Nipah Virus Symptoms: भारत के दक्षिणी राज्य केरल एक बार फिर निपाह वायरस की चपेट में हैं, बीते रविवार यानी 21 जुलाई को मलप्पुरम (Mallapuram) जिले में 14 साल के लड़के की मौत हो गई. इसकी जानकारी स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने दी. मृतक पांडिक्कड़ (Pandikkad) शहर का निवासी था, उसे सुबह 10:50 बजे उसे दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उसकी मौत हो गई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

केरल की हेल्थ मिनिस्टर वीणा जॉर्ज (Veena George) ने कहा, "वो बेहोश था और उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. दिल का दौरा पड़ने के बाद उसे बचाने की काफी कोशिशें की गई, लेकिन सभी उपाय नाकाम रहे और फिर सुबह 11.30 बजे उसकी मौत हो गई." स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा, "मंजेरी मेडिकल कॉलेज में 4 लोग भर्ती हैं, जिनमें से एक शख्स आईसीयू में है."


केंद्र सरकार केरल में जांच टीम भेजेगी


केरल के मलप्पुरम जिले में निपाह वायरस के संक्रमण का मामला सामने आने के बाद जांच कार्य में राज्य सरकार की मदद के लिए केंद्र सरकार एक ‘मल्टी मेंबर जॉइंट आउटब्रेक रिस्पॉन्स टीम’ (Multi-member Joint Outbreak Response Team) तैनात करेगी. सेंट्रल टीम वायरस के महामारी से कनेक्शन की पहचान करने के अलावा टेक्निकल हेल्प देगी. आखिरी बार इस वायरल का प्रकोप साल 2023 में कोझिकोड जिले में देखा गया था.



निपाह वायरस का इतिहास



वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक निपाह वायरस की पहली पहचान सन 1999 में मलेशिया में सुअर पालने वालों के बीच हुए एक महामारी के दौरान हुई थी. हालांकि इसके बाद से मलेशिया में कोई नया प्रकोप नहीं हुआ है. साल 2001 में बांग्लादेश में इस महामारी के मामले सामने आए थे, और तब से उस देश में तकरीबन हर साल प्रकोप होते रहे हैं. पूर्वी भारत में भी समय-समय पर इस बीमारी की पहचान हुई है. कई अन्य क्षेत्रों में भी संक्रमण का खतरा हो सकता है, क्योंकि वायरस के वाहक (पटेरूपस चमगादड़ प्रजाति) और कई अन्य चमगादड़ प्रजातियों में कई देशों, जिनमें कंबोडिया, घाना, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, फिलीपींस और थाईलैंड शामिल हैं में पाए गए हैं.



इंसानों में निपाह वायरस के लक्षण


डब्ल्यूएचओ की मानें तो इंसानों में निपाह वायरस के हल्के संक्रमण से लेकर एक्यूट रिस्पिरेटरी इंफेक्शन हो सकते हैं, कई मामलों में एन्सेफलाइटिस जानलेवा स्तर तक पहुंच सकता है. संक्रमित लोगों में शुरुआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और गले में खराश जैसे लक्षण विकसित होते हैं. इसके बाद चक्कर आना, उनींदापन, चेतना में परिवर्तन और तीव्र एन्सेफलाइटिस का संकेत देने वाले न्यूरोलॉजिकल लक्षण देखने को मिलते हैं. कुछ लोगों को असामान्य निमोनिया और सांस की गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं, जिसमें एक्यूट रिस्पिरेटरी डिस्ट्रेस शामिल है. गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस और दौरे पड़ते हैं, जो 24 से 48 घंटों के भीतर कोमा की ओर बढ़ने लगते हैं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.