जिन पुरुषों को Heart Disease है उनकी उम्र बढ़ा सकती है Viagra, नई रिसर्च का दावा
इम्पोटेंसी की समस्या में इस्तेमाल होने वाली दवा वियाग्रा कोरोनरी आरट्री डिजीज से पीड़ित पुरुषों में दोबारा हार्ट अटैक आने के खतरे को कम कर सकती है जिससे उन्हें लंबा जीवन जीने में मदद मिलती है. एक नई स्टडी में यह बात सामने आयी है.
नई दिल्ली: कोरोनरी आरट्री डिजीज (CAD) एक तरह का हृदय रोग (Heart Disease) है जिसमें जिसमें हृदय को खून सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाएं जिन्हें कोरोनरी धमनी कहा जाता है या तो संकुचित हो जाती हैं या फिर ब्लॉक हो जाती हैं. धमनी के अंदर प्लाक जमने की वजह से ऐसा होता है. कोरोनरी आरट्री डिजीज की वजह से सीने में दर्द और हार्ट अटैक (Heart Attack) भी हो सकता है. एक नई रिसर्च की मानें तो जिन पुरुषों को कोरोनरी आरट्री डिजीज है अगर वे वियाग्रा (Viagra) लेते हैं तो उनकी उम्र बढ़ सकती है.
वियाग्रा लेने वालों को दोबारा हार्ट अटैक का खतरा कम
स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टिट्यूट में हुई इस नई रिसर्च को अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित किया गया है. अमेरिकी हेल्थ वेबसाइट healthline.com में छपी एक रिपोर्ट में इस रिसर्च के बारे में बताया गया है. इस नई रिसर्च की मानें तो जिन पुरुषों को कोरोनरी आरट्री डिजीज की बीमारी है, अगर वे नपुंसकता (impotence) की वजह से वियाग्रा लेते हैं तो उनमें दोबारा हार्ट अटैक होने का खतरा काफी कम हो जाता है जिससे उनकी आयु बढ़ सकती है.
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हृदय रोग के खतरे का संकेत है नपुंसकता
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) की मानें तो अगर किसी स्वस्थ पुरुष में नपुंसकता (impotence) जिसे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन भी कहा जाता है की समस्या होने लगे तो इसे कार्डियोवस्क्युलर डिजीज (हृदय रोग) के शुरुआती संकेत के तौर पर देखा जा सकता है. इस समस्या में PDE5 इन्हिबिटर्स दवाइयां दी जाती हैं जो बाजार में वियाग्रा (सिल्डेनाफिल) या सियालिस (टाडालाफिल) के नाम से बिकती हैं. ये दवाइयां PDE5 एन्जाइम को रोकने का काम करती हैं ताकि इरेक्शन हासिल करने के लिए ब्लड फ्लो को बढ़ाया जा सके.
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6 महीने में दोबारा हार्ट अटैक होने का खतरा रहता है
इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने की कोशिश की कि इम्पोटेंसी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली इन दवाइयों का कोरोनरी आरट्री डिजीज के मरीजों में क्या असर होता है. इम्पोटेंसी का इलाज करवाने से 6 महीने पहले स्टडी में शामिल सभी प्रतिभागियों को हार्ट अटैक, बलून डाइलेशन या बाइपास सर्जरी (Bypass Surgery) का अनुभव हो चुका था. डॉक्टरों की मानें तो हृदय रोग के मरीजों में शुरुआती 6 महीने में दोबारा हार्ट अटैक होने का खतरा सबसे अधिक होता है.
शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में पाया कि जिन पुरुषों को PDE5 इन्हिबिटर्स दिए गए उन्हें दोबारा हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, बलून डाइलेशन और बाइपास सर्जरी होने का खतरा कम हो गया जिसकी वजह से उन्होंने लंबा जीवन जीया. इसका कारण ये हो सकता है कि वियाग्रा जैसी दवाइयां ब्लड प्रेशर को काफी हद तक कम कर देती हैं जो हृदय रोग होने का सबसे अहम जोखिम कारक है.
(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. Zee News इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)