विश्वभर में मोटापा तेजी से एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है और इसका असर भारत समेत एशिया के कई देशों में भी साफ देखा जा सकता है. एक नए शोध के मुताबिक, 2030 तक दुनियाभर में 100 करोड़ लोग मोटापे की चपेट में आ सकते हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या खासी अधिक हो सकती है. हर पांच में से एक महिला और सात में से एक पुरुष मोटापे से प्रभावित होगा. यह आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं, क्योंकि मोटापा न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है, बल्कि कई जानलेवा बीमारियों का कारण भी बन सकता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऑस्ट्रेलिया की रूरल हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट, नेपाल और इथियोपिया के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि 15-49 साल की महिलाओं में मोटापा महामारी की तरह फैल रहा है. शहरीकरण और लाइफस्टाइल में बदलाव इसके प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं. अध्ययन के अनुसार, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल समेत 10 एशियाई देशों की महिलाएं मोटापे की चपेट में तेजी से आ रही हैं. पिछले दो दशकों में इन देशों में मोटापे का ट्रेंड लगातार बढ़ा है.


शोध के चौंकाने वाले आंकड़े
अध्ययन में पाया गया है कि मालदीव को छोड़कर सभी देशों में मोटापे का ट्रेंड बढ़ा है. पाकिस्तान में 2012 में 17.3% महिलाएं मोटापे की चपेट में थीं, जो 2022 में बढ़कर 21.8% हो गई हैं. भारत में भी मोटापे का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. 2005 में जहां सिर्फ 2.5 फीसदी महिलाएं मोटापे से पीड़ित थीं, वहीं अब यह संख्या 5% से अधिक हो गई है.


मोटापा बन सकता है बीमारियों का कारण
मोटापे से ग्रसित लोगों में कई जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इनमें प्रमुख रूप से दिल की बीमारी, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक शामिल हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार, यदि समय रहते मोटापा रोकने के उपाय नहीं किए गए, तो 2030 तक यह महामारी का रूप ले सकता है.


मोटापा रोकने के सुझाव
शोध में बताया गया है कि शहरीकरण, अनियमित लाइफस्टाइल और अधिक समय तक टीवी देखने की आदतें मोटापे के प्रमुख कारण हैं. महिलाओं को अपनी लाइफस्टाइल में सुधार लाकर और शिक्षा को प्राथमिकता देकर इस समस्या से बचा जा सकता है. मोटापे को कंट्रोल करने के लिए सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.