कोविन ऐप, मिलेट्स और सर्वाइकल कैंसर, जानिए बिल गेट्स से चर्चा के दौरान क्या बोले पीएम मोदी
जब दुनिया के टॉप अमीरों की लिस्ट में शुमार बिल गेट्स ने भारत के प्रधानमंत्री से बात की तो इस दौरान स्वास्थ्य से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई. ये बताया गया कि वैक्सिनेशन प्रोग्राम में डिजिटल सिस्टम होने से क्या-क्या फायदे हुए हैं.
माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट के साथ बातचीत में पीएम नरेंद्र मोदी ने हेल्थ और बैलेंस्ड फूड को लेकर काफी कुछ जानकारियां शेयर की. इन मुद्दों पर चर्चा करते हुए उनहोंने सबसे पहले कोविड वैक्सिनेशन को लेकर डिजिटल सिस्टम पर कहा, "अब आपने देखा होगा कोविड में, दुनिया सर्टिफिकेट नहीं दे पा रही थी, मेरे यहां मुझे वैक्सीन लेना है तो मुझे कोविन ऐप पर जा करके कितने डिस्टेंस पर मिलेगा, कौन सा टाइम स्लॉट मिलेगा, और मेरा सर्टिफिकेट भी मुझे फ्रैक्शन ऑफ सेकेंड में मिल जाता था.
कोविन ऐप के डिजिटल होने का फायदा
पीएम मोदी ने आगे कहा, "कोविन मैंने ओपन सोर्स कर दिया था. कोई भी उसका उपयोग कर सकता है. ये मेरा अनुभव है और उसके कारण डिजिटली काफी लाभ हुआ है मेरे देश में और हम शायद जो इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशंस हुए, फर्स्ट और सेंकेंड, हम शायद पीछे रह गए क्योंकि हम गुलाम थे. ये चौथा जो इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन है, जिसमें डिजिटल एलिमेंट सबसे बड़ा है. और भारत इसमें बहुत कुछ प्राप्त कर लेगा ऐसा मेरा विश्वास है.
इसके जवाब में बिल गेट्स ने कहा, "मुझे लगता है कि मुख्य बात ये है कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार समृद्ध होता जा रहा है. अब बहुत से लोग पहचान प्रणाली और डिजिटल पेमेंट सिस्टम के बारे में जानते हैं. और सरकार ने अब तकरीबन सभी सरकारी पेमेंट प्रोग्राम डिजिटाइजेशन कर लिया है.अकेले इससे ही बहुत सारा पैसा बचाया गया और इससे ज्यादा सामान बेस तक पहुंचाया गया है. लेकिन अब जब आप अगल-अलग क्षेत्रों में जा रहे हैं, किसानों के लिए मशवरा, उनके लैंड का रजिस्ट्रेशन बच्चों की शिक्षा और उनके हेल्थ रिकॉर्ड को जोड़ना, एक तरह से दूसरा चरण है. और अभी तीसरे फेज की शुरुआत में हैं जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में प्रगति शीर्ष पर आ जाएगी और वैल्यू को और बेहतर बना देगी
हेल्थ के लिए बेहतर फूड च्वॉइस जरूरी
बिल गेट्स ने हेल्थ को लेकर कहा, "कंज्यूमर्स को खरीदारी के समय पर्यावरण अनुकूल चयन करने चाहिए, जैसे वो गाड़ी खरीदे या दूसरी चीजें, वो अपने खान-पान के बारे में विचार करें. बेशक वो पूरी तरह वेजिटेरियन न बनें, लेकिन अपने फूड में कम बीफ कम या ज्यादा चिकन और ज्यादा मछली का संतुलित सेवन करें. इन बातों का ध्यान रखकर वो सेहत को बेहतर भी बना सकते हैं, जो उनहें फिट बनाने में मदद करेगा
मिलेट्स के सेवन पर जोर
मोदी ने कहा, इतना ही नहीं, मैं तो कहता हूं कि वेजिटेरियन फूड में भी सुधार जरूरी है, शाकाहारी भोजन में जैसे मिलेट, मैंने युनाइटेड नेशंस के साथ मिलकर मिलेट ईयर मनाया, मिलेट का फायदा ये है कि एक तो बंजर भूमि में मिलेट पैदा होता है. मिनिमत पानी चाहिए, कोई फर्टिलाइजर नहीं चाहिए, और ये सबसे उत्तम प्रकार का फूड है. ये सुपरफूड है. अगर हम मिलेट को प्रमोट करते हैं तो वेजिटेरियन होने के बावजूद भी कुछ चीजें हैं जो ज्यादा नुकसान करने वाली हैं, उसमें भी अगर मिलेट में शिफ्ट करते हैं, तो बहुत फायदा हो सकता है.
बिल गेट्स ने ओडिशा में खाया मिलेट
बिल गेट्स ने कहा, जब मैं ओडिशा में था तब मुझे पता चला कि बहुत समय पहले मिलेट एक बेहद पॉपुलर फूड था, अब यहां मिलेट सरकार के संयुक्त कार्यक्रम के तहत फिर से लौट रहा है. मैं कुछ ऐसी दुकानों में गया जहां महिलाओं ने पौष्टिक और स्वादिष्ट मिलेट चखाया. मिलेट एक अच्छा संदेश है.
