की जांच की है. शोधकर्ताओं ने दिमाग के कॉर्टेक्स का विश्लेषण किया ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि वंचित क्षेत्र में रहने से मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्र कैसे बदल सकते हैं.


क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता
वंचित पडोस दिमाग के कॉर्टेक्स की बारीक संरचना में अंतर से जुड़ा था. इनमें से कुछ अंतर मोटापे से जुड़े थे और तले हुए फास्ट फूड में पाए जाने वाले ट्रांस फैटी एसिड के अत्यधिक - सेवन से संबंधित थे. नतीजे बताते हैं कि भावना, ज्ञान और समझ में शामिल दिमाग का हिस्सा वंचित के पहलुओं से प्रभावित होते हैं, जो मोटापे में योगदान करते हैं.


कौन हैं वंचित पड़ोसी
- आप जहां रह रहे हैं वहां औसत से कम आय, शिक्षा और निम्न स्तर, भीड़भाड़ और मूलभूत सुविधाओं की कमी है.
- लोगों के दिमाग के स्वास्थ्य में सुधार के लिए वंचित इलाकों में स्वास्थ भोजन को अधिक आसानी से उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है.