Pregnancy Care: प्रेग्नेंसी के दौरान ग्लूकोज लेवल की मॉनिटरिंग करना है बेहद जरूरी, जानें क्यों
Diabetes in pregnancy: दुनिया भर में लगभग 537 मिलियन (53.7 करोड़) लोग डायबिटीज के शिकार हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ग्लूकोज लेवल मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकता है.
Diabetes in pregnancy: डायबिटीज एक लाइफस्टाइल की बीमारी से दुनिया भर में महामारी के रूप में आगे बढ़ चुका है. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 537 मिलियन (53.7 करोड़) लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं. डायबिटीज मरीजों को लगातार मॉनिटरिंग की आवश्यकता होती है, जिसके अभाव में उपचार में देरी और डायबिटीज से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ग्लूकोज लेवल मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकता है.
प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज जन्मजात असामान्यताओं, मृत जन्म और गर्भपात से संबंधित है, जो सभी ग्लाइसीमिया (खून में ग्लूकोज की उपस्थिति) से संबंधित हैं. जहां प्रेग्नेंसी महिला को आनंद और खुशी प्रदान करती है, यह उनके शरीर में शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन का कारण भी बनती है. गर्भकालीन डायबिटीज या ग्लूकोज को मेटाबॉलाइज करने में असमर्थता एक विश्वव्यापी स्थिति है जो महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान अनुभव हो सकती है.
गर्भकालीन डायबिटीज क्या है?
गर्भकालीन डायबिटीज एक प्रकार का डायबिटीज है जो विभिन्न फैक्टर के आधार पर कुछ गर्भवती महिलाओं में हो सकता है. यह प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते की शुरुआत में या 28 हफ्ते के अंत में शुरू हो सकता है. यह विभिन्न प्रकार के फैक्टर के कारण हो सकता है, जिसमें एडवांस प्रेग्नेंसी उम्र, पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज, मोटापा, इंसुलिन सेंसिटिविटी या डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास शामिल है. प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज को मैनेज करना कठिन और आवश्यक होता है. यदि गर्भकालीन डायबिटीज को कंट्रोल नहीं किया गया तो ये मां और बच्चे दोनों को खतरे में डाल सकती है. यह गर्भ में पल रहे बच्चे की रेस्पिरेटरी समस्याओं, पीलिया, कम ब्लड शुगर लेवल या समय से पहले जन्म का कारण भी बन सकता है. इतना ही नहीं, गर्भकालीन डायबिटीज से बच्चे की गर्भ में ही मृत्यु हो सकती है.
नॉर्मल ग्लूकोज लेवल
विशेषज्ञ दिशानिर्देशों के अनुसार गर्भवती महिलाओं का ग्लूकोज लेवल भोजन से पहले और रात भर में 95 mg/dL से कम और खाने के बाद 140 mg/dL से कम होना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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