फाइव स्टार होटल में मिलेट्स के मेन्यू
पीएम मोदी ने कहा, मैंने नोटिस किया है कि मिलेट्स में इतना ज्यादा प्रोडक्शन आना शुरू हो गया. अच्छी-अच्छी कंपनियां मिलेट प्रोडक्शन में आने लगीं, और एक तरह से उसका वैल्यू एडिशन हो गया, और कॉमन लोगों में फैशन हो गया, आप फाइव स्टार में जाइए तो मिलेट्स का मेन्यू अलग देते हैं, नॉर्मल वेजिटेरियन फूड का मेन्यू अलग देते हैं, ज्यादातर लोग मिलेट मेन्यू प्रोवाइड करते हैं और उसके कारण मेरे छोटे किसान की इनकम भी बढ़ गई, और पानी की बहुत बचत हो रही है. तो बहुत बूड़ा फायदा होने लगा है.
कोरोना वैक्सीन को लेकर बात
बिल गेट्स ने कहा, महामारी के दौरान, कई वैक्सीन का आविष्कार हुआ और बहुत सारे टीकों का निर्माण भारत में हुआ. दुख की बात है कि कई देशों में टीकाकरण से जुड़े डर और अफवाहें एक बड़ी समस्या बन गई थी. जबकि भारत में इसका प्रतिरोध कम था. मैं उत्सुक हूं, ये जानने के लिए कि आपने संचार का प्रबंध कैसे किया, और आपको क्यों लगता है कि यहां ये बेहतर हुआ
बिल गेट्स की इस बात पर पीएम मोदी ने मुस्कुराकर कहा, "आपने बहुत बढ़ियां सवाल पूछा, एक तो मैंने वायरस के खिलाफ ये लड़ाई जो है, ये हम सभी की है, ये लोगों को प्रशिक्षित करने पर बल दिया. ये वायरस वर्सेज गवर्नमेंट नहीं है, ये लाइफ वर्सेज वायरस की लड़ाई है. ये पहली मेरी फिलॉसिफी थी. दूसरा मैं डे वन से कम्यूनिकेट करने लगा, डायरेक्ट मेरे लोगों से बात करने लगा. खुद मैं सारे प्रोटोकॉल पब्लिकली फॉलो करने लगा. फिर मैंने कहा ताली बजाओ, थाली बजाओ, दीया जलाओ, हमारे देश में इसको लेकर मजाक बनाने की कोशिश हुई. लेकिन मुझे लोगों को विश्वास में लेना था, कि हमें ये लड़ाई साथ लड़नी है, जब ये विश्वास बन गया. हमें अपनी जिंदगी बचानी है और दूसरे की जिंदगी बचे इसमें मदद करनी है. तो इस तरह से ये मास मूवमेंट बन गया.
पीएम मोदी ने आगे कहा, "और उसके बाद मैं जो चीज भी देशवासियों को कहता था. वो मुझे मदद करते थे, इसमें सवाल नहीं करते थे. कि मास्क लगाना चाहिए या नहीं लगाना चाहिए. और लोग भी एक दूसरे को कहते थे कि मास्क लगाओ. तो ये जनआंदोलन बन गया. और डेमोक्रेटिक वे में, डंडे से काम नहीं होता है. आप लोगों को शिक्षित कीजिए, उन्हें मनाइए, और उनको साथ लेकर चलिए. ये मेरा बहुत बड़ा अभियान रहा. और उसके कारण मुझे वैक्सीन में काफी सफलता मिली. और किसी ने रोका नहीं. आर्थिक रूप से बहुत बड़ा बोझ आया मुझे. वैक्सीन बनाने में रिसर्च करनी थी. फिर विश्वास दिलाना था कि यही वैक्सिन चलेगी. मैं खुद सबसे पहले वैक्सीन लेने गया. और मेरी 95 साल की मां थी उस समय, मेरी मां ने भी पब्लिकली वैक्सीन लिया. तो मैंने उदाहरण करके दिखाया. तो लोगों को भरोसा हुआ कि ये जिंदगी बचा सकता है."
सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन से बचेगी बच्चियों की जिंदगी
आने वाले दिनों में मैं सर्वाइकल कैंसर को लेकर, खाकर बच्चियों के लिए कह रहा हूं, मैं भारत में इस बार बजट में हमारे जो साइंटिस्ट हैं उन्हें बजट देना चाहता हूं और इसमें भी आप लोकल रिसर्च कीजिए, वैक्सीन बनाइए और बहुत ही कम पैसों में मैं मेरे देश की सभी बच्चियों का वैक्सिनेशन करूं और किसी भी बच्ची को कैंसर की संभावना ही न रहे वो स्थिति पैदा करूं, उस दिशा में मैं इन दिनों का कर रहा हूं. और जब तीसरी बार मेरी सरकार बनेगी तब मैं उस दिशा में रिसर्च में काफी पैसे लगाना चाहता हूं, ताकि मेरी बच्चियों की जिंदगी बचे.